पकड़ा गया था बांग्लादेशी
चार माह पहले अप्रैल में कोतवाली एरिया से पुलिस ने एक बांग्लादेशी को अरेस्ट किया था। पुलिस गिरफ्त में आए बांग्लादेशी के पास से बरेली का वोटर आई कार्ड, एक सीडी व कुछ संदिग्ध सामान मिला था। वह बिहारीपुर के मलूकपुर सौदागरन में किराए के मकान में रह रहा था। शहर में रहने केे लिए उसने अपना नाम बादल रख लिया था। पुलिस पूछताछ में सामने आया था कि उसका नाम इस्लाम उर्फ मंजुल उर्फ मुसीजुल्ला था। वह पश्चिम बंगाल के चांदपुर जिले का रहने वाला था। फर्जी ढंग से पहचान पत्र बनवाकर वह कई वर्षो से
बरेली में रह रहा था। उसके साथ उसकी पत्नी शाहीन और बेटा मामून रहता था। उसकी पत्नी की मौत हो चुकी थी। पकड़े गए बांग्लादेशी के पास दिल्ली और जयपुर के मैप भी बरामद हुए थे।
सैकड़ों ने बनवा लिए पहचानपत्र
इस्लाम तो पुलिस की पकड़ में आ गया था पर आशंका है कि शहर में सैकड़ों की संख्या में संदिग्ध लोग ऐसे ही पहचान पत्र बनाकर नागरिक बन गए हैं। सूत्रों की मानें तो कोतवाली, किला, कैंट, बारादरी के कई ऐसे इलाके हैं जहां पर बांग्लादेशियों ने अपना ठिकाना बना रखा है। कई ने तो फर्जी तरीके से वोटर आई कार्ड बनवाकर शहर की नागरिकता भी प्राप्त कर ली है। इन पर रोक लगाने वाला कोई भी नहीं है। ना तो प्रशासन और ना पुलिस के पास इनका कोई पुख्ता रिकॉर्ड है। अन्य शहरों की तरह यहां कोई बांग्लादेशी सेल भी नहीं है।
हूजी आंतकी भी चढ़ा था हत्थे
तीन साल पहले 14 अक्टबूर को एटीएस द्वारा कर्मचारी नगर एरिया से हूजी के आतंकी चांद मोहम्मद को अरेस्ट किया गया था। चांद मोहम्मद के पास से पिस्टल, कई जिंदा कारतूस व इंप्रोमाइज्ड एक्प्लोसिव डिवाइस भी बरामद हुई थी। इसके अलावा तीन साल पहले ही दो नेपाली महिलाएं भी बरेली से पकड़ी गई थीं । उनके पास से 50 लाख की कीमत का 25 किलो ओपियम भी बरामद हुआ था।
आईनेक्स्ट ने किया सनसनीखेज खुलासा
आई नेक्स्ट ने स्टिंग ऑपरेशन कर शहर में चल रहे नागरिकता के कारखाने का भंडाफोड़ किया था। कलेक्ट्रेट के पास जहां आला अफसरों के ऑफिस हैं महज 300 रुपए में नागरिकता का सर्टिफिकेट देने का खेल बेखौफ चल रहा है। आलम यह है कि धंधेबाजों ने प्रदेश के प्रोटोकॉल मिनिस्टर अभिषेक मिश्र का वोटर कार्ड बनाकर उन्हें सिटी के मढ़ीनाथ का निवासी दर्ज कर दिया था। इस खुलासे से प्रशासनिक हलके में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में मामले पर सख्त रूख अख्तियार करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त उमेश सिन्हा ने जांच का फरमान जारी कर दिया था। बरेली के कमिश्नर के राम मोहन राव ने भी इसे सीरियस इश्यू बताते हुए जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश से जांच कर कार्रवाई का आदेश दिया है।