- डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में इमरजेंसी सुविधाओं का टोटा
- आईसीयू, आईसीसीयू के बिना दम तोड़ रहे पेशेंट
- ट्रॉमा या हार्ट अटैक के केस में नहीं इलाज की सुविधा
BAREILLY: महाराणा प्रताप ज्वांइट डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल। बरेली मंडल का इकलौता डिविजनल हॉस्पिटल। क्भ्0 सालों का पुराना इतिहास और आसपास के जिले के हजारों पेशेंट्स के भला चंगा होने की इकलौती उम्मीद, लेकिन इतिहास के पन्नों में बेहद उम्रदराज हॉस्पिटल होने के बावजूद इमरजेंसी सुविधाओं की कमी से जूझता। हैरत में डालने वाली बात, लेकिन सच है कि डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में इमरजेंसी सुविधाओं के नाम पर आईसीयू या आईसीसीयू नहीं है। इमरजेंसी वार्ड के नाम पर इलाज की औपचारिकता तो ख्ब् घंटे है, लेकिन ट्रॉमा या सीरियस केसेज को बचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं। आईसीयू-आईसीसीयू के न होने से हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में पिछले ब् दिनों में ख् जिंदगियों ने इस कमी का खामियाजा मौत से चुकाया। दो मौतों के बावजूद इस कमी की ओर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं जा रहा।
आईसीयू बिना इमरजेंसी
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में ख्ब् घंटे इलाज का दम भरने वाला इमरजेंसी वार्ड तो है, लेकिन सीरियस केसेज के लिए इंटेंसिव केयर यूनिट, आईसीयू का बनाया जाना अभी भी एक सपना बना हुआ है। आईसीयू के बिना हॉस्पिटल में आने वाले सीरियस एवं एक्सीडेंटल केसेज को ट्रीट करने की कोई सुविधा नहीं है। वेंटिलेटर्स के बिना मौत के मुहाने पर पड़े पेशेंट्स को सिवाय ऑक्सीजन मास्क के कोई और इमरजेंसी ट्रीटमेंट नसीब नहीं होता। वहीं इलाज में होती देरी के चलते पेशेंट्स की जिंदगी हॉस्पिटल में अवेलबेल दवा और उसके अपनों की दुआओं पर ही टिकी रहती है। जिन्हे लास्ट स्टेज पर अक्सर कहीं और रेफर कर अपनी जिम्मेदारियां निभा ली जाती हैं।
मंडल में अकेला हार्ट स्पेशलिस्ट
बरेली मंडल के तमाम डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल्स हार्ट स्पेशलिस्ट की कमी से जूझ रहे हैं। पूरे डिविजन में बरेली डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में ही इकलौते हार्ट स्पेशलिस्ट की तैनाती है। पिछले म् साल से इस इकलौते कार्डियोलॉजिस्ट के भरोसे ही पूरे डिविजन के हार्ट पेशेंट्स के इलाज का दारोमदार है। ऐसे में कुछ पेश्ेांट्स जहां शहर के चुनिंदा प्राइवेट हॉस्पिटल्स का रूख कर लेते हैं, वहीं ज्यादातर मोटी फीस और सही जानकारी के बिना डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल्स से ही अंतिम सांस होने तक इलाज कराने को मजबूर हैं। हार्ट स्पेशलिस्ट की कमी और समय पर अवेलेबिलिटी के बिना कई जिंदगियां अक्सर मौत में बदल रही हैं।
कैथलैब रहा बस सपना
हॉस्पिटल में आने वाले हार्ट पेशेंट्स के ट्रीटमेंट के लिए इमरजेंसी वार्ड में कैथलैब की अब तक स्थापना नहीं हो सकी है। जिसमें एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की सुविधा होती है। आईसीसीयू सुविधा न शुरू हो पाने से हॉस्पिटल में कैथलैब का सेटअप किया जाना फिलहाल दूर की कौड़ी दिख रहा है। कैथलैब के बिना हार्ट पेशेंट्स और हार्ट अटैक के विक्टिम्स को लाइफ सेविंग ट्रीटमेंट नहीं मिल रहा। जिसका रिजल्ट अक्सर हॉस्पिटल में होने वाली मौतों के रूप में दिखता है। शहर के ब् बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल्स ने ऐसे पेशेंट्स की लगातार बढ़ रही तादाद को देखते हुए कैथलैब को अपनाया। लेकिन इकलौते डिविजनल हॉस्पिटल में यह सुविधा अब तक नहीं शुरू हो सकी।
लाइफ सेविंग ड्रग भी नदारद
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में हार्ट अटैक के पेशेंट्स को बचाने के लिए अपग्रेडेड मेडिकल सुविधाओं से इतर जान बचाने वाली दवाओं की भी कमी है। हार्ट अटैक के केस में हॉस्पिटल में पेशेंट्स को दी जाने वाली स्ट्रेप्टोकाइनिज की कई बार कमी रहती है। अगर इमरजेंसी में दी भी गई तो यह सही इलाज की गांरटी नहीं। एक्सपर्ट के मुताबिक यह दवा कई बार पेशेंट्स में इंटरनल ब्लीडिंग की वजह बनती है। वहीं हार्ट अटैक के केस में बेहद कारगर वैलेक्स इंजेक्शन ब्लड क्लॉंटिंग को दूर कर पेशेंट को रिलीफ देता है और जान के खतरे को दूर करता है। लेकिन ख्8 से फ्ख् हजार रुपए की कीमत होने के चलते यह हॉस्पिटल में अवेलबेल नहीं।
सरकार की हां का इंतजार
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में आईसीयू बनाए जाने का प्रपोजल शासन के पास पिछले दो सालों से पड़ा है। सीएमओ की ओर से इमरजेंसी वॉर्ड के साथ ही ट्रॉमा पेशेंट्स के लिए आईसीयू बनाए जाने का प्रपोजल सीएम को दिया गया था। लेकिन फीमेल हॉस्पिटल में मेटरनिटी विंग और मेंटल हॉस्पिटल में फ्00 बेड वाले सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल को मंजूरी दिए जाने के चलते यह प्रपोजल खटाई में पड़ गया। एक्सपर्ट्स ने भी सरकारी पॉलिसी में सिर्फ बिल्डिंग खड़ी करने तक की कवायद पर सवाल खड़े किए हैं। करोड़ों की लागत से नए हॉस्पिटल्स की बिल्डिंग को तो फंडिंग की जा रही है, लेकिन मंडल के तमाम पेशेंटस की जिंदगी बचाने के लिए जरूरी आईसीयू व आईसीसीयू के सेटअप के लिए कोई योजना नहीं है।
हार्ट पेशेंट्स और ट्रॉमा केसेज के इलाज के लिए आईसीयू की कमी खलती है। डिविजन लेवल का हॉस्पिटल होने की वजह से यह सुविधा होना जरूरी हो जाता है। सीरियस केसेज में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए इस पर जल्द फैसला लिया जाना चाहिए। - डॉ। आरसी डिमरी, सीएमएस
हॉस्पिटल में आईसीयू बनाए जाने की जरूरत है। मैं इस कमी को बहुत पहले से महसूस कर रहा हूं। ख्0क्ख् में सीएमओ बनते ही मैंने पर्सनली सीएम सर से इस बारे में बात की और उन्हें इसका प्रपोजल दिया। इलेक्शन के बाद इस पर फिर से सरकार को प्रपोजल भेजा जा रहा है। - डॉ। विजय यादव, सीएमओ