‘Grab opportunity and rule the world’
सक्सेज का कोई शॉटकर्ट नहीं होता। एकेडमिक लेवल पर हार्ड वर्क, लाइफ में पेशेंस और कुछ कर गुजरने का जुनून ही एक स्टूडेंट्स को उसके प्रोफेशनल करियर में वो ऊंचाइयां देता है। जिसकी वह कल्पना करता है। श्री राम मूर्ति स्मारक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की 12वीं और श्री राम मूर्ति स्मारक वूमेंस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की दूसरी कॉनवोकेशन के ऑकेजन पर जीबीटीयू के वीसी प्रो। आरके खंडल ने स्टूडेंट्स को ये सक्सेज मंत्रा दिया। वे फंक्शन में बतौर चीफ गेस्ट मौजूद रहे। इस ऑकेजन पर विशिष्ट अतिथि के रूप में गुरुगोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्विद्यालय, नई दिल्ली के वीसी प्रो। डीके बंधोपाध्याय भी मौजूद रहे।
Human values न छोड़ें
प्रो। आरके खंडन ने स्टूडेंट्स को वैल्यूज के साथ जुड़े रहने की भी सीख दी। उन्होंने कहा कि आप टॉप ऑफ द वल्र्ड तभी रह सकते हैं जब ह्यूमन वैल्यूज से समझौता नहीं करेंगे। सक्सेज के साथ सभी को रेस्पेक्ट देना भी जरूरी है।
Innovative बनें
जीबीटीयू के वीसी ने चेयरमैन देवमूर्ति को भी सीख दी। उन्होंने कहा कि कैंपस का ज्यादा उपयोग रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए करना चाहिए। कैंपस का एनवायरमेंट और सोर्सेज ऐसे हों कि स्टूडेंट्स रिसर्च की तरफ इंट्रेस्ट ले सकें। रिसर्च भी इनोवेटिव होनी चाहिए। उन्होंने कैंपस में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ओपन करने की सलाह दी, जिससे स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग करके निकले तो महज हाथ में डिग्री न हो।
600 students को मिली डिग्री
कॉनवोकेशन में श्री राममूर्ति स्मारक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के करीब 350 और श्री राममूर्ति स्मारक वूमेंस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के 250 स्टूडेंट्स को डिग्री दी गई। इनमें बीटेक, एमबीए, एमसीए, बीफॉर्मा के स्टूडेंट्स शामिल रहे। कोर्स में टॉपर रहे स्टूडेंट्स को मेडल्स के साथ कैश प्राइज दिया गया। इससे पहले चीफ गेस्ट, विशिष्ट अतिथि के साथ चेयरमैन देवमूर्ति और आदित्य मूर्ति ने कॉनवोकेशन का इनॉग्रेशन किया। इस ऑकेजन पर डीन एकेडमिक डॉ। प्रभाकर, ट्रस्ट एडमिनिस्ट्रेटर सुभाष मेहरा समेत स्टाफ और स्टूडेंट्स मौजूद रहे।
Patience बहुत जरूरी है
कॉनवोकेशन में अपने भाषण से स्टूडेंट्स के बीच जोश भरते हुए प्रो। आरके खंडल ने कहा कि जस्ट ग्रैब दी अपॉच्र्यूनिटी। अपने स्किल्स व नॉलेज को बढ़ाओ। अपॉच्र्यूनिटी की तलाश करते रहें। शॉटकर्ट अपनाने में न रहें और जैसे ही कोई अपॉच्र्यूनिटी मिले उसे जाने न दें। उन्होंने कहा कि लाइफ में सक्सेज के लिए पेशेंस बहुत जरूरी होता है। फॉरेन कंट्रीज के करीब हर एरिया में हम इंडियंस रूल कर रहे हैं। लेकिन यह यह तभी हो पाया जब उन्होंने पेशेंस के साथ किसी भी अपॉच्र्यूनिटी को नहीं जाने दिया।
