- संडे को पीआरवी पर तैनात सिपाही का बैंक खाता हैक कर लाखों रुपये कर लिए थे होल्ड, बनाई थी एफडी

- साइबर थाना पुलिस ने लिया एक्शन, बैंक अधिकारियों से संपर्क कर की रिकवरी

बरेली। लगातार बढ़ रही तकनीकी सुविधाओं ने हमें जितनी सहुलियतें दी है, उतनी ही समस्याएं भी हमारे सामने लाकर खड़ी कर दी हैं। बैठे-बैठे इंटरनेट पर अपने बैंक खातों से लेनदेन को मैनेज करना जितना आसान है, उतना ही आसान साइबर ठगों के लिए हमें झांसे में लेकर हमारी मेहनत की कमाई उड़ाना भी है। साइबर ठग लगातार नए-नए तरीके इजाद कर लोगों के बैंक खाते खाली कर रहे हैं। संडे को साइबर फ्रॉड का एक नया मामला सामने आया। पीआरवी पर तैनात एक सिपाही के बैंक खाते को हैक कर हैकर्स ने खाते में जमा लाखों रुपये की एफडी बना दी। फिर उन्हें फोन करके ओटीपी बताने को भी धमकाया। लेकिन सिपाही ने सूझबूझ दिखाते हुए हैकर का नंबर ब्लॉक कर इसकी सूचना साइबर थाने में दी। शिकायत का तुरंत संज्ञान लेते हुए बैंक अधिकारियों से संपर्क कर 24 घंटों में ही रिकवरी भी की गई।

जीरो बैलेंस का आया मैसेज

संडे को शहर की एक पीआरवी पर तैनात सिपाही मनोज कुमार साइबर थाना पहुंचे। उन्होंने बताया कि उनके सेविंग्स बैंक खाते में 3,32,088 रुपये थे। कुछ ही देर पहले उनके मोबाइल पर एक मैसेज आया कि खाते से सारी रकम निकाल ली गई है। उन्होंने एक एटीएम पर जाकर खाते के बैलेंस की जानकारी ली तो उसमें भी जीरो बैलेंस बताया। इससे वह परेशान हो गए और तुरंत शिकायत करने पहुंचे। सिपाही के साथी पुलिसकर्मियों ने बताया कि रुपये उसने अपनी बहन की शादी के लिए इकट्ठे किए थे।

हैकर ने धमकाकर पूछा ओटीपी

सिपाही मनोज कुमार ने बताया कि खाते में जीरो बैलेंस का मैसेज आने के कुछ ही देर बाद उन्हें एक अंजान नंबर से फोन आया। फोन करने वाले व्यक्ति ने पहले तो उन्हें बताया कि उसने उनके खाते से सारी रकम हड़प ली है। इसके बाद उन्हें धमकाने लगा कि अगर रुपये वापस चाहिए तो मोबाइल पर पहुंचा ओटीपी उसे बता दे। सिपाही ने व्यक्ति से उसकी पहचान पूछने की भी कोशिश की, लेकिन उसने कुछ नहीं बताया। इसके बाद सिपाही ने सूझबूझ दिखाने हुए धमकाये जाने के बावजूद हैकर को ओटीपी नहीं बताया और साथ ही उसका नंबर भी ब्लॉक कर दिया। फिर मामले की शिकायत साइबर थाने में की।

संडे को ही लिया गया एक्शन

संडे को छुट्टी के दिन सभी सरकारी ऑफिस व बैंकों की छुट्टी रहती है। इसके चलते अधिकतर मामलों की छानबीन में देरी भी होती है। लेकिन इस मामलों में रिकवरी होने की उम्मीद में साइबर पुलिस ने तुरंत संबंधित बैंक के अधिकारियों से संपर्क कर मामले की जानकारी दी और एक्शन लेने को कहा। इस पर सहयोग करते हुए बैंक अधिकारियों ने उनके सर्वर में होल्ड कर लिए गए सिपाही के लाखों रुपयों को ट्रेस करने के बाद उसी के खाते में रिकवर भी कर लिया।

बनाई एफडी, इश्यू और मैच्योरिटी डेट एक

साइबर थाने की टीम ने जब बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर मामले की छानबीन की तो सामने आया कि हैकर ने सिपाही का बैंक खाता हैक कर लिया था। इसके बाद उसी रकम से बैंक के सर्वर में ही एक एफडी बनाकर रकम को होल्ड कर लिया गया था। छानबीन में सामने आया कि एफडी पांच साल पांच महीने और पांच दिनों के टाइम ड्यूरेशन के लिए बनाई गई थी। लेकिन मामले में चौंकाने वाली बात यह रही कि एफडी की इश्यू और मैच्योरिटी डेट एक ही थी। मतलब संडे को दिन में बनाई गई एफडी उसी रात बारह बजे मैच्योर भी हो जाती। अगर सिपाही हैकर को ओटीपी बता देता तो रात बारह बजे एफडी मैच्योर होने के नाम पर रकम उड़ा दी जाती।

बैंक की जिम्मेदारी कौन करेगा तय

साइबर ठगी के सामने आने वाले मामलों में अक्सर देखने को मिलता है कि बिना ओटीपी या पर्सनल डिटेल पूछे ही ठग खातों से रुपये उड़ा लेते हैं। ऐसे में पीडि़त भी आरोप लगाते हैं कि बैंक में शिकायत करने जाने पर उनका सहयोग नहीं किया जाता। फिर उन्हें थानों व पुलिस अधिकारियों के ऑफिसों के चक्कर काटने पड़ते हैं। ऐसे ही संडे को सामने आए सिपाही से ठगी के मामले ने बैंक के सुरक्षा सर्वरों पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया था। एक हैकर द्वारा बैंक खाता हैक कर उसमें पड़ी रकम की एफडी बनाना और फिर होल्ड भी कर लेना चौंकाने वाली बात है। ऐसे मामलों में अब बैंक की जिम्मेदारियां भी निश्चित करने की जरूरत है।

यह बरतें सावधानी

- अंजान व्यक्ति से बात होने पर पर्सनल फाइनेंशियल डिटेल्स शेयर न करें

- किसी अंजान नंबर से आ रही वॉयस या वीडियो कॉल को अटेंड न करें

- थर्ड पार्टी एप्स पर आए लिंक्स को क्लिक न करें, ना ही उन्हें कोई एक्सेस ग्रांट करें

- ऑनलाइन पेमेंट करते वक्त प्राइवेसी का ध्यान रखें, पेमेंट को आए लिंक्स पर क्लिक न करें

- नौकरी, बीमा व इंश्योरेंस के नाम पर लालच देने वालों के झांसे में ना आएं