- चार सौ के लिए दो साल तक करनी पड़ी मशक्कत

- कंज्यूमर्स फोरम ने बैंक पर लगाया जुर्माना

BAREILLY:

अपनी कलम से दूसरों को न्याय देने वाले एक जज ने अपना हक पाने पाने की कानूनी लड़ाई लड़कर लोगों के लिए एग्जाम्पल सेट किया है। यह उन लोगों के लिए एक सबक है, जो सरकारी सिस्टम की बेपरवाही को नजरअंदाज करते रहते हैं। सिस्टम की गलतियों को सहते रहते हैं और कहते रहते हैं कि पूरा सिस्टम ही ऐसा है। जज ने यह केस रुपयों के लिए नहीं बल्कि सही व गलत के लिए लड़ा। उनकी यह जंग सिस्टम से थी, और इस जंग में उनको जीत भी मिली। सिर्फ इतना ही नहीं इस पूरे मामले ने इस बात का भी साफ संदेश दिया है कि जब तक आप खुद नही जागेंगे, तब तक कुछ भी नहीं बदलेगा।

सिर्फ ब्00 रुपए के लिए लड़ा पूरा मामला

यह बात तो यकदम क्लीयर है कि ब्00 रुपए की आज कितनी अहमियत है, लेकिन यहां पर मामला रुपयों का था नहीं, सिर्फ लापरवाह को सबक सिखाने और लोगों को यह बताने की थी कि जंग लंबी भले ही हो जाए, लेकिन जीत सही की ही होती है। इस मामले की नींव जुलाई ख्0क्फ् में पड़ी थी, तब से लगातार जज इस केस को फॉलो करते रहे हैं।

क्या था पूरा मामला

मामला सिविल लाइंस में रहने वाले पूर्व जज गंगा बख्श सिंह के बेटे मृदुलेश कुमार सिंह जुड़ा है। वह बरेली में फास्ट ट्रेक कोर्ट में सेशन जज है। इनका एसबीआई मेन ब्रांच में सेविंग अकाउंट है। म् मार्च ख्0क्फ् को इन्होंने बैंक में एक रिकरिंग डिपॉजिट(आरडी) अकाउंट को एक साल के लिए ओपेन करवाया था। आरडी अकाउंट क्0,000 रुपए प्रति माह के हिसाब से खोला गया था। आरडी पूरी होने के बाद धनराशि क्,ख्भ्,799 रुपए बैंक ने दर्शायी। जिसके बाद क्ख् मार्च ख्0क्ब् को उन्होंने आरडी का पैसा सेविंग एकाउंट में ट्रांसफर करने की बात कही। लेकिन बैंक की ओर से चार सौ रुपए अकाउंट में कम ट्रांसफर किए गए।

लेकिन, नहीं बैंक ने नहीं सुनी

जब ब्00 रुपए बैंक ने कम ट्रांसफर किए तो उन्होंने इसका जवाब मांगा व बैंक को शेष अमाउंट जमा करने की कही, लेकिन बैंक ने नहीं सुनी। उपभोक्ता फोरम ने केस की पैरवी कर रहे एडवोकेट संजय कुमार वर्मा ने बताया कि जब बैंक अधिकारियों ने सुनवाई नहीं की तो फिर क्क् जून ख्0क्ब् को कानूनी नोटिस बैंक के खिलाफ भेजी गई। नोटिस के बाद भी बैंक ने पैसे देने से साफ मना कर दिया। जिसके बाद मृदुलेश कुमार सिंह ने कंज्यूमर फोरम में ख्फ् जुलाई ख्0क्ब् को बैंक के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

बैंक को देना होगा जुर्माना

इस मामले में कंज्यूमर फोरम ने अपने निर्णय में बैंक को दोषी माना है। फोरम के प्रेसीडेंट मोहम्मद आदिल ने अपने आदेश में यह बात कही है कि, बैंक ने आरडी जमा खाते में अनुचित रूप से कटौती की है। इस लिए बैंक को ब्00 रुपए देने होंगे। साथ ही मेंटली हैरेसमेंट के एक हजार रुपए पीडि़त को देना होगा। यदि, बैंक फ्0 दिन के अंदर जुर्माने का पैसा नहीं देता है तो, 9 परसेंट के हिसाब से ब्याज भी बैंक को ख्फ् जुलाई ख्0क्ब् से जोड़कर देने होंगे।

फोरम में केस दर्ज कराने का प्रोसेस

- आप कस्टमर साबित होने की स्थिति में ही उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज करा सकते हैं। मसलन, अगर आपको रोडवेज के खिलाफ केस करना है तो बस का टिकट आपके पास होना चाहिए।

- मामला जहां का होगा, वहीं के उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज कराया जाएगा।

- कंप्लेन से जुड़ा जितने डॉक्यूमेंट होंगे, उतना ही बेहतर होता है।

- फोरम का मिनिमम क्00 व मैक्सिमम भ्00 रुपए फीस है।

- बीपीएल कार्ड धारक से किसी भी तरह की फीस लेने का प्रावधान नहीं है।

- 90 दिन में फैसले का प्रावधान है।

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कितने के मामले पर कहां होगी कंप्लेन

- 0 से ख्0 लाख रुपए तक डिस्ट्रिक्ट कमीशन।

- ख्0 लाख से क् करोड़ रुपए तक स्टेट कमीशन।

- क् करोड़ रुपए से अधिक नेशनल कमीशन।

बैंक ने ब्00 रुपए काटकर पैसे का भुगतान किया था। जब इसके बारे में पूछा गया तो बैंक ने कोई संतोष जनक जवाब नहीं दिया। जिसके बाद कानूनी नोटिस भेज कंज्यूमर फोरम में मामला चला। पीडि़त के पक्ष में कंज्यूमर फोरम ने अपना फैसला दिया है।

संजय कुमार सिंह, एडवोकेट