केस 1- कोतवाली में कवि व आप लीडर कुमार विश्वास पर यू-टयूब पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का केस दर्ज हुआ। केस साइबर सेल पहुंचा और यू-टयूब से इस वीडियो को हटवा दिया गया, लेकिन इस केस में कोई अरेस्टिंग नहीं हुई।

केस-2- ट्विटर पर तस्लीमा नसरीन के द्वारा किए गए एक कमेंट पर उनके खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने का केस दर्ज किया गया था। मामला आईटी एक्ट से जुड़ा होने के चलते इसे साइबर सेल में भेज दिया गया, लेकिन अरेस्टिंग नहीं हो सकी।

केस-3 सुभाषनगर की एक टीचर की फेसबुक पर क्लोन आईडी बना ली गई थी। इस मामले में साइबर सेल ने क्लोन आईडी को बंद करा दिया। साइबर सेल एक व्यापारी व साइबर कैफे तक भी पहुंच गई, लेकिन किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी।

केस-4 आरयू की स्टूडेंट की फेसबुक पर क्लोन आईडी बना ली गई। उसके फ्रेंडस को गंदे-गंदे मैसेज भेजे गए। साइबर सेल में मामला पहुंचा तो क्लोन आईडी को बंद करा दिया गया, लेकिन क्रिमिनल को नहीं पकड़ा गया, जिससे उसने एक के बाद एक 5 क्लोन आईडी छात्रा की बना डाली।

-करीब एक साल में सिर्फ लैपटाप चोरी का पकड़ा एक अपराधी

-फेसबुक पर क्लोन आईडी के पहुंचते हैं सबसे ज्यादा केस

-पकड़े ना जाने से बार-बार बनाते हैं क्लोन आईडी

BAREILLY: सिटी में साइबर सेल का गठन जिस मकसद से किया गया था। शायद वो मकसद अधूरा रह गया है। क्योंकि आए दिन साइबर फ्रॉड के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं, लेकिन साइबर सेल के ऑफिसर्स इस पर अंकुश लगाने और क्रिमिनल्स को अरेस्ट करने में नाकाम हैं। इस वजह से साइबर सेल के अस्तित्व पर सवाल उठने लगा है। आलम यह है कि फेसबुक से जुड़े से करीब क्00 और करीब ब्0 एटीएम, बैंक और ऑनलाइन फ्रॉड के मामले सेल के पास पहुंच चुकी है, लेकिन एक भी मामले में गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। सिर्फ एक क्रिमिनल को सेल पकड़ने में कामयाब हुई, लेकिन वो भी एक लैपटाप चोरी के केस में।

क्राइम बढ़ने पर हुआ था साइबर सेल का गठन

साइबर क्राइम के बढ़ते मामले को देखते हुए यूपी पुलिस ने सभी जिलों में साइबर सेल के गठन का निर्णय लिया था। इसी के तहत लास्ट ईयर जुलाई में बरेली में भी साइबर सेल का गठन किया गया। इसके लिए कुछ पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग के लिए लखनऊ भी भेजा गया। एसएसपी आवास में ही इसका ऑफिस बनाया गया। उसके बाद आईटी एक्ट के तहत आने वाले साइबर क्राइम के सभी पुराने केस भी साइबर सेल में जांच के लिए ट्रांसफर कर दिए गए। इसके अलावा नए केसेस भी सेल में ट्रांसफर किए जाने लगे।

पूरा स्टाफ नहीं है ट्रेंड

प्रेजेंट में साइबर सेल में सिर्फ म् पुलिसकर्मियों का स्टाफ है। इसमें एक प्राइवेट कर्मचारी है। इंस्पेक्टर विजय राणा इसके प्रभारी हैं। इसके अलावा हेड कांस्टेबल उमेश त्यागी, कांस्टेबल सचिन, अरुण कुमार व संजीव भी साइबर सेल का काम देखते हैं। इनमें भी सिर्फ दो ही लोगों को साइबर सेल की ट्रेनिंग दी गई है। इसके अलावा बाकी लोग सिर्फ सर्विलांस का ही काम देखते हैं। इससे साफ है कि जब सेल में पूरा स्टाफ ही ट्रेंड नहीं है तो वो साइबर क्रिमिनल्स तक कैसे पहुंच सकता है।

