BAREILLY:

- शहर के बहेड़ी में सीलिंग की जमीन पर होगा भ्रूण प्रत्यारोपण संस्थान का निर्माण

- उत्तराखंड के भी दुधारू गाय और भैंसों के मंगाए जाएंगे भ्रूण

जल्द ही दूध उत्पादन और प्रजनन अक्षमता की शिकार शहर की गाय और भैंसों को सेरोगेट मदर बनाए जाने की योजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा। इसके लिए बहेड़ी में भ्रूण प्रत्यारोपण संस्थान खोलने की कवायद शुरू की जा चुकी है। राजस्व विभाग के पास करीब ख्7 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है।

उत्तर प्रदेश में पशुधन विकास परिषद की कारगर पहल से प्रदेश के दुधारू पशुओं में शीघ्र भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक का प्रयोग शुरू किया जा रहा है। इसके तहत प्रजनन की दृष्टि से बेकार हो चुकी गायों का 'सेरोगेट मदर्स' के रूप में उपयोग करने की योजना है। भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीकी के प्रयोग से दुधारू पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता तो बढ़ेगी ही। साथ ही शहर को अच्छे नस्ल की दुधारू पशुओं की तादाद भी बढेगी।

ख्7 करोड़ से बनेगा प्रत्यारोपण संस्थान

बहेडी में गुडिया मोकर्ररपुर स्थित सीलिंग की जमीन पर फूड मेगा पार्क के पास भ्रूण प्रत्यारोपण संस्थान बनाए जाने की योजना है। गुडिया मोकर्ररपुर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ। एसएनपी गहलोत ने बताया कि इसके लिए राजस्व विभाग से करीब ख्7 करोड़ की धनराशि जारी होने की उम्मीद है। वहीं, फूड मेगा पार्क में संस्थान को भूमि आवंटित कराने के लिए डीएम को एनओसी लेटर भेजा गया है। एनओसी मिलते ही निर्माण कार्य शुरू ि1कया जाएगा।

अमेरिका की सेक्सिंग तकनीकी से होगा प्रत्यारोपण

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ। एनपीएस गहलोत ने बताया कि अच्छे और विदेशी नस्ल की गायों में भी भ्रूण प्रत्यारोपण करके पशु संततियों को उत्पन्न किया जाएगा। इस तकनीक से गाय अब सिर्फ बछिया ही जन्मेगी। जरूरत पड़ने पर बछड़े को भी भ्रूण प्रत्यारोपण विधि से जन्म दिया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की सेक्सिंग तकनीक को अपनाकर दुधारू गायों में भ्रूण प्रत्यारोपण के जरिए उच्च कोटि की नस्ल वाली दुधारू बछियों को उत्पन्न किया जाएगा। इस तकनीक से उत्पन्न गाय और भैंसें म्0-म्भ् लीटर दूध देने वाली होंगी।

दुधारू पशुओं से लिया जाएगा भ्रूण

डॉ। गहलोत ने बताया कि अच्छी नस्ल की गाय को तकनीक के माध्यम से गर्माकर उससे साल भर में दो से तीन अंडे यानि डिम्ब लिए जा सकेंगे। जिनसे एक बार में क्ब् से क्भ् डिम्ब या अंडे निकाले जा सकते हैं। उनको अच्छी नस्ल के सांड के सीमेन से निषेचित करके उन गायों या भैंसों के गर्भ में डाल दिया जाएगा, जोकि दूध देने के काबिल नहीं हैं। इस प्रॉसेस में करीब 70 से 80 दिन लगेंगे। इसमें किसी प्रकार की कोई कमी या बीमारी भी नहीं रहेगी। वहीं अच्छी नस्ल की गाय से दुग्ध उत्पादन को बाधित किए बिना सालभर में फ्0.फ्भ् डिम्ब या अंडे प्राप्त करके इतने ही बच्चे 'बछिया' पैदा किए जा सकेंगे।

उत्तराखंड से लिए जाएंगें भ्रूण

प्रजनन से पीडि़त गायों और भैंसों की उपयोगिता बनाए रखने के लिए शहर समेत उत्तराखंड की पशुओं से एम्बू और सीमन मंगाए जाएंगे। इसके लिए ज्यादा दुधारू पशुओं का ही चुनाव किया जाएगा। संस्थान में इनको करीब ढाई से तीन महीने तक प्रीजर्व करके रखा जा सकेगा। फिलहाल शहर में क्ब्-क्भ् लीटर प्रतिदिन दूध देने वाली साहीवाल गायें हैं। इन गायों के बच्चों की संख्या तथा इनमें दुग्ध उत्पादन की मात्रा भी बढ़ाई जाएगी। डॉ। गहलोत ने बताया कि उत्तराखंड के पास विदेशी नस्ल की गायों और भैंसों का भ्रूण आयात करने का लाइसेंस है। इसलिए विदेशी नस्ल की गायों के भ्रूण को उत्तराखंड से खरीद कर शहर की दुधारू गायों में प्रत्यारोपित करके उच्च कोटि के दुधारू पशुओं के बच्चे पैदा किए जाएंगे।