जनवरी से अप्रैल 2015 में हर महीने मरीज से लेकर जांच में जबरदस्त बढ़ोत्तरी

एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, पैथोलोजी जांच व मरीजों का आंकड़ा टारगेट से 20-40 गुना ज्यादा

डॉक्टर्स, पैथोलॉजिस्ट, लैब टेक्निशियन की बेहद कमी, जांच-इलाज पर पड़ रहा असर

<जनवरी से अप्रैल ख्0क्भ् में हर महीने मरीज से लेकर जांच में जबरदस्त बढ़ोत्तरी

एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, पैथोलोजी जांच व मरीजों का आंकड़ा टारगेट से ख्0-ब्0 गुना ज्यादा

डॉक्टर्स, पैथोलॉजिस्ट, लैब टेक्निशियन की बेहद कमी, जांच-इलाज पर पड़ रहा असर

BAREILLY:

BAREILLY:रोजाना हजारों मरीजों की तबीयत दुरुस्त करते हुए खुद बरेली के इकलौते डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की सेहत बिगड़ने लगी है। साल ख्0क्भ् की शुरुआत से ही डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में इलाज के लिए जुटने वालों की तादाद जबरदस्त तरीके से बढ़ती जा रही है। जिसको संभालने में हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन के पसीने छूट रहे हैं। खासकर से जांच को लेकर तो स्थिति विस्फोटक होती जा ही है।

तीन महीनों में बढ़ा प्रेशर

जनवरी से अप्रैल तक हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों से लेकर उनकी अलग-अलग जांचों का आंकड़ा हर लगातार बढ़ता ही गया है। पिछले ब् महीनों में ही हॉस्पिटल में इसकी क्षमता व इसके लिए तय टारगेट से ख्0 से ब्0 गुना ज्यादा मरीजों का इलाज व जांचे हुई हैं। हॉस्पिटल पर लगातार बढ़ते दबाव से मरीजों को ओपीडी-आईपीडी में समय पर इलाज मिलने से लेकर ,जांच कराने, जांच रिपोर्ट पाने और दवा लेने में देरी हाेती है।

तय टारगेट से कई गुना ज्यादा बोझ

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में ओपीडी में मरीज देखने से लेकर एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड सहित पैथोलॉजी की जांच के मानक तय किए गए हैं। चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग महानिदेशालय की ओर से मरीजों के इलाज से लेकर उनकी जांचों के लिए हर दिन व हर महीने का टारगेट जारी किया गया है। हालांकि सरकारी हॉस्पिटल्स में दिए गए टारगेट से हमेशा ही ज्यादा मरीजों का इलाज व उनकी जांच होती है। लेकिन डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में महानिदेशालय के टारगेट व असल में होने वाले इलाज व जांच के बीच का अंतर लगातार जबरदस्त तरीके से बढ़ता जा रहा है।

एक्स-रे विभाग

टारगेट- एक मशीन पर भ् एक्स-रे रोज, क्ख्0 हर महीने

असलियत - सिर्फ एक मशीन पर हो रही जांच

जनवरी - ख्0ख्7

फरवरी - ख्फ्8भ्

मार्च - ख्7क्0

अप्रैल - फ्0म्9

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अल्ट्रासाउंड विभाग

टारगेट - एक मशीन पर फ् प्रतिदिन, 7भ् हर महीने

असलियत - दो मशीन पर हो रही जांचे

जनवरी - फ्0ख्

फरवरी - फ्भ्ख्

मार्च - ब्0ख्

अप्रैल - ब्म्भ्

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पैथोलॉजी विभाग

टारगेट - क्फ्0 जांच रोज, ख्भ्00 जांचे हर महीने

असलियत - क्0 हजार से ज्यादा जांचे हर महीने

जनवरी - 9,809

फरवरी - क्ख्,ख्9फ्

मार्च - क्ख्,ख्9भ्

अप्रैल - क्भ्,0ख्म्

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ओपीडी-आईपीडी

टारगेट - ओपीडी में हर महीने क्000 मरीज प्रति डॉक्टर, फ्00 इनडोर मरीज हर महीने

असलियत - ओपीडी में मौजूद क्भ् डॉक्टर्स और इमरजेंसी में ब् डॉक्टर्स के मुताबिक

ओपीडी में आईपीडी में

जनवरी - ख्9,7क्क् जनवरी - क्,फ्क्ख्

फरवरी - फ्फ्,फ्ब्म् फरवरी - क्,भ्88

मार्च - फ्8,ब्ब्0 मार्च - क्,म्07

अप्रैल - ब्ख्,ख्म्क् अप्रैल - ख्,0फ्म्

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लैब टेक्निशियन की कमी

महानिदेशालय की ओर से हॉस्पिटल को जारी किए गए मानक कई साल पुराने हैं। जबकि हर साल हॉस्पिटल्स में मरीजों से लेकर उनकी होने वाली जांच का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल बरेली में एक ओर पुराने मानकों के तहत ही डॉक्टर्स व मेडिकल स्टाफ की पोस्ट रही। वहीं दूसरी ओर लगातार मरीजों और उनके इलाज का दबाव बढ़ता चला गया है। एक्स-रे विभाग में ख् लैब टेक्निशियन की पोस्ट पर एक ही नियुक्ति है। वहीं पैथोलोजी विभाग में 7 लैब टेक्निशियन की पोस्ट पर म् पर ही नियुक्तियां हैं।

नहीं हैं स्पेशलिस्ट

हॉस्पिटल में कुल ब्फ् डॉक्टर्स की पोस्ट हैं, जिनमें सीएमएस सहित सिर्फ फ्फ् पर डॉक्टर्स हैं। क्क् डॉक्टर्स की कमी है। पैथोलोजी विभाग में ख् पैथोलॉजिस्ट की पोस्ट है, जिसमें से एक खाली है। एक ही पैथोलॉजिस्ट पूरी पैथोलॉजी विभाग में आने वाले सैंपल की जांच करता है। साथ ही ब्लड बैंक की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ती है। हॉस्पिटल में स्पेशलिस्ट की जबरदस्त कमी है। हॉस्पिटल में स्किन स्पेशलिस्ट, यूरो सर्जन, न्यूरो सर्जन, प्लास्टिक सर्जन, न्यूरो फिजिशियन और नैफ्रोलॉजिस्ट की क्-क् पोस्ट है। लेकिन पिछले कई साल से यह सभी पोस्ट खाली हैं।

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डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में लगातार मरीजों की तादाद बढ़ रही है। हम अवेलेबल रिर्सोसेज से मरीजों को पूरा व बेहतर इलाज देने की कोशिश कर रहे हैं। शासन को डॉक्टर्स व स्टाफ की कमी की रिपोर्ट भेजी गई है।

- डीपी शर्मा, सीएमएस