करीब सौ केस पहुंचे सोशल साइट से जुड़े

सोर्सेस के अनुसार साइबर सेल में अब तक सोशल साइट यानी फेसबुक पर क्राइम से जुड़े करीब क्00 केस पहुंच चुके हैं। इसके अलावा करीब ब्0 केस एटीएम, बैंक व ऑनलाइन फ्रॉड से जुड़े पहुंचे हैं। यूनिवर्सिटी का फर्जी फॉर्म घोटाला, कवि और आप लीडर कुमार विश्वास के खिलाफ यू-टयूब पर धार्मिक भावना भड़काने का केस, मुलायम सिंह पर वाट्सएप पर आपत्तिजनक टिप्पणी समेत कई बड़े केस भी पहुंचे। सभी केसेस में साइबर सेल क्रिमिनल्स के नजदीक पहुंच जाती है, लेकिन वह उन्हें अपने शिकंजे में नहीं ले पाती है। इसकी वजह स्टाफ की कमी व केस के आईओ द्वारा आगे की कार्रवाई ना करना ही है।

ऐसे पहुंचते हैं केस

साइबर सेल में केस सीनियर अधिकारियों के आदेश पर भेजे जाते हैं। जब कोई शख्स साइबर क्राइम से जुड़ी अप्लीकेशन अधिकारियों के पास पहुंचता है तो वो इसे साइबर सेल में ट्रांसफर कर देते हैं। इसके अलावा अगर किसी थाना में एफआईआर दर्ज होती है तो उसे बाद में अधिकारियों के आदेश पर ट्रांसफर कर दिया जाता है। केस पहुंचने पर साइबर सेल इनकी जांच स्टार्ट करती है।

सिर्फ क्लोन आईडी करा पाते हैं बंद

साइबर सेल में सबसे ज्यादा केस फेसबुक पर क्लोन आईडी बनाकर अश्लील मैसेज भेजने के पहुंचते हैं। जैसे ही कोई केस इससे जुड़ा पहुंचता है तो साइबर सेल सबसे पहले क्लोन फेसबुक आईडी को बंद कराता है। इसके लिए उसे फेसबुक के कैलिफोर्निया ऑफिस में संपर्क करना पड़ता है। उसके बाद साइबर सेल पता लगाती है कि किस कंप्यूटर, लैपटाप या मोबाइल से क्लोन आईडी बनाई गई है। इसके लिए आईपी एड्रेस व मैक एड्रेस निकाला जाता है। ये एड्रेस मिलने पर पता जल जाता है कि किस जगह और किस इंटरनेट कनेक्शन से क्लोन आईडी तैयार की गई है। उसके यह पता लगाया जाता है कि उस इंटरनेट को यूज कौन कर रहा है। इतना वर्क पूरा होने पर साइबर सेल क्रिमिनल्स के बहुत करीब पहुंच जाती है, लेकिन इसके बावजूद क्रिमिनल्स को अरेस्ट नहीं कर पाती है।

क्यों नहीं होती अरेस्टिंग

सुभाषनगर की एक टीचर की फेसबुक पर क्लोन आईडी बनाकर उसके फ्रेंडस को अश्लील मैसेज भेजे गए थे। साइबर सेल ने इस मामले में एक व्यापारी व एक साइबर कैफे तक पहुंच भी गई थी। इसके बावजूद भी आरोपी नहीं पकड़े जा सके। ऐसे और भी केस हैं जिनमें साइबर सेल क्रिमिनल्स के काफी करीब पहुंच गई लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी। यही वजह है कि एक बार साइबर सेल में शिकायत होने के बाद भी क्रिमिनल्स उससे ज्यादा क्लोन आईडी बनाकर ग‌र्ल्स को परेशान करते हैं। क्योंकि उन्हें पकड़े जाने का डर जो नहीं रहता है।

फेसबुक से जुड़े तीन नए केस पहुंचे

पिछले दो-तीन दिन में ही साइबर सेल से जुड़े दो-तीन केस पहुंचे हैं। फ्राइडे एक थर्सडे को बीसीबी की स्टूडेंट ने एसएसपी से शिकायत की थी उसकी फेसबुक पर क्लोन आईडी बनाकर उसके दोस्तों को गलत मैसेज भेजे जा रहे हैं। यही नहीं उसकी फोटो भी यूज किए गए हैं। फ्राइडे को भी इसी तरह का केस एसएसपी के पास पहुंचा, जिसमें लड़की ने क्लोन आईडी बनाने के साथ-साथ उसका मोबाइल नंबर भी फेसबुक पर डाल देने की शिकायत की थी। एसएसपी ने दोनों केस साइबर सेल में ट्रांसफर कर दिए थे। सैटरडे को भी एक केस साइबर सेल में पहुंचा, जिसमें एक प्राइवेट स्कूल के टीचर की क्लोन आईडी बना ली गई। क्लोन आईडी बनाकर उसके फ्रेंडस को अश्लील मैसेज भी भेजे गए।