- जागर संस्था के सचिव डा। प्रदीप कुमार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को किया ट्वीट
- बताया, इज्जतनगर क्षेत्र में बस अड्डा बनाने को किया जा रहा 789 हरे पेड़ों का कटान
बरेली : कुछ दिन पहले शहर आए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के उप निदेशक डा। डीके सोनी ने जिले में वन क्षेत्र 0.01 फीसद होने पर हैरानी जताई थी। उन्होंने जिले में पौधारोपण का लक्ष्य पूछकर उसे बढ़ाने को कहा था। जिले में न्यूनतम वन क्षेत्र होने के बावजूद 789 हरे पेड़ों को काटे जाने की अनुमति दे दी गई। जबकि डीएम नितीश कुमार सभी विभागों को पहले ही योजनाओं के नाम पर पेड़ों को काटने के बजाए उन्हें ट्रांसलोकेट करने के निर्देश जारी कर चुके हैं।
पेड़ों को शिफ्ट कराने मांग
इज्जतनगर में केंद्रीय कारागार की भूमि पर बस अड्डा बनाने के लिए काटे जा रहे हरे पेड़ों से छिन्न होकर जागर संस्था के सचिव व बरेली कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डा। प्रदीप कुमार ने यह सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जिले में वन क्षेत्र काफी कम है। बावजूद इसके पौधारोपण बढ़ाने के बजाए पेड़ों को काटा जा रहा है। पेड़ काटे जाने पर आने वाले समय में लोगों को सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं मिलेगी। इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ट्वीट किया है। उनका कहना है कि बरेली में पहले से ही वन क्षेत्र न्यूनतम है, फिर भी वन विभाग ने 789 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी। उन्होंने अविलंब पेड़ों का कटान रोककर उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट कराए जाने की मांग भी मुख्यमंत्री से की है। डा। प्रदीप ने बताया कि इस मामले को लेकर वह गुरुवार को डीएम से मुलाकात करेंगे।
सागौन का एक पेड़ प्रतिदिन देता करीब ढाई सौ लीटर आक्सीजन
बरेली : केंद्रीय कारागार की भूमि पर अधिकतम पेड़ सागौन के हैं। उनकी उम्र करीब दस से 15 वर्ष के बीच होगी। पर्यावरणविद डा। आलोक खरे ने बताया कि सागौन का एक पेड़ जिसकी उम्र करीब दस से 15 वर्ष के बीच हो, वह एक दिन में करीब ढाई सौ लीटर ऑक्सीजन देता है। वही, एक स्वस्थ मनुष्य को पूरे दिन में करीब पांच सौ लीटर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। यानी सागौन के दो पेड़ एक मनुष्य को भरपूर सांस दे सकते हैं। इस तरह वहां लगे 789 पेड़ करीब चार सौ लोगों को आक्सीजन देते हैं। डा। आलोक खरे ने बताया कि सागौन, यूकेलिप्टस, पापुलर जैसे पेड़ एग्रो फारेस्ट्री प्रोग्राम के तहत कैश क्राप में आते हैं। इसलिए सरकारी भूमियों पर अक्सर इन्हें लगा दिया जाता है। अगर ये पेड़ 25 साल से अधिक समय से हैं तभी यह इमारती लकड़ी के लिए काम आ सकते हैं। इस कारण इन्हें अभी काटना बेकार है। चूंकि यह ऑक्सीजन का बड़ा जरिया हैं, इसलिए कोशिश की जानी चाहिए कि अधिकतम पेड़ों को ट्रांसलोकेट कर बचा लिया जाए।
ये कामर्शियल उद्देश्य से लगे पेड़ हैं। पेड़ों को बचाने के लिए डिजाइन में बदलाव भी किया जा चुका है।
- नितीश कुमार, डीएम बरेली