होती है day care

यूं तो क्रेच में बच्चों की केयर के लिए उम्दा अरेंजमेंट्स किए जाते हैं। यहां बच्चों के खेलने, खाने, सोने, इंटरटेनमेंट की व्यवस्था की जाती है। गौरिका डे केयर की शिप्रा आनंद ने बताया कि उनके सेंटर पर वर्किंग वूमंस सुबह अपने बच्चों को छोड़ जाती हैं। बच्चे के खाने, खेलने और सोने की पूरी व्यवस्था सेंटर में रहती है। संस्कार डे केयर सेंटर के आलोक प्रकाश ने बताया कि सेंटर में सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट बच्चों की फीडिंग होती है। हर दो घंटे पर बच्चों को हेल्दी फूड मिलता है तो बच्चे खुश रहते हैं। इसके बाद अदर एक्टिविटीज में पार्टीसिपेट भी करते हैं। क्रेच में बच्चे को रखने का खर्च 500 से 1000 रुपए पर मंथ के करीब आता है।

Precautions जरूरी हैं

आप डे केयर सेंटर में अपने लाडले को एडमिट करने जा रहे हैं तो इन बातों का ख्याल जरूर रखें। डे केयर सेंटर का लाइसेंस रजिस्टर्ड है या नहीं। वहां पेरेंट्स बच्चे किसी भी समय मिल सकते हैं या नहीं। दरअसल, कुछ डे केयर सेंटर में पेरेंट्स को इमरजेंसी के दौरान भी समय पहले मिलने की मनाही होती है। स्टाफ का एजुकेटेड होना बहुत जरूरी है। क्रेच ओवर क्राउडेड तो नहीं है। वहां बच्चे के आराम करने, खाना खाने, खेलने के लिए प्रॉपर प्लेस होना चाहिए। क्रेच में मेडिकल कंसल्टेंट होना ही चाहिए। वहीं फायर एक्सटिंग्विशर्स होना जरूरी है।

It's parenting today

पेरेंटिंग डे के मौके पर आई नेक्स्ट पेरेंटिंग टुडे एक्सप्लोरिंग पेरेंट-चिल्ड्रेन रिलेशनशिप पर एक सेमिनार का आयोजन कर रहा है। विद्या भवन पब्लिक स्कूल में होने वाले इस सेमिनार में 5 से 15 साल की उम्र के बच्चों के पेरेंट्स शामिल होंगे। सेमिनार में कम्युनिकेशन गैप, सोशल नेटवर्किंग के इफेक्ट, पेरेंट्स एज ए रोल मॉडल, ऑल्टरनेट टैलेंट्स इन एजुकेशन टॉपिक पर डिस्कशन होना है। 21 जुलाई को होने वाले सेमिनार में चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट, एजुकेशनिस्ट, सोशियोलॉजिस्ट और चाइल्ड केयर डॉक्टर शिरकत करेंगे। यहां आने वाले पेरेंट्स को बच्चों के लिए रामगंगा डेंटल क्लीनिक की ओर से फ्री ओरल एंड डेंटल चेकअप कूपन भी दिया जाएगा।

ऐसे चूज करें डे केयर सेंटर

-सेफ और क्लीन हो सेंटर।

-सेंटर में ट्रेंड और एक्सपीरियंस स्टाफ है या नहीं

-सेंटर का एन्वायरमेंट बच्चों को कम्युनिकेटिव बनाने वाला हो।

-बच्चों पर किसी तरह का बर्डन नहीं होना चाहिए।

-बच्चों के लिए एक्टिविटीज होनी चाहिए।

-स्कूल से को-ऑपरेशन होना चाहिए।

-बच्चे सेंटर में रहकर सेल्फ डिपेंड हो सकें।

-डॉ। हेमा खन्ना, साइकोलॉजिस्ट