-एसआरएमएस रिद्धिमा में गुरुओं संग शिष्यों ने दिखाई प्रतिभा
-भरतनाट्यम, कथक, गजल और वादन की जुगलबंदी
बरेली। एसआरएमएस रिद्धिमा में मंगलवार को त्रिधारा कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना के साथ हुई। इसके बाद दक्षिण भारत के मंदिरों से निकली भारत की एक प्राचीन कला भरतनाट्यम को अंबाली प्रहराज द्वारा प्रस्तुत कर भारतीय संस्कृति और नृत्य के मिलन को दर्शाया। गजल गायक उस्ताद नासिर हुसैन साहब के पोते उस्ताद दानिश हुसैन ने यमन राग पर सखी री याद पिया की आये की बंदिश पेश की। उन्होंने अहमद फराज की प्रसिद्ध गजल रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ को अपनी आवाज में पेश कर वाहवाही लूटी। इसके बाद गायिका इन्दू परडल एवं शिवांगी मिश्रा ने मंच संभाला। दोनों ने फिल्म उत्सव में लता और आशा के स्वर से सजे वसंत देव के गीत मन क्यूं बहका को अपनी आवाज दी। इंदू ने मिर्जा गालिब की गजल दिल ए नादां को भी स्वर देकर सबकी तालियां बटोरीं। पूर्वी बंगाल की भटियाली धुन के द्वारा कुंवरपाल, आशीष कुमार एवं संस्थान के विद्याíथयों ने सितार की जुगलबंदी पेश कर सभागार को संगीतमयी बना दिया। कार्यक्रम की समाप्ति कथक नृत्य के द्वारा की गई। गुरु अमृत मिश्रा एवं श्रेयसी मुंशी ने कथक पर बंदिश पेश कर लोगों को भावविभोर कर दिया। अंत में कथक के शिष्यों के राग मालकोश पर मनमोहक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ। अनुज सक्सेना ने किया। सभागार में श्री राममूíत स्मारक ट्रस्ट के चैयरमेन देव मूíत, आशा मूíत, आदित्य मूíत, ऋचा मूíत, डॉ.आरपी सिंह, डॉ। प्रभाकर गुप्ता, डॉ। शरद जौहरी, डॉ। नीलिमा मेहरोत्रा एवं शहर के सम्भ्रांत लोग मौजूद रहे।