-शहर में जलभराव और चोक नालों के लिए निगम ही नहीं जनता भी जिम्मेदार

-अवैध कॉलोनीज, नालों में पॉलीथीन, नालियों पर अवैध निर्माण के लिए कसूरवार

BAREILLY: शहर के ज्यादातर हिस्सों के लिए आफत साबित होने वाले मानसून के लिए कुदरत से ज्यादा इंसान जिम्मेदार है। बारिश में पानी के साथ ही शहर में बरसने वाली मुसीबतों के लिए भले ही नगर निगम की लापरवाही हो, लेकिन जलभराव से पैदा हुई बदहाली और अव्यवस्था के लिए शहर की जनता भी कम गुनहगार नहीं है। गंदे चोक नालों और जाम ड्रेनेज सिस्टम के चलते होने वाले जलभराव के लिए निगम की प्लानिंग से ज्यादा जनता की नासमझी वजह बनी है। बेतरतीब तरीके से शहर के बढ़ते फैलाव और लोगों में सिविक सेंस की कमी हर साल आधी बरेली को मानसून के दौरान डूबो रही है। मानसून से उपजी मुसीबत में निगम से मदद की उम्मीद और गुहार बेशक जायज है, लेकिन यह भी कड़वा सच है कि ऐसे हालातों से निपटने में जनता ने भी कभी सामाजिक जिम्मेदारी नहीं निभाई।

शहर में बढ़ती बेतरतीब कॉलोनी

बरेली के लगातार बढ़ते एरिया को बड़ा करने में अवैध कॉलोनी की भागेदारी सबसे ज्यादा है। बिना बीडीए से नक्शा पास कराए, बिना निगम की जानकारी में और बिना बुनियादी मानकों के मकान और कॉलोनी बनाने वाले शहर की मौजूदा हालत के लिए ज्यादा जिम्मेदार हैं। बीडीए की लिस्ट में क्9म् कॉलोनी अवैध हैं। असल में ऐसी कॉलोनी की तादाद फ्00 के ऊपर है। शहर के निचले लेवल पर प्राइवेट सोसाइटी की बसाई इन कॉलोनी में लोगों को सीवर, रोड, बिजली और पानी की सुविधा नसीब नहीं हुई। लेकिन सस्ती जमीन होने के चलते लोग इन कॉलोनी और शहर की मुसीबतों का हिस्सा बनते गए। वहीं निगम को बिना टैक्स अदा किए रहते गए लेकिन मुसीबत में सुविधाओं के लिए निगम का घेराव करते रहे हैं।

नालों पर पॉलीथ्ाीन की मार

पब्लिक का पॉलीथीन के लिए प्यार शहर को बदसूरत करने में अहम वजह बना है। घरों से निकला कूड़ा पॉलीथीन में पैक कर नजदीकी नाले-नालियों में बहाने का कई इलाकों रिवाज सा बना है। निगम के स्वास्थ्य मुताबिक हर दिन करीब डेढ़ टन पॉलीथीन शहर के नालों में गिरती है। यह पॉलीथीन शहर के मंझले और बड़े नालों को चोक करने का काम कर रही है.नतीजा गंदे नाले और बजबजाती नालियां शहर की पहचान बनती गई। इसमें निगम की ढिलाई और समय पर सफाई और दोषियों पर कार्रवाई में सुस्ती शहर की तस्वीर को और बिगाड़ रही है।

नाले-नालियों पर एनक्रोचमेंट

शहर के नालों और नालियों के ऊपर बनाए गए अवैध निर्माण मानसून में जलभराव की एक और बड़ी वजह बने हैं। संजय नगर, हजियापुर, बिहारीपुर, लोधी टोला, रोली टोला, एजाज नगर, सुभाष नगर, स्वाले नगर, सैलानी, काजी टोला, चक महमूद और सिविल लाइंस समेत शहर के कई इलाकों में बड़ी नालियों व मंझले नालों के ऊपर दुकान से लेकर मकान तक बने हैं। नाले-नालियां खुली न होने से मानसून से पहले इनकी सफाई में निगम को खासी दिक्क्त आती है। कई मीटर तक बंद पड़े नालों की सफाई के लिए निगम के पास कोई व्यवस्था नहीं। ऐसे में पॉलीथीन और कचरे की वजह से चोक पड़ चुके ऐसे नाले-नालियों की सफाई नहीं हो पाती। नतीजा ऐसे एरिया में मानसून की पहली बारिश ही बाढ़ जैसे हालात बनाकर घरों के अंदर तक अपनी पैठ बनाती है।

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जनता को नालों में पॉलीथीन डालने और अवैध निर्माण या स्लैब बनावाने की आदत से दूर होना होगा। अगर स्लैब डालना भी है तो लोहे के बनवाए जो खुल सकें और नाले साफ हो सकें। सिर्फ निगम की मदद को ताकने के बजाए खुद भी सामाजिक जिम्मेदारी उठानी होगी। बिना जनता के अवेयर हुए बदलाव नहीं आ सकता। - राजेश अग्रवाल, नेता पार्षद दल

शहर की सफाई और प्रॉपर ड्रेनेज सिस्टम के लिए जनता की सहभागिता बेहद जरूरी है। इसके बिना कोई सुधार हो ही नहीं सकता। जनता को अपने एरिया की सफाई के लिए जागरुक होना होगा। साथ ही निगम को समय पर टैक्स देने की जिम्मेदारी समझनी होगी, जिससे निगम भी उन्हें बेहतर सुविधाएं दे सकें। - डॉ। आईएस तोमर, मेयर

अगर निगम का स्वास्थ्य विभाग एक दिन भी काम न करें तो इसका असर शहर में देखने को मिल जाएगा। इस शहर को साफ रखने में जनता को निगम की जरूरत है तो निगम को भी जनता की मदद चाहिए। बैन के बावजूद हर दिन नालों में एक टन से ज्यादा पॉलीथीन फेंकी जाती है। वहीं नालों के ऊपर अवैध निर्माण है। जनता को भी इस ओर अवेयर होना होगा। - डॉ। एसपीएस सिंधु, नगर स्वास्थ्य अधिकार