- कलेक्ट्रेट में महिला कर्मचारियों और फरियादियों के लिए सिर्फ दो टॉयलेट

- टॉयलेट की साफ-सफाई का जिम्मा केवल एक ही कर्मचारी पर

BAREILLY: पूरे शहर को तमाम सुविधाएं देने वाले कलेक्ट्रेट ऑफिस में भी टॉयलेट्स का टोटा है। दर्जन भर से अधिक डिपार्टमेंट में कार्यरत महिलाओं के लिए केवल एक ही टॉयलेट है, जहां सिर्फ अव्यवस्थाओं ने पैर पसार रखे हैं। गौरतलब है कि कलेक्ट्रेट के कार्य दिवसों में करीब एक हजार से अधिक फरियादी आते हैं। जिनमें करीब ख्भ् प्रतिशत महिलाएं होती हैं। इन महिलाओं के लिए भी केवल एक ही टॉयलेट का अरेंजमेंट है, जिससे उन्हें कई बार अव्यावहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

नहीं होती साफ-सफाई

कलेक्ट्रेट परिसर में वॉशरूम की साफ-सफाई का जिम्मा महज एक कर्मचारी पर निर्भर है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सफाई का क्या हश्र होगा। कहीं पर दरवाजे में दरारें आ रहीं हैं। तो कहीं पर फर्श तो कहीं टॉयलेट या वॉशबेसिन टूटा हुआ है। गौरतलब है कि महिलाएं बहुत मजबूरी में ही टॉयलेट को यूज करती हैं। महिला कर्मचारियों के मुताबिक वॉशरूम की सफाई महीने में केवल एक बार ही हाेती है।

फरियादियों को होती है प्रॉब्लम

कलेक्ट्रेट में हर दिन करीब ख्भ्0 से फ्00 महिला फरियादी आती हैं। जिन्हें कभी भी टॉयलेट यूज करने की जरूरत पड़ सकती है। गौरतलब है कि टॉयलेट का यूज करने के लिए सबसे पहली प्रॉब्लम किसी बोर्ड के ना होने से होती है.अगर किसी ने बता भी दिया तो एक ही सीट होने से काफी देर तक बाहर वेट करना पड़ता है।

यह हैं आंकड़े

- कलेक्ट्रेट परिसर में कुल क्म्0 कर्मचारी कार्यरत हैं

- पुरुष कर्मचारियों और फरियादियों के लिए केवल एक वॉशरूम

- प्रतिदिन ख्भ् महिला कर्मचारी और करीब फ्00 महिला फरियादी पहुंचती हैं कलेक्ट्रेट

- करीब दर्जन भर से अधिक डिपार्टमेंट हैं कलेक्ट्रेट में

परिसर में बने वॉशरूम में साफ सफाई नहीं होती है। वॉशबेसिन टूटे हुए हैं। मजबूरी में ही यूज करना पड़ता है।

-शैली जौहरी, कर्मचारी

स्टॉफ के लिए केवल एक ही वॉशरूम होने से काफी दिक्कत होती है। महिला कर्मचारियों के साथ ही फरियादी महिलाएं भी इसे यूज करती हैं।

आभा जैन, कर्मचारी

परिसर के सभी वॉशरूम केा दुरूस्त कराने का काम चल रहा है। साथ ही तीन और काम्पलेक्स बनाने की कवायद शुरू है।

अरूण कुमार, एडीएमई