उत्तराखंड के मरीजों के मेंटल हॉस्पिटल में एडमिट करने पर रोक
डायरेक्टर ने कहा शासनादेश के तहत नहीं ले रहे उत्तराखंड के मरीज
हॉस्पिटल में कुल बेड के मुकाबले एडमिट मरीजों का ग्राफ भी गिरा
BAREILLY: बरेली के मेंटल हॉस्पिटल और यहां के डायरेक्टर की वर्किंग एक बार फिर चर्चाओं में है। इस बार मामला सड़क पर बैठी मरीज को हॉस्पिटल में इलाज न मिलने से इतर है। सरकार का एक आदेश मेंटल हॉस्पिटल में पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के मानसिक मरीजों के लिए मुसीबत बन गया है। दरअसल हॉस्पिटल के नए डायरेक्टर डॉ। एसके श्रीवास्तव ने जीओ का हवाला देते हुए अगस्त से ही मेंटल हॉस्पिटल में उत्तराखंड के मरीजों को एडमिट कराने पर रोक लगा दी है, लेकिन इस जीओ की असलियत से न तो स्टाफ वाकिफ है और न ही मरीज। ऐसे में जो जीओ जारी भी किया गया है उस पर डायरेक्टर के निर्देशों पर भी सवाल उठ रहे हैं।
यह है सरकार का जीओ
साल ख्008 से पहले तक प्रदेश में मेंटल हॉस्पिटल्स वाले आगरा, बनारस, लखनऊ व बरेली जिलों में ही आस पास के जनपदों के मरीजों की भी इलाज की व्यवस्था थी। ख्8 जून ख्008 को शासन ने यह व्यवस्था खत्म कर किसी भी मेंटली डिसेबल्ड मरीज को प्रदेश के किसी भी मेंटल हॉस्पिटल में इलाज की सुविधा मिलने के आदेश जारी किए। यह सुविधा प्रदेश के सभी जनपदों के मरीजों के लिए लागू है। शासनादेश के इस लाइन पर ही कंफ्यूजन बनाया गया है। अगस्त में मेंटल हॉस्पिटल के डायरेक्टर बनाए गए डॉ। एसके श्रीवास्तव ने इस जीओ के आधार पर उत्तराखंड के मरीजों को ओपीडी में इलाज मिलने की छूट दी लेकिन इलाज के लिए उन्हें एडमिट कराने पर रोक लगा दी है।
स्टाफ ने लगाए आरोप
शासनादेश को कड़ाई से लागू कराने वाले डायरेक्टर के इस फैसले से मेंटल हॉस्पिटल के स्टाफ कर्मचारी भी हैरान है। स्टाफ का कहना है कि उन्हें ऐसे किसी शासनादेश की जानकारी नहीं। न ही पुराने डायरेक्टर्स ने ऐसे किसी शासनादेश के जारी होने या लागू कराने के निर्देश दिए थे। स्टाफ का आरोप है कि हॉस्पिटल में नए मरीजों को एडमिट नहीं कराया जा रहा, जिससे कि उनके इलाज की जिम्मेदारी से बचा जा सके।
हॉस्पिटल में घटे मरीज
स्टाफ का कहना है कि नए नियमों के चलते हॉस्पिटल में एडमिट होने वाले मरीजों की तादाद में गिरावट आई है। हॉस्पिटल में पुरुष व महिला वार्ड समेत कुल ब्08 मरीजों को एडमिट करने के लिए बेड की व्यवस्था है, लेकिन मौजूद समय में सिर्फ क्9भ् मरीज ही हॉस्पिटल में एडमिट हैं। जबकि नए डायरेक्टर की ज्वाइनिंग से पहले जुलाई तक एडमिट होकर इलाज कराने वाले मरीजों का आंकड़ा ख्भ्0 के ऊपर रहता था।
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शासन का ख्008 का जीओ है। उस समय के हेल्थ डायरेक्टर के समय से ही यह लागू कर दिया गया था। हॉस्पिटल के पुराने अधिकारियों ने इसे क्यों नहीं फॉलो कराया, मैं नहीं जानता। हॉस्पिटल में खराब सिस्टम पर रोक लगाई है, इसलिए कई लोग विरोध में हैं।
- डॉ। एसके श्रीवास्तव, डायरेक्टर, मेंटल हॉस्पिटल
यह मामला संगीन है। मेंटल हॉस्पिटल में मरीज को इलाज न मिलने वाले में एक कमेटी गठित की है। इसी कमेटी से शासनादेश वाले बिन्दु पर भी जांच कराने के निर्देश जारी किए जा रहे हैं। जांच के बाद इस पर कार्यवाही की जाएगी।
- संजय कुमार, डीएम
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मेंटल हॉस्पिटल के बाहर बियर
बरेली का मेंटल हॉस्पिटल पिछले कुछ दिनों से विवादों के साये में है। मरीज को तीन दिन से इलाज न मिलने के विवाद के एक दिन बाद ही थर्सडे को हॉस्पिटल के मेनगेट के बाहर ही बीयर की बोतल पड़ी मिली। मेनगेट से चंद कदमों की दूरी पर ही एक शेड के नीचे बीयर की आधी भरी बोतल पड़ी मिली। हॉस्पिटल के कर्मचारियों ने रात में हॉस्पिटल के बाहर अवांछित लोगों के जुटने की बात कही।
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