-डायरिया की मरीज खतरनाक बीमारी से हुई पीडि़त, इमरजेंसी में नही किया एडमिट

-सीएमओ-सीएमएस से गुहार के बाद कराया एडमिट, सीएमएस बरसे डॉक्टर्स पर

BAREILLY:

गरीबों को मुफ्त इलाज व दवा दिलाने की सरकार की कोशिशों पर एक बार फिर सफेद कोट वाले भगवानों ने दाग लगाया। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में बेहद गंभीर हालत में लाई गई एक महिला को जिम्मेदार डॉक्टर्स ने एक नहीं बल्कि दो दो बार एडमिट करने से इंकार करते हुए लौटा दिया। मजबूर महिला को इलाज दिलाने के लिए परेशान परिजन हॉस्पिटल में ओपीडी से लेकर सीएमओ और सीएमएस ऑफिस तक चक्कर काटते रहे। लेकिन घंटों तक उनकी गुहार को 'दूसरे भगवान' अनसुना करते रहे। काफी मुश्किलों के बाद परिजन पीडि़त महिला को इमरजेंसी में एडमिट कराने की कोशिशों में कामयाब हो सके।

इलाज के बाद मिला गंभीर रोग

नवादा शेखान के रहने वाले हरीश कुमार की पत्‍‌नी प्रीती 9 दिन पहले डायरिया के इलाज के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट हुई। दो दिन इलाज के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन घर आने के बाद ही उसका बायां पैर तेज दर्द के साथ ही सूज गया और काला पड़ने लगा। घबराए परिजन उसे लेकर 13 जनवरी को फिर से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचे। जहां डॉक्टर्स ने उन्हें महिला को एडमिट करने के बजाए लखनऊ रेफर कर दिया। इस दौरान महिला की हालत बिगड़ने लगी। सरकारी हॉस्पिटल में एडमिट न किए जाने पर परिजन उसे जनकपुरी के एक निजी नर्सिग होम में ले गए।

सेंट्रल मिनिस्टर की सिफारिश भ्ाी ठुकराई

तीन दिन तक निजी नर्सिग होम में इलाज के बाद गरीब परिवारों की हिम्मत महंगा इलाज कराने में जवाब दे गई। परिजन एक बार फिर महिला को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल लाए। इस बार हॉस्पिटल आने से पहले परिजन सेंट्रल मिनिस्टर संतोष कुमार गंगवार के पैड पर मरीज को एडमिट किए जाने की सिफारिश भी लेकर आए। लेकिन धरती के भगवानों ने सेंट्रल मिनिस्टर की सिफारिश को भी दरकिनार करते हुए एक बार फिर गंभीर हालत में आई महिला को एडमिट करने के बजाए वापस लौटा दिया। वहीं ओपीडी में डॉ। केएस गुप्ता ने पर्चे पर महिला को एडमिट करने की सलाह तो लिखी लेकिन खुद एडमिट कराने की कवायद पूरी न की।

सीएमएस ने लगाई फटकार

हर जगह से परेशान परिजन आखिरकार सीएमओ डॉ। विजय यादव के पास पहुंचे और मदद की गुहार लगाई। सीएमओ ने सीएमएस डॉ। डीपी शर्मा को कॉल कर बीमार महिला को एडमिट न किए जाने के बारे में पूछा। इस पर सीएमएस ने परिजनों को बुलाया और डॉ। केएस गुप्ता व डॉ। टीएस आर्या के सामने पूरा मामला समझा। बेहद गंभीर मरीज को एडमिट किए जाने में लापरवाही देख सीएमएस नाराज हुए। उन्होंने तुरंत महिला को इमरजेंसी में एडमिट किए जाने के निर्देश दिए। साथ ही डॉ। केएस गुप्ता को मरीज को अपने स्तर पर ही इमरजेंसी में एडमिट न किए जाने पर फटकारा। सीएमएस ने बेहद नाराजगी में डॉक्टर्स को एक दूसरे को केस रेफर करने की आदत सुधारने के भी चेतावनी दी।

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खून देने के नाम पर मरीज से ठगी

फीमेल हॉस्पिटल में मरीज से परिचित ने ही ठगे 8 हजार, पकड़े जाने पर हुआ फरार

BAREILLY:

इलाज में मदद दिलाने के नाम पर एक बार फिर मरीजों से ठगी का मामला उजागर हुआ है। खजूरिया संपति के रहने वाले शिशुपाल ने पांच दिन पहले अपनी प्रग्नेंट वाइफ उषा को फीमेल हॉस्पिटल में एडमिट कराया था। ऑपरेशन से उषा को एक बेटी हुई। ऑपरेशन के दौरान ब्लीडिंग ज्यादा होने के चलते डॉक्टर्स ने उषा को एक यूनिट ब्लड चढ़ाए जाने की जरूरत बताई। प्रसूता को एडमिट कराए जाने के समय से ही परिवार के एक परिचित आरके क्रांति भी हॉस्पिटल में मौजू रहे। परिजनों का कहना है कि ब्लड की जरूरत पूरी करने के लिए क्रांति ने उषा के ससुर से ब्लड डोनेट कराया और साढ़े आठ हजार रुपए भी लिए।

पकड़ा गया तो हुआ फरार

दो दिन पहले क्रांति ने परिजनों से बच्ची के बेहतर इलाज के लिए ख्ख् हजार रुपए की मांग की। जिसे परिजनों ने ठुकरा दिया। वहीं बाद में परिजनों को मालूम हुआ कि ब्लड चढ़ाने के लिए खून देने के साथ ही सिर्फ ब्भ्0 रुपए ही जमा कराने पड़ते हैं। मंडे को जब क्रांति हॉस्पिटल पहुंचा तो परिजनों ने उसे पकड़ लिया और ठगी के साढ़े आठ हजार रुपए वापस लौटाने के लिए हंगामा किया। विवाद बढ़ने पर हॉस्पिटल स्टाफ ने भी क्रांति को फटकारा। जिस पर आरोपी ठग ने परिजनों को पैसा वापिस करने का भरोसा दिया, लेकिन कुछ ही देर में हॉस्पिटल से भाग खड़ा हुआ।