15 दिन बाद घर से 7 किमी दूर मीरगंज थाना एरिया में भाखड़ा नदी में बोरे में मिला दीपक का शव
नाबालिग प्रेमिका के पिता और चाचा ने दो अन्य के साथ मिलकर की थी दोनों की हत्या
पिता, चाचा और लेवर गिरफ्तार, साढ़ू फरार, वारदात में इस्तेमाल फावड़ा, बोरा और ईटें बरामद
BAREILLY: आखिरकार दीपक और जावित्री की प्रेम कहानी का अंत हो गया। ट्यूजडे को पुलिस ने दीपक की लाश मीरगंज थाना क्षेत्र स्थित भाखड़ा नदी से बंद बोरे में बरामद कर लिया। इससे पहले जावित्री की लाश उसके घर के पास स्थित तालाब से मिली थी। झूठी शान की खातिर जावित्री के पिता और चाचा ने दोनों को क्भ् दिन पहले मार डाला था। फिर बाद में रिश्तेदार की मदद से शव को ठिकाने लगा दिया था। क्या है पूरा मामला आइए बताते हैं
लेबर टैनी ने खोला पूरा राज
हत्या के राज से पर्दा लेबर टैनी ने हटाया, जो जावित्री के चाचा राजेंद्र के साथ काम करता था। मंडे सुबह जावित्री की लाश मिलने के बाद पुलिस ने जावित्री के पिता वीरपाल और चाचा राजेंद्र को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया था। हिरासत से भागने और ईट मारकर खुद को घायल करने के ड्रामे से पुलिस का शक और गहरा गया था लेकिन बेटी की मौत के चलते पुलिस ज्यादा सख्ती नहीं दिखा रही थी। दोनों दबी जुबान में जावित्री की हत्या की बात तो कुबूल कर रहे थे लेकिन दीपक की हत्या को वह स्वीकार नहीं रहे थे। इसी दौरान पुलिस को खबर मिली कि दो अन्य लोग भी वारदात में शामिल थे। पुलिस ने तीसरे शख्स टैनी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया। टयूजडे रात जब पुलिस ने उससे सख्ती से पूछताछ की तो उसने डर के चलते सारा सच सामने रख दिया। फिर पुलिस ने टैनी का राजेंद्र से सामना कराया तो उसने भी गुनाह कुबूल कर लिया।
रात में ही एरिया किया चिह्नित
लेट नाइट जैसे ही पुलिस को पता चला कि दीपक की लाश को फतेहगंज पश्चिमी से 7 किमी दूर मीरगंज थाना क्षेत्र में पड़ने वाली भाखड़ा नदी के नीचे छिपाया है। उसी दौरान पुलिस ने नदी के पास जाकर एरिया चिह्नित कर लिया। फिर सुबह दीपक के परिजनों को साथ ले जाकर नदी के नीचे खुदाई कर दीपक की लाश को बाहर निकाला। दीपक की लाश एक प्लास्टिक के बोरे में मिली। दीपक का शरीर सड़ चुका था। उसके सिर बुरी तरह कुचल दिया गया था। बेटे की लाश देखकर दीपक के पिता कांता प्रसाद फफक कर रो पड़े। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
पहले दीपक और फिर जावित्री को मारा
दीपक, वीरपाल के किराएदार सोनू के घर दावत में गया जरूर था, लेकिन उसे निमंत्रण नहीं था। वह वहां पर जावित्री से मिला। जावित्री को दीपक के साथ खाना खाते हुए उसके परिजनों ने देख लिया। कुछ देर बाद दोनों अचानक गायब हो गए, जिस पर पिता को शक हो गया। फिर वीरपाल और राजेंद्र दोनों को घर के पीछे ढूंढने के लिए निकले तो टार्च की रोशनी में दोनों एक साथ दिख गए। इस पर दोनों ने दीपक को पकड़ लिया और गुस्से में ईटों से सिर पर वार किए और गला दबाकर हत्या कर दी। दीपक को मारता देख जावित्री वहां से भाग निकली। इसी दौरान दोनों ने दीपक की लाश को घर के पीछे छिपा दिया। कुछ देर बाद जावित्री जब वापस पहुंची तो फिर उसकी भी बेल्ट से गला दबाकर हत्या कर दी और उसकी भी लाश को वहीं छिपा दिया।
