बरेली (ब्यूरो)। लावारिस और मुकदमों में शामिल लाखों रुपए के वाहन बरेली के नौ थानों में खड़े-खड़े कबाड़ हो रहे हैं। वर्षों से नीलामी न होने के कारण हजारों वाहन कंडम हो चुके हैं। आलम यह है कि काफी वाहनों के पाटर््स तक गायब हो चुके हैं। किसी का टायर गायब तो किसी वाहन का इंजन ही गायब हो चुका है। ऐसे में नीलामी में इन वाहनों के बेहतर दाम मिलना मुश्किल होगा। इसके बाद भी जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण वर्तमान में सभी थानों की हालत कबाडख़ाने जैसी नजर आने लगी है।
वाहन पहचानना भी मुश्किल
शहर के बारादरी, प्रेमनगर, इज्जतनगर, किला, शहर कोतवाली, सुभाषनगर, कैंट, सीबीगंज और बिथरी चैनपुर थाने में सालों से हजारों वाहन पुलिस अभिरक्षा में खड़े हैं। थानों में खड़े हजारों वाहन धूप और बारिश के चलते कबाड़ हो चुके हैं। थाना परिसर में लंबे समय से गाडिय़ों के खड़े रहने से उनकी सुरक्षा भी पुलिस के लिए सिरदर्द साबित हो रही है। काफी गाडिय़ों के पार्ट्स तक गायब हो चुके हैं। कुछ वाहनों की हालत तो ऐसी हो चुकी है कि जब उनके मालिक वाहन लेने के लिए थाने पहुंचते हैं तो वे अपने वाहन को पहचान ही नहीं पाते हैं। नंबर प्लेट से वाहन की पहचान की जाती है। इससे कई बार पुलिस को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लावारिस व कंडम वाहनों की जिम्मेदारी मालखाना प्रभारी की होती है। लेकिन, वह इनकी देखभाल में ज्यादा समय नहीं दे पाते। इससे यह वाहन खड़े-खड़े कंडम हो जाते हैं।
एक-दूसरे पर रखे कंडम वाहन
थानों को मॉडर्न थाना व कोतवाली के रूप में विकसित किया गया है। इसके बाद भी परिसर में जब्त गाडिय़ों की संख्या अधिक होने के कारण काफी जगह घिरी रहती है। बारादरी थाना जिले का सबसे हाईटेक थाना है। लेकिन, इसके मुख्य गेट से एंट्री करते ही आपको कंडम व लावारिस वाहन खड़े मिलेंगे। इसके अलावा किला थाने में जगह न होने पर कंडम वाहनों को थाने के बाहर खड़ा किया गया है। जबकि प्रेमनगर कोतवाली में तो जगह के अभाव के चलते कंडम वाहनों को एक दूसरे के ऊपर रखा गया है।
छह माह बाद नीलामी का नियम
एसपी सिटी राहुल भाटी ने बताया कि लावारिस दाखिल किए गए वाहन या किसी भी मुकदमे से जुड़े वाहन के बारे में पुलिस को छह माह के भीतर उसके मालिक को नोटिस भेजना होता है। अगर इसके बाद भी वह गाड़ी लेने नहीं आता है या उसे कोर्ट से रिलीज कराने की प्रक्रिया शुरू नहीं करता है तो एसएसपी के माध्यम से डीएम को पत्र लिखा जाता है। डीएम से अनुमति मिलने के बाद जिले के सभी थानों में खड़े कंडम वाहनों का आंकलन कराया जाता है। इसके बाद डीएम एक मजिस्ट्रेट नियुक्त कर कमेटी गठित करते हैं। इसके बाद थानों में खड़े वाहनों की नीलामी कराई जाती है। साथ ही जो वाहन नीलामी के लायक न होते यानि कंडम वाहनों को कैंट थाना क्षेत्र में बने मालाखाना में खड़ा कर दिया जाता है।
पनप रहे मच्छर, बीमारी का भय
थानों में कबाड़ व कंडम वाहनों में मच्छर पनप रहे हैं। क्योंकि जिस जगह पर ये वाहन खड़े किए गए हैं, उस स्थान की सफाई नहीं हो पाती है। इससे मच्छर पनप रहे हैं। ऐसे में पुलिसकर्मियों को बीमारी का भय लगा रहता है।
बोले अधिकारी
नीलामी की प्रक्रिया काफी लंबी है। डीएम की अनुमति के बाद कमेटी गठित होती है। इसमें मजिस्ट्रेट व सीओ आदि होते हैं, जिससे प्रक्रिया धीरे-धीरे संपन्न होती है। मुकदमे में जब्त वाहनों को कोर्ट का फैसला आने के बाद ही संबंधित कार्रवाई की जाती है। जबकि लावारिस वाहनों की छह माह के बाद नीलामी कर दी जाती है। काफी समय से शहर में नीलामी नहीं हुई। जिससे सभी थानों में लावारिस व कंडम वाहनों की भरमार है। जल्द ही नीलामी प्रक्रिया कराने के बाद थानों को सुंदरीकरण कराया जाएगा।
राहुल भाटी, एसपी सिटी