‘Test’ की आधी कमाई doctors को
'धरती के भगवान' यानि डॉक्टर्स सिर्फ दवा के नाम पर ही अपनी जेबें नहीं भरते, बल्कि इनकी कमाई के कई और निराले खेल हैं। सिटी के अधिकांश डॉक्टर्स के लिए जांच के नाम पर पेशेंट को किसी पैथोलॉजी में रिकमंड करने के पीछे कमाई का अर्थशास्त्र भी बहुत काम करता है। हम ऐसा कतई नहीं कह रहे हैं कि सब डॉक्टर्स सिर्फ अपनी जेब गरम करने के लिए पेशेंट को किसी जांच के लिए रेफर करते हैं। इस पवित्र पेशे में आज भी कई ऐसे नेक डॉक्टर हैं जिनपर गर्व होता है। लेकिन इनकी संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। आज हम आपको डॉक्टर्स और पैथोलॉजी सेंटर्स के बीच चल रही अघोषित डील से रूबरू कराएंगे।
रोजाना 25 लाख commission
शहर में करीब 142 पैथोलॉजी चल रही हैं। इन सभी में डेली मेडिकल टेस्ट का ही टर्नओवर 50 लाख रुपये से ज्यादा का है। सोर्सेज के अनुसार, मेडिकल टेस्ट पे्रस्क्राइब करने का खेल क्लीनिक, नर्सिंग होम और बड़े हॉस्प्टिल्स में अलग-अलग ढंग से चलता है। साफ-सुथरी छवि वाले एक सीनियर फिजीशियन ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि क्लीनिक और नर्सिंग होम के केस में डॉक्टर का 50 से 60 परसेंट तक कमीशन फिक्स होता है। अगर मोटा-मोटा जोड़ा जाए तो डेली पेशेंट्स की जेब से 25 लाख रुपए की रकम सिर्फ कमीशन के नाम पर डॉक्टर्स की जेब में जाता है।
90 percent doctors धंधे में
सोर्सेज के एकॉर्डिंग, कई बड़ी पैथोलॉजीज 20 से 25 परसेंट के डायरेक्ट कमीशन पर डॉक्टर्स के साथ कॉन्ट्रेक्ट कर लेती हैं। शहर के 90 परसेंट डॉक्टर्स सेटिंग का फायदा उठा रहे हैं। वहीं बड़े हॉस्पिटल्स में पैथोलॉजी तो है मगर ट्रेंड स्टाफ नहीं है। ज्यादातर पैथोलॉजी टेक्नीशियंस के हवाले हैं। पैथोलॉजी एसोसिएशन में रजिस्टर्ड पैथोलॉजिस्ट 36 हैं। जबकि टोटल पैथोलॉजिस्ट की संख्या 50 के करीब है। वहीं 142 पैथोलॉजी बिजनेस कर रही हैं। चूंकि पैथोलॉजिस्ट की संख्या सीमित है इसलिए कई पैथोलॉजी की रिपोर्ट में नीचे डॉक्टर के साइन नहीं होते, बल्कि सोनोलॉजिस्ट लिखा होता है। पैथोलॉजी एसोसिएशन सोर्सेज के मुताबिक अल्ट्रासाउंड में 50 परसेंट, सीटी स्कैन में 50 से 60 परसेंट और एमआरआई में 60 परसेंट तक का स्ट्रेट कमीशन डॉक्टर का होता है।
Report के नाम पर गुमराह
कमीशन के अलावा एक खेल अननेसेसरी मेडिकल टेस्ट का होता है। इसमें सबसे ज्यादा खेल न्यूली बॉर्न बेबी और नॉर्मल रूटीन टेस्ट के साथ होता है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के रेडियोलॉजिस्ट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गुमराह करने वालों में सबसे आगे पीडिएट्रिशियन हैं। अक्सर देखा गया है कि जब बच्चा पैदा होता है उसे इंफेक्शन बता दिया जाता है। फिर हॉस्पिटल अपनी ही लैब से इंफेक्शन के टेस्ट करवाता है। स्टैंडर्ड के एकॉर्डिंग न्यूली बॉर्न बेबी का इंफेक्शन 10 मिमी से ऊपर नहीं आना चाहिए। अब रिपोर्ट में पहले 40 मिमी या उससे ज्यादा दिखाकर पेरेंट्स को कंफ्यूज कर दिया जाता है।
