BAREILLY: नैक से ए ग्रेड का दर्जा प्राप्त बरेली कॉलेज की सी ग्रेड व्यवस्था की ऐसी मिसाल देखने को नहीं मिलेगी। इस कोएड कॉलेज कैंपस में ऐसी कोई कैंटीन नहीं है जहां पर ग‌र्ल्स व ब्वॉयज एक साथ बैठ सकें। ब्वॉयज कैंटीन तो ही ही नहीं। केवल जीसीआर में ग‌र्ल्स के लिए कैंटीन है। लेकिन उसकी भी क्वालिटी व एनवायरमेंट की बात करें तो वह किसी ढाबे से कम नहीं लगती। कॉलेज में ब्वॉयज कैंटीन की मांग काफी समय से उठ रही है। आई नेक्स्ट ने भी समय-समय पर इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। अब स्टूडेंट्स का दबाव बढ़ने लगा तो नए प्रिंसिपल ने इसकी वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए पेड़ के नीचे ओपन कैंटीन खुलवा दी।

एक कुर्सी, मेज और कुछ समोसे

कैंपस में गजब कि कैंटीन की व्यवस्था की गई है। खास बात यह है कि यह केवल ब्वॉयज के लिए नहीं है। कोई भी ग‌र्ल्स व ब्वॉयज इसकी सुविधा का लाभ उठा सकता है। इसकी खूबियों की यदि बात करें तो यह ओपन में है। एडी ऑफिस के सामने पेड़ के नीचे खोला गया है इसे। एक मेज है जिसपर कुछ समोसे रखे हुए हैं। एक कुर्सी है जिसपर उसे बेचना वाला कर्मचारी बैठता है। और साथ में टेस्ट के लिए सॉस भी मिलता है। जीसीआर की कैंटीन से यहां पर समोसा सप्लाई किया जाता है।

स्टूडेंट्स को नहीं भा रही व्यवस्था

प्रिंसिपल ने वैकल्पिक व्यवस्था खोलकर स्टूडेंट्स की डिमांड पूरी करने की कोशिश तो की लेकिन स्टूडेंट्स को यह व्यवस्था भा नहीं रही है। स्टूडेंट्स को बैठने की व्यवस्था चाहिए। ना केवल समोसे बल्कि कई और खाने की सुविधा भी चाहिए। कम से कम शेड तो होना ही चाहिए। इन्हीं सब असुविधाओं की वजह से कैंटीन स्टूडेंट्स के बीच हास्यास्पद का मुद्दा का बन गया है। लास्ट ईयर ही कैंटीन खोलने के लिए शिलान्यास किया गया था। लेकिन आज तक उसके निर्माण के लिए एक पत्थर तक नहीं लगा। राजनीति और कमीशनखोरी के चक्कर में उस योजना का बेड़ा गर्क हो गया।

हमने विधिवत कैंटीन व्यवस्था की मांग की थी। कॉलेज में बहुत जगह है। अभी नहीं निर्माण करा सकते हैं तो कैंपस की बिल्डिंग के किसी भी खाली जगह पर इसकी व्यवस्था की जा सकती थी। लेकिन ऐसी की तो उम्मीद नहीं थी।

- अवनीश चौबे, बीसीबी

यह स्टूडेंट्स के साथ एक भद्दा मजाक है। इससे अच्छे तो रोड साइड के ठेले हैं। कैंपस में ऐसी व्यवस्था होगी हमने सोचा नहीं था। कैंपस में कैंटीन की एक अलग व्यवस्था होती है। उसका सीन अलग होता है। यह तो दोयम दर्जे से भी घटिया है।

- आशुतोष सिंह, बीसीबी

स्टूडेंट्स के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत प्रोवाइड करा दी गई है। ताकि जीसीआर के अगल-बगल ना भटकें। स्टूडेंट्स ने कॉलेज में ब्वॉयज के लिए एक कैंटीन की मांग की थी।

- डॉ। सोमेश सादव, बीसीबी