- कंज्यूमर फोरम में बढ़ रहे नए मामले
- पेंडिंग केसेज की संख्या भी कहीं अधिक
- पहले के मुकाबले कंप्लेंट्स दर्ज कराने वालों की संख्या बढ़ी
BAREILLY: बरेली के कंज्यूमर्स अब जाग चुके हैं। अब कंपनीज और शॉप ओनर्स की किसी भी बेईमानी पर वे चुप नहीं बैठते। जी हां शॉप ओनर्स, स्कूल मैनेजमेंट, बैंक्स, इंश्योरेंस जैसी कई कंपनीज से परेशान बरेलियंस अब सीधा कंज्यूमर फोरम का रुख कर रहे हैं। इसका सबूत है कंज्यूमर फोरम में आने वाले केसेज की बढ़ती संख्या। सिटी की फर्स्ट एंड सेकेंड दोनों फोरम में कंप्लेंट्स की संख्या में इजाफा हो जा रहा है। आलम यह है कि दर्जनों केस की सुनावाई प्रोसेसिंग में है, तो कुछ पेंडिंग में पड़े हैं। ऑफिसर्स का कहना है कि कंज्यूमर्स पहले के मुकाबले लोग ज्यादा अवेयर हुए हैं। पहले जहां छोटी-छोटी बातों को लोग नजर अंदाज कर देते थे। वहीं अब इससे उलट वह मामले लेकर कंज्यूमर फोरम में पहुंच रहे हैं।
ब्00 से अधिक मामले
फर्स्ट एंड सेकेंड फोरम में मिलाकर टोटल केसेज की संख्या ब्00 से अधिक पेंडिंग है। फर्स्ट फोरम में सबसे ज्यादा ख्8भ् मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं और दिन ब दिन इन मामलों में बढ़ोतरी ही आती जा रही है। ऑफिसर्स ने बताया कि फोरम में सबसे अधिक बैंक्स और इंश्योरेंस के मामले दर्ज है। फर्स्ट फोरम में 9क् इंश्योरेंस और ब्7 मामले बैंकों के ही हैं। हर दिन दो से तीन नए मामले आ रहे हैं।
भार कम करने के लिए नई व्यवस्था
केस के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए एक नई व्यवस्था की गई है। पहले फर्स्ट और सेकेंड कंज्यूमर फोरम के अपने अधिकार क्षेत्र थे। उसी क्षेत्र के मामले दोनों फोरम में दर्ज होते थे, लेकिन अब एक-एक महीने में मामले को डिस्टिब्यूट कर दिया गया है। यानि एक महीने फर्स्ट में नए मामले दर्ज होंगे तो, दूसरे महीने सेकेंड फोरम में नए मामले दर्ज होंगे। ताकि केस की सुनवाई में आसानी से हो सके और पेंडिंग केसेज की संख्या कम हो सके।
कार्रवाई का प्रावधान
कंज्यूमर्स अपने राइट्स का इस्तेमाल कर कंज्यूमर फोरम में कंप्लेन दर्ज करा सकता है। पैकेज कम्यूनिटी रूल्स के अकॉर्डिग जिस कंपनी का प्रोडक्ट होता है उसके खिलाफ नोटिस भेजा जाता है। कंपनी पर जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर घटतौली का मामला सामने आता तो शॉप ओनर के खिलाफ बाट-माप अधिनियम ख्009 धारा फ्0 के अंतर्गत कार्रवाई की जाती है। इसके तहत ख्भ् हजार से क् लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है।
फोरम में केस दर्ज कराने का प्रोसेज
- कंज्यूमर साबित होने की स्थिति में केस दर्ज करा सकते हैं।
- जिस सिटी के फोरम में कंप्लेन दर्ज कराना है, मामला वहां का होना चाहिए।
- कंप्लेन से जुड़े डॉक्यूमेंट्स के चार सेट, एक एडवोकेट, एक खुद के पास, एक फोरम में और एक पार्टीज जो बनती है, उनके पास होना चाहिए।
- फोरम का फीस मिनिमम क्00 व मैक्सिमम भ्00 रुपए है।
कितने मनी पर कहा होगी दर्ज होगी कंप्लेन
- 0 से ख्0 लाख रुपए तक डिस्ट्रिक्ट कमीशन।
- ख्0 लाख से क् करोड़ रुपए तक स्टेट कमीशन।
- क् करोड़ रुपए से अधिक नेशनल कमीशन।
हर तरह के मामले फोरम में आ रहे हैं। लोग पहले के मुकाबले ज्यादा अवेयर हुए हैं। यह अच्छी बात है।
-बालेंदु सिंह, प्रेसीडेंट, कंज्यूमर फोरम