26 को जारी हुई थी list
आरयू और बरेली कॉलेज ने 26 अक्टूबर को वोटर लिस्ट जारी की। लिस्ट में उन सभी स्टूडेंट्स के नाम हैं जो कैंपस के रेग्युलर कोर्सेज में एनरोल्ड हैं। इन पर 30 अक्टूबर दोपहर 2 बजे तक स्टूडेंट्स से आपत्तियां मंगाई गई हैं। साथ ही इसी दिन शाम को फाइनल लिस्ट भी जारी होगी। इस बीच लिस्ट में अगर किसी स्टूडेंट का नाम व रोल नम्बर गलत है या फिर नाम गायब है, तो स्टूडेंट्स करेक्शन के लिए आपत्ति करा सकते हैं।
29 तक campus बंद
कैंपस 22 अक्टूबर से बंद चल रहा है। 26 तक दशहरा फेस्टिवल, 27 को ईद और 29 को वाल्मीकि जयंती के चलते छुट्टी है। अब 30 को ही कैंपस खुलेगा और इसी दिन फाइनल वोटर लिस्ट भी जारी होगी। छुट्टी के चलते अधिकांश स्टूडेंट्स शहर से बाहर हैं। हॉस्टल खाली पड़े हुए हैं, तो स्टूडेंट्स को वोटर लिस्ट देखने का मौका ही हाथ नहीं लगेगा। जब लिस्ट ही नहीं देख पाएंगे तो आपत्ति कैसे भेजेंगे।
Website पर नहीं list
बीसीबी ने वोटर लिस्ट न कैंपस में चस्पा की है और न ही वेबसाइट पर अपलोड की है। स्टूडेंट्स को लिस्ट चेक करने के लिए कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने किसी भी तरह का मौका ही नहीं दिया है। वहीं आरयू ने लिस्ट को कैंपस में चस्पा करने के साथ ही वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया है लेकिन अधिकांश स्टूडेंट्स नेट फ्रेंडली नहीं हैं। इस वजह से वे लिस्ट चेक नहीं कर पा रहे हैं।
आरयू और बीसीबी कैंपस में स्टूडेंट्स इलेक्शन को लेकर हलचल भरा माहौल है। कैंपस में स्टूडेंट्स लीडर्स का प्रचार भी बढ़ता जा रहा है। उसी हलचल के बीच कुछ स्टूडेंट्स ने वोट कास्ट करने के लिए उनकी प्रायरिटीज आई नेक्स्ट को बताईं।
वोट चाहिए तो quality education को बनाएं मुद्दा
यूं तो कॉलेज में कभी-कभी क्लासेज भी लग जाते हैं पर जरूरत इस बात की है कि कॉलेज में पढ़ाई ही सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट है। अगर इलेक्शन में कोई भी प्रत्याशी क्वालिटी एजुकेशन को अपना मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ेगा तो मैं उसे वोट कास्ट करूंगी पर इसके लिए जरूरी है कि कैंडीडेट का एजुकेशन लेवल क्या है। क्योंकि जो कैंडीडेट अपनी एजुकेशन के प्रति सिंसियर होगा वहीं क्वालिटी एजुकेशन को समझ पाएगा। इसलिए मेरा फोकस कैंडीडेट की एजुकेशन और उसके इलेक्शन एजेंडा में एजुकेशन से जुड़े मुद्दों पर ही रहेगा। जो इस पर खरा उतरेगा उसे ही वोट दूंगी।
-चारू सक्सेना, बीएससी स्टूडेंट, बीसीबी
Sports facilities ही हैं सशक्त election agenda
कॉलेज में स्पोट्र्स एक्टिविटीज ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए। पर इसके जरूरी है कि स्पोट्र्स डिपार्टमेंट के पास एक्सपीरियंस्ड कोच मौजूद हों। यहां तो ग्राउंड पर ही जानवर घूमते देखे जा सकते हैं। इलेक्शन में जो भी कैंडीडेट कॉलेज में होने वाली स्पोट्र्स एक्टिविटीज को ज्यादा से ज्यादा और बेहतर बनाने को प्रयास करेगा, उसे ही मैं अपना वोट दूंगा। वहीं उसे सेलेक्शन के दौरान ट्रांसपेरेंसी बरकरार रखने के लिए भी संघर्ष करना होगा। जिस प्रत्याशी में इतना माद्दा दिखेगा मेरा वोट उसे ही मिलेगा। इसके अलावा कॉलेज में पढ़ाई का माहौल बनाना भी कैंडीडेट का फस्र्ट एजेंडा होना चाहिए।
