- 96वें उर्स ए रजवी का कुलशरीफ के साथ हुआ समापन

- लाखों जायरीन उर्स के बाद लौटे अपने घर

BAREILLY:

इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी के 9म्वें तीन रोजा उर्स के आखिरी दिन आला हजरत फाजिले बरेलवी के कुल शरीफ की रस्म अदायगी के साथ सज्जादगी की भी रस्म अदा की गई। कुलशरीफ की रस्म के दौरान भारी संख्या में मौजूद उलमा और लाखों की संख्या में अकीदतमंदों ने अपने शहंशाह को खिराज-ए-अकीदत पेश की। दिन भर तकरीर का दौर चलता रहा। दूसरी ओर आला हजरत जिंदाबाद के नारे लगते रहे। उर्स के आखिरी दिन खानकाहों के सज्जादानशीन ने शिरकत की। वहीं, उर्स समापन के बाद इस्लामिया ग्राउंड से वापसी करते हुए जायरीन ने बरेली की याद को अगले साल तक तरोताजा रखने के लिए विभिन्न आइटम की खरीददारी की।

अदा की गई रस्म ए दस्तार

फ्क् साल बाद आला हजरत के सज्जादानशीन मौलाना सुब्हान रजा खां सुब्हानी मियां ने अपनी जिम्मेदारी वली अहद मौलाना अहसन रजा कादरी को सौंप दिया। सज्जादगी सौंपने के दौरान उन्हें खानकाहे बरकतिया का खानदानी तावीज भी पहनाया गया। सैयद अमीन मियां सज्जादानशीन बनने पर अहसन मियां को परंपरागत तौर पर खिलाफत भी सौंपी। सुब्हानी मियां फ्क् साल तक दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन रहे। इस मौके पर हजरत सैय्यद नजीब हैदर मियां ने हजरत अहसन मियां को एक कलम सौंपकर आला हजरत की ही तरह इस्लाम की खिदमत और इल्म ए दीन को बुलंद करने के लिए इस्तेमाल करने की सलाह दी।

सज्जादगी की दी मुबारकबाद

उर्स के आखिरी दिन मारहरा शरीफ के खानकाहे बरकतिया के सज्जादानशीन हजरत सय्यद प्रो। अमीन मियां बरकाती बीमारी की वजह से शिरकत नहीं कर सके लेकिन उन्होंने पैगाम के जरिए सज्जादगी की मुबारकबाद दी। इसके अलावा खानकाह ए शहिदिया 'बिलग्राम शरीफ' के सज्जादानशीन ने भी सज्जादगी की मुबारकबाद दी। इस दौरान मौलाना जाहिद रजा ने शील्ड, कमाल आसिफ ने चांदी की शील्ड, अहमद उल्ला वारसी ने तलवार नज्र की। शील्ड पर सज्जादगी की मुबारकबाद में 'हो मुबारक आपको अब सज्जादगी, मरहबा सद मरहबा अहसन रजा कादरी' शेर लिखा हुआ था। सभी रस्में देश के तमाम खानकाहों से आए फेमस सज्जादानशीन व नामवर उलमा की मौजूदगी में सभी रस्म अदा की गई। कुल शरीफ की फातिहाकारी रिजवान रजवी, कारी अमीर हम्जा, मुफ्ती अय्यूब खां, कारी अब्दुर्रहमान खां कादरी ने शिजरा कारी अमानत रसूल ने व खुसूसी दुआ हजरत अहसन मियां ने की। इसके बाद कारी अमानत रसूल ने उर्स ग्राउंड में नमाजे जुमा अदा कराई।

चला तकरीर का दौर

तकरीर का सिलसिला सज्जादानशीन हजरत सुब्हानी मियां की सरपरस्ती, हजरत अहसन मियां की सदारत व अल्हाज हसन रजा खां नूरी मियां और सय्यद आसिफ मियां की निगरानी में हुआ। इंग्लैंड से आए मौलाना फरोग उल कादरी, नजीरे आला हजरत मौलाना अरसलान रजा खां, मौलाना जिक्रउल्लाह, मौलाना मुख्तार बहेड़वी, मुफ्ती सलीम नूरी, कारी इकबाल, मुफ्ती शहरयार खां, मुफ्ती रिजवान नूरी, कारी अमानत रसूल, मौलाना जाहिद रजा, मौलाना गुलफाम रजा रामपुरी, मौलाना सलीम रजा, मौलाना अख्तर रजा, मुफ्ती अलाउद्दीन, मौलाना अबुल कलाम, मौलाना सुहेल रजा कादरी, मौलाना सलीम अख्तर, बदांयूनी, मौलाना असलम टनकपुरी व अन्य ने तकरीर पेश की। इस दौरान नात ए मनकबत फारूक मदनापुरी, उस्मान हारूनी, अकील उर रहमान, ताहिर रजा रामपुरी, सलीम रजा, सय्यद नासिर मियां ने पढ़ी।

जमकर हुई खरीददारी

उर्स ए रजवी के आखिरी दिन शहर में उमड़े जायरीन ने जमकर खरीददारी की। इस्लामिया ग्राउंड से लेकर दरगार स्थल तक देश के अलग अलग हिस्सों से आए दुकानदारों ने खूब मुनाफा कमाया। दुकानों में इत्र, सूरमा, काजल, चादर और फूलों की भी जायरीन ने खरीददारी की। दरगाहर पर चादरपोशी के लिए गुजरात, दिल्ली से रंग-बिरंगी चादरों के साथ कोलकाता हयाती, मुस्क मजमुआ, जन्नत ए फिरदौस इत्र की खासी डिमांड रही। खास बात यह रही कि जायरीन काजल और बरेली के सूरमा पर फिदा रहे। उर्स के मौके पर साहित्यिक पुस्तकों की भी जमकर खरीददारी हुई। दूसरी ओर मुंबई, कोलकाता, नागपुर, बांग्लादेश, ओमान, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया से आई टोपियों की भी बिक्री भी हुई।

तीन घंटे तक थमा रहा शहर

उर्स ए रजवी में कुल शरीफ की रस्म अदायगी के बाद उमड़ी जायरीन की भीड़ से करीब तीन घंटे तक शहर ठप हो गया। आम पब्लिक हो या फिर एंबुलेंस सब जाम में लाचार नजर आए। कागजी दावों में पुख्ता नजर आ रही ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। जाम की स्थिति दो बजे से बनने लगे थी। नॉवेल्टी चौराहा, अयूब खां चौराहा, चौपुला चौराहा, कुतुबखाना, रोडवेज पर भारी भीड़ जुट गई। इसके अलावा इस ओर से गुजरने वाले वाहनों को वापस भेजने पर जाम की शुरुआत होने लगी। तीन बजे के आसपास इस्लामिया ग्राउंड से लोगों का रेला निकला। तो जाम ने शहर को जकड़ लिया। चौकी चौराहा, कुदेशिया फाटक, बदायूं रोड़, सिटी स्टेशन, श्यामगंज, स्टेशन रोड़ जैसे इलाके में लोग घंटो फंसे रहे।