8 का ‘chapter’ close, कई कगार पर
आरयू से मिली परमीशन के बाद बरेली कॉलेज में डिप्लोमा कोर्सेज की बाढ़ सी आ गई। पिछले 5 सालों में दो दर्जन डिप्लोमा कोर्सेज ओपेन करने के लिए पाइपलाइन में थे। इसमें से करीब 17 प्रमुख कोर्सेज ओपेन किए गए। ज्यादातर वन ईयर के पीजी डिप्लोमा कोर्सेज हैं। पहले इन सभी कोर्सेज के एडमिशन और संचालन के लिए एक कोऑर्डिनेटर एप्वॉइंट किया गया था लेकिन अब ये सभी कोर्सेज अपने-अपने डिपार्टमेंट के थ्रू ही संचालित किए जाते हैं।
कम हुआ interest
कुछ ऐसे प्रमुख प्रोफेशनल डिप्लोमा कोर्सेज ओपेन किए गए थे, जो मार्केट डिमांड के अनुसार लेटेस्ट कोर्सेज में गिने जाते हैं। और इंप्लॉयमेंट के लिहाज से ऑन डिमांड में भी हैं लेकिन समय बीतने के साथ ही इन कोर्सेज की चकाचौंध फीकी पड़ गई। स्टूडेंट्स के बीच इन कोर्सेज का क्रेज कम होता गया। बीसीबी इन कोर्सेज में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को आकर्षित नहीं कर पाया।
आधे से ज्यादा बंद
बीसीबी में कंडक्ट हो रहे इन डिप्लोमा कोर्सेज की इतनी बुरी गत हुई कि आधे से ज्यादा कोर्स बंद हो चुके हैं। पिछले दो सालों के अंदर करीब 8 प्रमुख कोर्सेज पर ताला लग चुका है। स्टूडेंट्स न मिलने की वजह से इनमें निर्धारित एडमिशन नहीं हो पाए। लिहाजा डिपार्टमेंट्स को इन कोर्सेज को बंद करना पड़ा।
कुछ और पर बंदी की तलवार
जहां 50 फीसदी डिप्लोमा कोर्सेज पूरी तरह से बंद हो चुके हैं, वहीं बाकी कोर्सेज पर बंदी की तलवार लटक रही है। डिपार्टमेंट्स की लाख कोशिशों के बावजूद इन कोर्सेज में बमुश्किल 30 से 40 परसेंट स्टूडेंट्स ही एडमिशन ले रहे हैं। यह संख्या भी हर साल घटती जा रही है। हर साल किसी न किसी कोर्स में मानक के अनुसार निर्धारित एडमिशन नहीं हो पाते हैं और उन्हें सस्पेंड कर दिया जाता है। नेक्स्ट ईयर आते-आते उस कोर्स को बंद करने में ही समझदारी रहती है।
ई-कॉमर्स में एक एडमिशन
इस वर्ष हुए एडमिशन की ही बात करें तो दो कोर्सेज ऐसे हैं, जिनमें मानक के अनुसार निर्धारित संख्या में स्टूडेंट्स के एडमिशन नहीं हो पाए। एक तो पीजी डिप्लोमा इन ई-कॉमर्स। इसमें महज एक ही स्टूडेंट शीशपाल ने एडमिशन लिया। वहीं दूसरा डिप्लोमा इन मूर्तिकला में 9 स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया। मूर्तिकला के कोर्स को बंद होने से बचाने के लिए एक और स्टूडेंट की आवश्यकता है। हालांकि कॉलेज ने इसका जुगाड़ कर लिया है लेकिन ई-कॉमर्स को इस बार कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने बंद करने का निर्णय लिया है। डिपार्टमेंट ने शीशपाल को अपनी फीस वापस लेने का फरमान सुना दिया है। शीशपाल ने 10,800 रुपए फीस जमा की थी। वह अब बीच सेशन में फीस वापस लेने से मना कर रहा है। उसका कहना है कि उसके एकेडमिक करियर का एक साल वेस्ट होने की कगार पर है।
Minimum 10 स्टूडेंट्स चाहिए