-प्रेमपाल गंगवार, बीए स्टूडेंट, बीसीबी
जीतना है तो टाइम से कराने होंगे exam
आरयू में मैनेजमेंट की क्लासेज तो लगती हैं, सेमेस्टर सिस्टम भी लागू है पर इंटरनल एग्जाम्स क राने में फैकल्टीज हमेशा लेट-लतीफ ही रहती हैं। इसे दूर किया जाना चाहिए। वहीं एमबीए करने के बाद जो भी कैंडीडेट जॉब सर्च करने के लिए कॉलेज से हेल्प चाहे तो इसके लिए यहां की प्लेसमेंट सेल भी उसकी हेल्प नहीं कर सकती है। ऐसे में जो भी कैंडीडेट टाइमली एग्जाम्स कंडक्ट कराने और प्लेसमेंट सेल को सशक्त बनाने की जरूरत को अपने इलेक्शन एजेंडा का प्रमुख मुद्दा बनाएगा, मेरा वोट तो उसे ही मिलेगा। अब देखना यह है कि कौन इसे अपना मुद्दा बनाता है।
-अभिषेक, मैनेजमेंट स्टूडेंट, आरयू
Peaceful candidate को मिलेगा vote
कैंडीडेट वही है जो पीसफुल हो, आखिर यह एक एजुकेशनल इंस्टीट्यूट है। यहां लोग नॉलेज गेन करने के लिए आते हैं। ऐसे में जरूरी तो यह है स्टूडेंट्स यूनियन लीडर्स स्टूडेंट वेलफेयर को अपना मुद्दा बनाएं। साथ ही इसे पीसफुल तरीके से फॉलो करें। जो भी कैंडीडेट कैं पस की शांति बनाए रखने और एकेडमिक्स को अपना मुद्दा बनाएगा, उसे ही वोट दूंगी। पीसफुल माहौल के लिए जरूरी है कि जो भी कैंडीडेट स्ट्राइक्स नहीं करता रहा है और कॉलेज का माहौल ठीक रखने का प्रयास करता रहा है, मैं ऐसे कैंडीडेट को अपना वोट दूंगी, तभी मेरा वोट वास्तव में सफल होगा।
-स्मृति, बीटेक स्टूडेंट, आरयू
लिंगदोह कमेटी की सख्त डायरेक्शंस ने स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन लडऩे का ख्वाब देख रहे कई भावी कैंडीडेट्स के भविष्य पर बे्रक लगा दिया है। नियमों के फेर के चलते उनका पत्ता कटना तय हो गया है। टिकट मिलने की बात दूर की है वे इंडिपेंडेंट कैंडीडेट के तौर पर भी नॉमिनेशन फाइल करने के लायक नहीं रहे। कमेटी की सिफारिशों ने कइयों की कैंपेनिंग भी बंद करा दी और कई कैंडीडेट्स इस पसोपेश में जी रहे हैं कि यूनिवर्सिटी व कॉलेज अपने स्तर से लिबरल होकर रूल्स में कुछ ढील की मोहलत दें।
तय है eligibility
स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में बतौर कैंडीडेट के तौर पर खड़े होने के लिए लिंगदोह कमेटी ने कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसमें से खासतौर पर एज और एडमिशन को फोकस किया गया है। कमेटी ने यूजी के कैंडीडेट्स के लिए एज लिमिट 22 वर्ष, पीजी के लिए 24 से 25 वर्ष और पीएचडी स्टूडेंट्स के लिए एज लिमिट 28 वर्ष तय की है। यही नहीं कैंडीडेट्स को कम से कम एक वर्ष के रेग्युलर कोर्स में एडमिशन लेना भी कंपल्सरी है।
एज के चक्कर में हुए out
अभी नॉमिनेशन फाइल करने के लिए तीन दिन बाकी हैं। अधिकांश कैंडीडेट्स एज के फेर में फंस कर अभी से ही चुनावी समर से आउट हो गए हैं। कमेटी के नियमों के लिहाज से वे ओवरएज हो गए हैं। यही नहीं कुछ तो इसलिए भी आउट हो गए हैं कि वे प्रॉपर तरीके से किसी भी कोर्स में इनरोल्ड नहीं हो पाए हैं। ऐसे कैंडीडेट्स के इलेक्शन लडऩे के मंसूबों पर पानी फिर गया है। कैंपेनिंग पर तो बिल्कुल ब्रेक लग गया है।
जुगाड़ की फेर में जुटे