पर्दे के पीछे ये भी होता है
केमिस्ट एसोसिएशन के सोर्सेज ने बताया कि कुछ पैथोलॉजी में तो चोरी-छिपे सेक्स डिटरमिनेशन टेस्ट भी होता है। इनके एजेंट ज्यादातर केसेज गांव से लाते हैं। चंूकि ये खेल पर्दे के पीछे चलता है इसलिए जिम्मेदारों को इसकी सुध नहीं है। वहीं इन पैथोलॉजी में ट्रेंड स्टाफ नहीं रहता, जिसका खामियाजा आखिरकार पेशेंट ही उठाता है।
पैथोलॉजी से होने वाले test
टेस्ट मार्केट रेट कमीशन
TLC,BLC, शुगर
हीमोग्लोबिन 60 24
यूरीन 80 32
थायराइड 800 480
टीबी 1500 900
गाइनी 500 300
एलएच 600 200
कलोस्ट्रॉल 650 195
यूरीक एसिड 150 40
कैल्शियम 180 72
यूरीन कल्चर 250 125
यूरीन क्रिटीकल 200 120
एसजीपीजी 150 90
ultrasound
अपर एब्डामिन 450 225
लोअर एब्डामीन 550 275
कलर डॉपलर 1,200 700
सीटी स्कैन 3750 1250
MRI
हेड 5500 2750
बॉडी पार्ट 5500 2750
होल बॉडी 12,500 6250
एंजियोग्राफी 16500 8250
X-ray
साधारण 100 40
डिजिटल 180 70
(ये आंकड़े पैथोलॉजी एसोसिएशन, केमिस्ट एसोसिएशन और डॉक्टर्स से मिली जानकारी के औसत के आधार पर हैं। सभी आंकड़े रुपए में है.)
मेरे सामने ऐसे फैक्ट नहीं आए हैं। सुनने में जरूर आता है कि पैथोलॉजी से कमीशन सेट है या अननेसेसरी टेस्ट लिखे जाते हैं। डॉक्टर्स की प्रैक्टिस पेशेंट ओरिएंटेड होनी चाहिए न कि इंस्टीट्यूट ओरिएंटेड।
-डॉ। अरुण मित्तल, प्रेसीडेंट, पैथोलॉजी एसोसिएशन
इन मामलों में बरेलियंस को अवेयर होना होगा। जब तक आम आदमी अवेयर नहीं होता, ये समस्याएं बनी रहेंगी। पैथोलॉजी और डॉक्टर्स की सेटिंग के बीच आखिरकार पिसता तो पेशेंट ही है।
-अनीस अहमद खान, सोशल वर्कर
गरीब लोग ही डॉक्टर्स का टारगेट बनते है। ऐसा हमारे साथ भी हो चुका है। पहले तो डॉक्टर्स पेशेंट को एडमिट करवा लेते हैं और बिना किसी बीमारी के ही कई टेस्ट करवाते हैं।
-अशोक अग्रवाल, रेजिडेंट
अगर आप हॉस्पिटल पहुंच गए तो डॉक्टर्स का यही टारगेट होता है कि आप ज्यादा से ज्यादा समय तक हॉस्पिटल में स्टे करें। पेशेंट अगर 2 दिन आईसी यू मे एडमिट हो जाए तो लाखों का बिल दे दिया जाता है। डॉक्टर की ओपीडी की फीस अगर 100 रुपए है तो विजीट आवर में फीस डबल हो जाती है।
-हर्षित, रेजिडेंट
पेशेंट केे जितने टेस्ट जरूरी है उससे ज्यादा प्रिस्क्राइब करना गलत होता है. मेडिसिन प्रिस्क्राइब करते समय साल्ट या जेनेरिक मेडिसिंस को डॉक्टर इग्नोर कर देते हैं जिससे पेशेंट्स की पॉकेट पर बोझ और बढ़ जाता है। डॉक्टर्स को ज्यादा से ज्यादा जेनेरिक मेडिसिन लिखनी चाहिए।
-अभय गुप्ता, रेजिडेंट
डॉक्टर सिर्फ पैसा कमाना चाहते है। इसके लिए वह हर खेल खेलते है। इसका सबसे बुरा इफेक्ट ये है कि धरती के भगवान की छवि बिगड़ चुकी है। आज उनका परपज किसी भी तरह पेशेंट को इलाज के नाम निचोडऩा हो गया है।
-विवेक मित्तल, रेजिडेंट
Report by:Abhishek Mishra