Gold medalists of SRMS Women’s College
बीटेक: आकार्षा अग्रवाल, स्वस्ति शर्मा, श्वेता रस्तोगी, मानवी अग्रवाल, विभूति अग्रवाल।
एमबीए: आकांक्षा जोशी, निधि गर्ग ।
श्री राममूर्ति स्मारक कॉलेज के gold medalist
बीटेक : दिशा बंसल, अनुपम मिश्रा, दीपक श्रीवास्तव, दिशा बंसल, अनुपम मिश्रा, सुनील कुमार, प्रिया रघुवंशी, अकांक्षा अग्रवाल। एमबीए: रचना राना, हरि प्रताप सिंह।
एमएसीए: इति गुप्ता, अंकुर गुप्ता। बीफार्मा: गुलनाज बानो, नेहा उपाध्याय।
ये बनना चाहते हैं world के big boss
श्री राममूर्ति कॉलेज से पास आउट इंजीनियरिंग और एमबीए के स्टूडेंट्स का ख्वाब है 'टू बिकम बिग बॉस ऑफ द मल्टीनेशनल कंपनीज एंड रूल द वल्र्डÓ। इसके लिए वे हार्ड वर्क से भी नहीं घबरा रहे हैं। यही वजह है कि कई स्टूडेंट्स अपने हायर एजुकेशन को भी कंटीन्यू करना चाहते हैं। जिससे फ्यूचर में उनके करियर में कोई रुकावट पैदा न हो।
मुझमें है लीडरशिप क्वालिटी
एमबीए में गोल्ड मेडल हासिल करने वाली रचना दिल्ली की मल्टीनेशनल कंपनी में कॉन्फ्रेंस एग्जीक्यूटिव हैं। वह कहती हैं कि उनमें लीडरशिप क्वालिटी है और वह टॉप कंपनी में टॉप की पोस्ट हासिल करना चाहती हैं।
तैयारी के बाद ही बढ़ाऊंगी कदम
श्वेता रस्तोगी कॉरपोरेट वल्र्ड में कदम रखने से पहले अपने आप को पूरी तरह से प्रिपेयर करना चाहती हैं यही वजह है कि वह बीटेक के बाद एमटेक की पढ़ाई कर रही है। फाइनल ईयर बीटेक में हाइएस्ट स्कोर करने पर उसे गोल्ड मेडल दिया गया।
गोल सेट करने से ही बनेगी बात
बीटेक में गोल्ड मेडल विजेता दीपक प्रजेंट में न्यू देल्ही में स्थित एक कंपनी में असिसटेंट मैनेजर के पोस्ट पर हैं। लक्ष्य सिविल सर्विसेज में कदम रखने का है। उनका मानना है कि बिना गोल के स्टूडेंट में भटकाव आता है।
लाइफ में हासिल करना है मुकाम
आकांक्षा का ख्वाब उसके नाम की तरह ही लाइफ में कुछ बड़ा मुकाम हासिल करने का है। आकांक्षा ने बताया कि वह अपने आपको वह वल्र्ड की टॉप कंपनी की सईओ देखना चाहती है। एमबीए में गोल्ड हासिल कर चुकी आकांक्षा एक रियल स्टेट कंपनी में सीनियर एग्जिक्यूटिव ऑफिसर है।
परफेक्शन से ही बनेगी राह
अकार्षा अग्रवाल परफेक्शन को ज्यादा तवज्जो देती है। यही वजह है कि उसने दो गोल्ड मेडल हासिल किए। अकार्षा फिलहाल एकेडमिक करियर को परफेक्शन देने में लगी है। बीटेक के बाद देलही से एमटेक कर रही है।
सोशल वर्क भी करने की ख्वाहिश
मानवी अग्रवाल एक कंपनी में ट्रेनी इंजीनियर है। लेकिन साथ में अपना खुद का एनजीओ भी चलाना चाहती है। यह प्रेरणा उसे फैमिली से ही मिली। उसकी मदर एक स्कूल में टीचर है। मानवी ने बताया कि कॉर्पोरेट वल्र्ड में काम करने के साथ-साथ वह सोशली अटैच रहना चाहती है।