सभी डिप्लोमा कोर्सेज में 40-40 सीटें स्वीकृत हैं। आरयू ने इन कोर्सेज को संचालित करने के लिए मिनिमम स्टूडेंट्स की संख्या निर्धारित कर रखी है। 10 से कम एडमिशन होने पर उस साल उसे सस्पेंड कर दिया जाता है। जो कोर्स अब तक बंद हो चुके हैं, उनमें 10 स्टूडेंट्स भी मिलना मुश्किल हो गया था।
इस साल courses में admission
* पीजी डिप्लोमा इन कॉमर्स 1
* डिप्लोमा इन मूर्तिकला 9
* पीजी डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन 39
* पीजी डिप्लोमा इन एनवॉयरमेंट मैनेजमेंट 12
* पीजी डिप्लोमा इन प्रोफेशनल बायोटेक्नोलॉजी 17
* पीजी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म, मास
कम्यूनिकेशन एंड मीडिया टेक्नीक्स 40
* डिप्लोमा इन फोटोग्राफी 24
* डिप्लोमा इन फैशन डिजाइनिंग 20
* डिप्लोमा इन इंटीरियर डिजाइनिंग 20
बंद हो चुके कोर्सेज
* पीजी डिप्लोमा इन मॉडर्न अरेबिक
* पीजी डिप्लोमा इन ऑफिस मैनेजमेंट एंड सेक्रेटेरियल प्रैक्टिस
* डिप्लोमा इन टिशू कल्चर एंड सेल
* डिप्लोमा इन क्लिनिकल पैथोलॉजी
* पीजी डिप्लोमा इन टूरिज्म ट्रैवल मैनेजमेंट
* डिप्लोमा इन बिजनेस लॉ
* डिप्लोमा इन योगा एंड नैचुरोपैथी
* डिप्लोमा इन टेक्सटाइल प्रिंटिंग
Specialized teachers औरinfrastructure की कमी
बरेली कॉलेज के ही जानकार शिक्षकों की मानें तो डिप्लोमा कोर्सेज की बदहाली के पीछे कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ही जिम्मेदार है। कॉलेज ने किसी तरह कोर्सेज कंडक्ट कराने की अनुमति तो ले ली लेकिन उसके लिए न तो इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया और न ही स्पेशलाइज्ड टीचर्स को उपलब्ध कराया। इन टेक्निकल व प्रोफेशनल कोर्सेज को भी वही रेगुलर और अस्थाई टीचर्स पढ़ा रहे हैं जो पहले से कंडक्ट हो रहे रेगुलर सब्जेक्ट्स को पढ़ाते चले आ रहे हैं। वहीं इनमें पढऩे वाले स्टूडेंट्स को टेक्निकली स्किल्ड बनाने के लिए प्रैक्टिकल नॉलेज प्रोवाइड करने के इंतजाम नहीं किए।
Fees high, placement zero
जानकार टीचर्स का मानना है कि इन कोर्सेज में स्टूडेंट्स का इंट्रेस्ट न लेने के पीछे का रीजन प्लेसमेंट फैसिलिटी न होना है। अधिकांश कोर्सेज की मिनिमम फीस 10,000 रुपए से ज्यादा है। मोटी फीस भरने के बाद स्टूडेंट्स की कॉलेज से प्लेसमेंट असिस्टेंट की एक्पेक्टेशंस बढ़ जाती हैं लेकिन न तो वे प्रैक्टिकली स्किल्ड हो पाते हैं और न ही कोर्स खत्म होने के बाद वे कहीं प्लेस हो पाते हैं। जिस कारण स्टूडेंट्स इनसे दूर हो रहे हैं। अधिकांश स्टूडेंट्स किसी बेहतर इंस्टीट्यूट्स से डिग्री कोर्स ही करना प्रिफर कर रहे हैं।
डिप्लोमा कोर्सेज को बेहतर ढंग से कंडक्ट कराने की पूरी कोशिशें की जा रही हैं। समय-समय पर पॉलिसीज में बदलाव किया जा रहा है। स्टूडेंट्स को उनके प्रति अवेयर भी किया जा रहा है। उन्हें कोर्सेज में अट्रैक्ट करने के लिए हर संभव कोशिशें की जा रही हैं।
- डॉ। आरपी सिंह, प्रिंसिपल बीसीबी