बरेली (ब्यूरो)। महात्मा ज्योतिबाफुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 94 मेधावियों को स्वर्ण पदक और 187 को शोधार्थियों को पीएचडी की डिग्री देकर सम्मानित किया। इस दौरान राज्यपाल आनंदी बेन पटेल अच्छे गुरु के अंदाज में संस्कार और मानवता का पाठ भी पढ़ा गईं। उन्होंने कहा कि पौराणिक पांचाल क्षेत्र एवं जैन परंपरा की महत्वपूर्ण स्थान की भूमि ने भारतीय सभ्यता का अपना अहम योगदान दिया है। मैं उन सभी महान विभूतियों को नमन करती हूं। दीक्षांत समारोह में छात्राओं ने सबसे अधिक स्वर्ण पदक हासिल किए हैं। यह सिर्फ रुहेलखंड विश्वविद्यालय की बात नहीं है। देश के अन्य विश्वविद्यालयों का भी यही हाल है। देश की बेटियां शिक्षा ही नहीं हर क्षेत्र में आगे हैं। तीन साल के बाद पूरे भारत में छात्राएं ही हर क्षेत्र में चमकेंगी। ऐसे में छात्रों का क्या होगा? राज्यपाल ने कहा कि 21वीं सदी महिलाओं की होगी।
माता पिता का करें सम्मान
एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के अटल सभागार में मंडे को दीक्षांत समारोह में बोल रही थीं। उन्होंने मेधावियों से कहा कि आपको स्वर्ण पदक माता-पिता के आशीर्वाद से मिला है। यहां से घर जाकर पदक को माता के कदमों में जाकर रख देना। आप सभी की सफलता के पीछे माता की सबसे अहम भूमिका है। उसने तुमको जन्म दिया। नौ माह तक कोख में रखा। तीन साल तक आपकी ऐसी परवरिश की है कि अपने पेट में भी जो खाया उसे भी आपको ही खिला दिया। स्कूल जाते समय भी महिलाएं बच्चों का बैग भी कंधे पर रखती हैं। उसकी कोई अपेक्षा नहीं होती लेकिन, आपको भी उसी तरह उसकी सेवा करनी चाहिए जैसे उसने आपकी की है।
मिलेगी नई दिशा
दीक्षांत समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में डिजिटल लर्निंग हब शिक्षा को नयी दिशा देगा। यह हमारे लिए गौरव का क्षण है। हमने जब पढ़ाई की उस समय दीक्षांत समारोह नहीं होते थे। अब हर साल दीक्षांत समारोह हो रहे हैं। खुशी की बात है।
रतन टाटा का किया जिक्र
उन्होंने कहा कि उद्योगपति रतन टाटा से मिलने का मुझे बार-बार अवसर मिला। वह उद्योगपति के साथ सच्चे समाजसेवा थे। उन्होंने मानसेवा के लिए तमाम कल्याणकारी कार्य किए हैं। रतन टाटा ने मुंबई में पशुओं के लिए एक बड़ा अस्पताल बनाया है। हम तो रोटी भी पशुओं को नहीं खिलाते हैं। इसीलिए कुत्ते लोगों को काट रहे हैं। जबकि रतन टाटा ने जानवरों के लिए बड़ा हॉस्पिटल मुंबई में बनाया है। रतन टाटा सिर्फ सक्सेस बिजनेसमैन ही नहीं वह समाज के लिए बड़ा योगदान करते थे।
पोर्टल से मिलेगा लाभ
उन्होंने कहा कि पहले विश्वविद्यालय प्राइवेट एजेंसियों से परीक्षा आदि कार्य कराने के नाम पर 200 करोड़ रुपये खर्च करती थीं। सामर्थ पोर्टल के माध्यम से हमने यह धनराशि बचाई है। उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञों पर कटाक्ष किया। कहा है कि चुनाव आते हैं सभी अपनों को एडजेस्ट कराने के लिए लग जाते हैं। राजनीतिक शास्त्र पढऩे से कोई नेता नहीं बन सकता है। इसके लिए पीएचडी की भी जरूरत नहीं है। गांव में जाकर सेवा का काम करिए। आपकी पहचान स्वयं बन जाएगी। इसके बाद आपको राजनीतिक दल स्वयं आपको तलाश लेंगे। बीआर आंबेडकर एनआइटी, जालंधर, पंजाब के निदेशक एवं मुख्य अतिथि प्रोफेसर बिनोद कुमार, प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने समारोह में अपने विचार रखे। संचालन परीक्षा नियंत्रक संजीव कुमार ङ्क्षसह ने किया।