बाइक पर रखकर ले गए लाश
दोनों की लाश को ठिकाने के लिए राजेंद्र ने अपने साथ काम करने वाले भिटौरा निवासी लेवर टैनी पुत्र ख्यालीराम को फोन करके घर बुलाया। दूसरी ओर वीरपाल ने अपने साढ़ू राजाराम को भी बुला लिया। दोनों को लाश ठिकाने लगाने के लिए बोला तो टैनी मुकर गया, लेकिन राजाराम राजी हो गया। टैनी, वीरपाल की छत पर बैठ गया और वीरपाल जावित्री की लाश की निगरानी करने लगा। इधर राजाराम और राजेंद्र बाइक से दीपक की लाश को बोरे में रखकर ले गए। हाइवे क ा रास्ता न यूज कर दोनों कच्चे रास्ते से भाखड़ा नदी के पुल पर पहुंचे और ऊपर से दीपक के शव को नीचे नदी में फेंक दिया और वहां से चले आए। वापस आने पर तीनों ने जावित्री की लाश को बोरे में भरकर ईटे रखकर पास के तालाब में फेंक दी। इसी दौरान राजेंद्र और राजाराम को शक हुआ कि दीपक की लाश नीचे डालते वक्त कोई आवाज नहीं आयी थी। जिसके चलते करीब ब् बजे दोनों वापस नदी के नीचे फावड़ा लेकर गए और पुल के पिलर के किनारे रेत में दीपक की लाश को दफना दिया।
निशानदेही पर बरामद नहीं कराना चाहते थे लाश
जावित्री के पिता और चाचा डबल मर्डर करने के बाद पुलिस के सामने राज नहीं उगल रहे थे। इसके पीछे की वजह उन्हें एक नेता और वकील का संरक्षण प्राप्त हो गया था। उन्हें बताया गया था कि यदि उनकी निशानदेही पर लाश बरामद हो गई तो उन्हें कोई नहीं बचा पाएगा। यही नहीं राजेंद्र के हाथ में प्लास्टर बांधने पर भी शक हुआ। राजेंद्र, ख्ब् मार्च की रात दावत में पूरी तरह से फिट था लेकिन दूसरे दिन उसके हाथ में प्लास्टर बंधा हुआ था। उसने गांव में किसी को बताया कि उसके मोच आ गई तो किसी को कि उसके ऊपर बल्ली गिर गई। यही नहीं पुलिस को उसने बाइक से गिरना बताया जिसके चलते शक पुख्ता हो गया। यही नहीं उसने किराएदारों और सभासद को भी फंसाने का प्रयास किया। किराएदार सोनू घर छोड़ना चाहता था, लेकिन वीरपाल उसे जबरन घर में रखना चाहता था। इसकी भनक पुलिस को लग गई। यही नहीं किराएदार सोनू के भाई राणा ने भी बार-बार वीरपाल और राजेंद्र को घर आते-जाते देखा था तो सभी घबराए हुए थे।
कांवड़ लेने गया था दीपक
दीपक की लाश मिलने के उसके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पोस्टमार्टम हाउस पर पिता कांता प्रसाद गुमशुम बैठे हुए थे। मां रामवती कई बार बेसुध हो जा रही थी। दीपक के भाई उमेश और रोहताश को भी भाई की मौत से काफी परेशान हैं। उन्हें पहले ही दीपक के जिंदा न रहने की आशंका थी, लेकिन कुछ उम्मीद बची हुई थी। वेडनसडे की सुबह उनकी आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई। दीपक के पिता कांता प्रसाद ने बताया कि दीपक की जब ढाई महीने पहले वीरपाल ने भरी पंचायत में लात मारकर पिटाई की थी। जिसके बाद मामला शांत होने के बाद दीपक दिल्ली काम करने चला गया था। वह होली पर घर वापस आए था। होली के दिन ही वह हरिद्वार से गोला के लिए कांवड़ लेने चला गया था। वह दस दिन बाद वापस आया था।
दीपक की लाश भाखड़ा नदी से बरामद कर ली गई है। जावित्री के पिता और चाचा ने लेवर और साढू के साथ मिलकर दोनों की हत्या की थी। तीन हत्यारोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
बृजेश श्रीवास्तव, एसपी रूरल बरेली