सीटेट में स्टूडेंट्स रहे हैरान, 20 आव्जर्वर की निगरानी में बीस सेंटर्स पर हुई परीक्षा
BAREILLY: सीबीएसई द्वारा ऑर्गनाइज सेंट्रल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीटीईटी) में बेहतर मार्क्स की उम्मीद लगाए बैठे कैंडीडेट्स की गणित चाइल्ड साइकोलॉजी बिगाड़ सकती है। स्टूडेंट्स को इस पोर्शन को समझने में दिमाग पर काफी जोर देना पड़ा। हालांकि बाकी पोर्शस में कैंडीडेट्स ने बेहतर परफॉर्म करने की बात कही है। इससे उन्होंने कुछ ज्यादा ही उम्मीद बांध रखी हैं। संडे को सिटी के ख्0 सेंटर्स पर सीटीईटी कंडक्ट की गई। दो पालियों में कंडक्ट की गई टेस्ट में बोर्ड की तरफ से ख्0 ऑब्जर्वर निगरानी के लिए लगाए गए थे।
भ् परसेंट रहे अब्सेंट
सिटी में टेस्ट के लिए ख्0 सेंटर्स बनाए गए थे। जिनपर दोनों पालियों में क्क्,भ्00 कैंडीडेट्स को अलॉट किया गया था। इनमें से भ् परसेंट कैंडीडेट्स अब्सेंट रहे। सुबह 9:फ्0 से क्ख् बजे की पाली में क्लास म् से 8 तक की टीचिंग के के लिए एलिजिबिलिटी टेस्ट था तो शाम ख् से ब्:फ्0 बजे तक क्लास क् से भ् तक के बच्चों के टीचर्स के लिए।
समझने में ही टाइम वेस्ट
दोनों ही तरह के पेपर में कैंडीडेट्स को सबसे ज्यादा परेशानी चाइल्ड डेवलपमेंट एंड पेडागॉगी पार्ट में हुई। फ्0 मार्क्स के टोटल फ्0 क्वेश्चंस पूछे गए थे। कैंडीडेट्स को उसके क्वेश्चन समझने में ही काफी मशक्कत करनी पड़ी। उन्होंने बताया कि क्वेश्चंस काफी घुमाऊ थे, जिस वजह से उनको बार-बार पढ़ना पढ़ा। इस वजह से इस पोर्शन को हल करने में टाइम ज्यादा वेस्ट हुआ। वहीं इंग्लिश वाले पार्ट की हार्ड लैंग्वेज ने भी कैंडीडेट्स को परेशान किया। कैंडीडेट्स ने बताया कि जो अनसीन पैसेज आया था उसमें काफी हार्ड वर्ड इस्तेमाल किए गए थे। इस वजह से उन्हें सेंटेंस को कनेक्ट करने और उसका सार समझने में काफी कठिनाई हुई। इसके अलावा बाकी पोर्शस को सॉल्व करना उन्हें कहीं ज्यादा इजी लगा।
मैं दूसरी बार सीटीईटी दे रहा हूं। इस बार चाइल्ड डेवलपमेंट की लैंग्वेज काफी टफ थी। उसे समझने के लिए एक-एक क्वेश्चन को कई बार पढ़ना पढ़ा। जिससे टाइम वेस्ट हुआ।
- संजय प्रकाश, कैंडीडेट
चाइल्ड साइकोलॉजी के क्वेश्चंस ने ज्यादा तंग तो किया ही साथ ही इंग्लिश ने भी कम परेशान नहीं किया। उसकी वोकैब्लरी काफी टफ थी। अनसीन पैसेज के अर्थ समझने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
- अंकित पटेल, कैंडीडेट
मैं दूसरी बार यह टेस्ट दे रही हूं। चाइल्ड डेवलपमेंट और इंग्लिश पार्ट ने काफी निराश किया है। अब उम्मीद बाकी पोर्शस से बंधी है। दूसरे पोर्शस काफी अच्छी तरह से सॉल्व हुए।
- निशा गुप्ता, कैंडीडेट
हार्ड लैंग्वेज होने की वजह से टेस्ट काफी लेंथी लगा। क्वेश्चंस को समझने में काफी टाइम वेस्ट हुआ। खासकर चाइल्ड डेवलपमेंट के पोर्शस को। बाकी पोर्शस काफी इजी लगे।
- अदिति जैन, कैंडीडेट