कैंडीडेट्स इलेक्शन लडऩे के लिए जुगाड़ के रास्ते से एंट्री करने में जुटे हुए हैं। कॉलेज और यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन से मिन्नतें कर रहे हैं कि उनको लेकर नियमों में कुछ रियायत बरती जाए। इस जुगत में वे लगातार उच्च एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिसर्स से संपर्क में हैं।
इस समय मैं आरयू से पीजी कर रहा हूं और सछास से प्रेसीडेंट पद की दावेदारी करते हुए काफी समय से कैंपेनिंग भी कर रहा था लेकिन लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों पर गौर करें तो मैं ओवरएज हो रहा हूं। मेरा पत्ता तो लगभग साफ हो गया है। अब पार्टी जिसे लड़ाएगी उसी को को समर्थन दूंगा।
- विनोद यादव, छात्रनेता आरयू
मैंने पीएचडी का एंट्रेंस पास कर लिया है लेकिन एडमिशन तब तक सही नहीं माना जा सकता जब तक मैं 6 महीने का कोर्स पूरा नहीं कर लेता। मैं बीसीबी में सछास की तरफ से प्रेसीडेंट पद के लिए प्रबल दावेदारों में से एक हूं। मैं आरयू एडमिनिस्ट्रेशन से फाइनली बात कर रूल्स लिबरल करने की मांग करूंगा।
- विशाल यादव, छात्रनेता बीसीबी
स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को कड़ाई से पालन करना चाहिए लेकिन ऐसा प्रकरण सुनने में आया है कि कुछ कैंडीडेट्स के दबाव में कॉलेज नियमों में फेरबदल कर फर्जीवाड़ा कर रहा है। मैं उसका विरोध करता हूं और इलेक्शन लडऩे के लिए एलिजिबल हूं।
- ओमकार पटेल, छात्रनेता बीसीबी
यूं तो स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन क ा नामांकन होने में ही अभी दो दिन बाकी हैं पर संभावित कैंडीडेट्स जोर-शोर से कैंपेनिंग में लगे हुए हैं। चुनाव की इस सरगर्मी के बीच आई नेक्स्ट ने कुछ पुराने छात्र नेताओं को सर्च कर उनके एजुकेशनल और पॉलिटिकल करियर की थाह ली।
एकेडमिक्स के लिए पॉलिटिक्स का कहा 'ना'
सत्र 2004-05 में आरयू के स्टूडेंट यूनियन के प्रेसीडेंट चुने गए मयंक गंगवार यूनिवर्सिटी में बीटेक के स्टूडेंट थे। बीटेक कंप्लीट करने के बाद उन्होंने डायरेक्टली एक एमएनसी में जॉब ज्वाइन की। पर उन्होंने वह जॉब एक साल बाद ही छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने हायर स्टडीज की तैयारियां करना शुरू कर दिया। वह अभी उसमें ही लगे हुए हैं। हालांकि, मयंक के मुताबिक 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्हें चुनाव में उतारने के लिए समर्थक और बीजेपी का पार्टी संगठन तैयार था पर उन्होंने पॉलिटिक्स को ना कहकर अपना पूरा ध्यान एकेडमिक्स और करियर पर ही कंसंट्रेट कर दिया।
मयंक गंगवार, अध्यक्ष, 2004-05, आरयू
अभी बाकी है सियासी जमीन की तलाश
एबीवीपी के टिकट पर प्रशांत बीसीबी में स्टूडेंट्स यूनियन के प्रेसीडेंट चुने गए। तब वह एलएलबी के स्टूडेंट थे। प्रेसीडेंट बनने के बाद उन्होंने मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में पांव पसारे और बीजेपी यूथ विंग के प्रदेश अध्यक्ष बने। डिस्ट्रिक्ट में पार्टी के महासचिव बने। पर बीते विधानसभा इलेक्शन में भोजीपुरा से पार्टी का टिकट न मिलने पर उन्होंने जनक्रांति पार्टी ज्वॉइन की और चुनाव में उतरे पर उनके खाते में हार आई. अभी वह पॉलिटिक्स में अपनी जमीन तलाश रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि उनके प्रेसीडेंटशिप टेन्योर में छात्रसंघ भवन की नींव रखी गई, कॉलेज में सिंगल प्रिंसिपल, चीफ प्रॉक्टर नियुक्त हुए।
प्रशांत पटेल, अध्यक्ष, 2004-05 बीसीबी