-- आरयू में कोडिंग व्यवस्था हुई पूरी तरह ध्वस्त
-- एग्जामिनर को भी मार्क्स कोड फॉर्म में देने होंगे
BAREILLY: मेन एग्जाम्स में कोडिंग व्यवस्था लागू करने के बाद से आरयू की प्रॉब्लम कम होने की बजाय और बढ़ गई है। यूनिवर्सिटी ने यह सोचकर कोडिंग व्यवस्था लागू की थी कि कॉपी चेकिंग के वक्त उसकी पहचान गुप्त रहेगी। यह मालूम नहीं चल पाएगा कि कौन से कॉलेज की किस स्टूडेंट की कॉपी चेक की जा रही है। साथ ही जो मार्क्स दिए जाएंगे उसमें भी गड़बड़ी होने की संभावना नहीं रहेगी, लेकिन अब जब सभी एग्जाम में ओएमआर शीट वाली कॉपियों को यूज किया जा रहा है तो आरयू इस उलझन में फंस गई है कि चेकिंग का कौन सा तरीका अपनाया जाए। दरअसल इस बार एग्जाम में इतने बड़े पैमाने पर अव्यवस्था हुई कि आरयू की कोडिंग व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई।
बार कोड से होनी है स्टूडेंट की पहचान
अब तक मेन एग्जाम्स में आरयू ने किसी भी प्रकार की कोंिडंग व्यवस्था लागू नहीं की थी। कॉपी चेकिंग के दौरान एग्जामिनर आसानी से यह पहचान कर लेता था कि वह किस कॉलेज के किस स्टूडेंट की कॉपी चेक कर रहा है। इससे आरयू पर हमेशा से ही सेटिंग कर मार्क्स पाने के आरोप लगते रहे हैं। पहली बार म् मार्च से शुरू हुए मेन एग्जाम में आरयू ने ओएमआर शीट वाली कॉपियों का यूज किया। इसके तहत स्टूडेंट्स को ओएमआर फॉर्म में अपनी डिटेल भरनी होती है। कॉपी चेकिंग के समय स्टूडेंट्स की पहचान गुप्त रखकर बाद में बार कोड से उसकी पहचान कराई जाएगी। एग्जामिनर को भी मार्क्स कोड फॉर्म में देने होंगे। ताकि बाद में उसमें कोई हेरफेर ना किया जा सके।
स्टार्टिग में ही डिकोड हो गई कोडिंग
मेन एग्जाम के शुरुआत में ही आरयू की जबरदस्त अव्यवस्था ने कोडिंग व्यवस्था को डिकोड कर दिया। हजारों की संख्या में ऐसे स्टूडेंट्स एग्जाम देने पहुंचे जिनके पास ना तो एडमिट कार्ड था और ना ही रोल नम्बर। कॉलेजेज ने अपने स्तर से रोल नम्बर अलॉट कर स्टूडेंट्स का एग्जाम कराया। यही नहीं एग्जाम के बीच में ही सैकड़ों स्टूडेंट्स से एग्जाम फॉर्म भरवाए गए। उन्हें कॉलेज ने वैकल्पिक रोल नम्बर अलॉट कर सीटिंग अरेंजमेंट किया। पहली बार ओएमआर शीट वाली कॉपी यूज करने पर स्टूडेंट्स ने उसे फिल करने में जमकर गड़बडि़यां की। ओएमआर शीट पर दिए गए गोले को पेंसिल से फिल करना था जबकि बॉक्स में पेन से मैटर लिखना था। लेकिन स्टूडेंट्स पेन से ही सभी भर दिए। यही नहीं स्टूडेंट्स कई सारी इंफॉर्मेशन ऐसी जगहों पर भर दीं जहां उन्हें नहीं फिल करनी चाहिए थीं। कई कॉलेजेज ने पुरानी व्यवस्था के तहत स्टूडेंट्स के नाम और रोल नम्बर लिखवाकर यूनिवर्सिटी को भिजवा दीं हैं।
तो क्या दो व्यवस्था में होगी चेकिंग
अब कॉपी चेकिंग को लेकर आरयू के माथे पर टेंशन की लकीरें खिंच गई हैं। आरयू को यह समझ में नहीं आ रहा है कि कोडिंग व्यवस्था की तर्ज पर कॉपी चेक कराई जाए या फिर पुरानी व्यवस्था के तहत। दोनों पैरेलल व्यवस्था के तहत भी कॉपी चेकिंग करने की बात चल रही है। लेकिन इसे इतना आसान नहीं माना जा रहा है। इससे व्यवस्था को मैनेज करने में काफी प्रॉब्लम होगी। फिलहाल यही कयास लगाए जा रहे हैं कि पुरानी व्यवस्था के तहत ही कॉपी चेकिंग कराई जा सकती है।
कॉलेजेज की भी है लापरवाही
कोडिंग व्यवस्था ध्वस्त होने में कॉलेजेज की भी लापरवाही सामने आ रही है। ओएमआर शीट सही से फिल की जाए इसकी जिम्मेदारी कॉलेजेज पर थी। उन्हें ही स्टूडेंट्स को गाइड करना था कि उसे कैसे फिल की जाए। इस संबंध में कॉलेजेज ने घोर लापरवाही बरती है। इसके लिए कॉलेजेज को ट्रेनिंग भी दी गई थी। जिसमें कई अनुपस्थित भी रहे। उन कॉलेजेज में भी स्टूडेंट्स से पुरानी व्यवस्था के तहत इंफॉर्मेशन फिल कराई गई।