दरोगा भर्ती के मेन एग्जाम में सबसे ज्यादा हिंदी के क्वेश्चन पूछे गए
आसान पेपर देख अभ्यर्थियों के चेहरे खिलखिलाए
BAREILLY: चार वर्ष से दरोगा भर्ती की प्रक्रिया स्टार्ट होने का वेट कर रहे अभ्यर्थियों ने संडे को मेन एग्जाम में देकर राहत की सांस ली। एग्जाम दो मीटिंग में कंडक्ट कराया गया था। दोनों मीटिंग के एग्जाम के आसान पेपर्स ने अभ्यर्थियों के चेहरे खिला दिए। अब वे बेहतर अंकों की उम्मीद के साथ जीडी और इंटरव्यू की तैयारी में जुट गए हैं। ख्0क्क् में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद प्री एग्जाम कंडक्ट कराया गया था। उसके बाद चार वर्षो के बाद पिछले महीने प्रक्रिया दोबारा शुरू हुई। स्टूडेंट्स ने बताया कि अचानक प्रक्रिया शुरू होने के चलते उनकी तैयारी बिल्कुल नहीं थी। कइयों ने तो मेन एग्जाम के लिए एक महीने कोचिंग भी की।
हिंदी की होगी मेन भूमिका
मेन एग्जाम में अंकों को बटोरना और मेरिट को कम ज्यादा करने में हिंदी की मेन भूमिका होगी। पहले मीटिंग में एग्जाम में क्भ्0 क्वेश्चंस पूछे गए थे, जिसे तीन पार्ट में बांटा गया था। हर क्वेश्चन ख् मार्क्स का था, इसमें सामान्य ज्ञान, मैथ्स, व रीजनिंग से क्वेश्चंस पूछे गए थे। वहीं सेकेंड मीटिंग में केवल हिंदी से संबंधित क्वेश्चंस पूछे गए थे। इसमें फ्0 क्वेश्चंस पूछे गए थे क्00 मार्क्स के। हर एग्जाम में क्वालीफाई करने के लिए भ्0 परसेंट स्कोर करना अनिवार्य है। हालांकि अभ्यर्थियों ने दोनों ही एग्जाम में पूछे गए क्वेश्चंस को काफी आसान बताया। लेकिन ंिहंदी उनकी नैया पार लगाने में अहम भूमिका निभाएगी। इसमें निबंध, पत्र, पैसेज से संबंधित अनेक डिस्क्रिप्टिव और ऑब्जेक्टिव क्वेश्चंस पूछे गए थे। अभ्यर्थियों ने बताया कि 800 शब्दों का एक निबंध लिखना था, जिसमें किसी को अच्छे मार्क्स भी मिल सकते हैं और किसी को कम। इसको मापने का कोई पैमाना नहीं है। वहीं फर्स्ट मीटिंग के मार्क्स तो उन्हें आंसर की के मिलान से पता चल सकता है। लेकिन सेकेंड मीटिंग में कितने मार्क्स मिलेंगे ये तो रिजल्ट डिक्लेयर होने के बाद ही पता चलेगा।
क्ख्ब् रहे अब्सेंट
दरोगा भर्ती के लिए तीन सेंटर्स पर मेन एग्जाम कंडक्ट कराया गया। बरेली कॉलेज, इस्लामिया और एमबी इंटर कॉलेज में ख्ब्भ्0 अभ्यर्थियों को अपीयर होना था, जिसमें से क्ख्ब् अभ्यर्थी अब्सेंट रहे। इनमें से कई ऐसे भी अभ्यर्थी एग्जाम दे रहे थे जो पहले से पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। अभ्यर्थियों को काफी चेकिंग के बाद सेंटर्स के अंदर इंट्री दी गई। यहां तक कि सेंटर्स पर मेटल डिटेक्टर वाले गेट लगाए गए थे। डीआईजी आरकेएस राठौर और एसपी सिटी राजीव मलहोत्रा ने अपनी टीम के साथ सभी सेंटर्स का दौरा कर हालात का जायजा लिया।
मुझे पहली मीटिंग में पूछे गए क्वेश्चंस काफी आसान लगे, लेकिन सेकेंड मीटिंग में जो हिंदी के क्वेश्चंस पूछे गए थे वे थोड़े हार्ड लगे। फ्0 में से कुछ क्9 क्वेश्चंस थे, जो अंकों में बड़ा हेरफेर कर सकते हैं।
- रमित, अभ्यर्थी
दोनों ही पोर्शन के क्वेश्चंस अच्छे थे, लेकिन ंिहंदी वाला पोर्शन मेरिट को बना और बिगाड़ सकता है। दरअसल इसमें किसको कितने नंबर मिलेंगे, ये कहना मुश्किल है। डिस्क्रिप्टिव क्वेश्चंस में नम्बर कॉपी चेक करने वाले पर निर्भर करते हैं।
- अरविंद कुमार, अभ्यर्थी
लास्ट मंथ ही अचानक पता चला कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने वाली है। इसकी कोई तैयारी भी नहीं थी। एक महीने कोचिंग की। क्वेश्चंस अच्छे थे। पहली मीटिंग तीन घंटे की थी उसमें काफी टाइम मिल गया।
- कल्याणी, अभ्यर्थी
पेपर बिल्कुल डिफिकल्ट नहीं था। हां तैयारी उतनी अच्छी नहीं थी लेकिन क्वेश्चंस आसान होने के चलते एग्जाम में थोड़ी राहत मिली। पहली मीटिंग में तो कई परेशानी नहीं थी। हिंदी में देखते हैं कितने मार्क्स मिलते हैं।
- ज्योति, अभ्यर्थी