- बढ़ती ठंड के साथ शहर में करीब 30 परसेंट मासूम विंटर डायरिया और निमोनिया की चपेट में
- रोटा वायरस दे रहा विंटर डायरिया और विंटर निमोनिया भी बच्चों को ले रहा चपेट में
BAREILLY:
ठंड से ठिठुर रहे लोगों पर विंटर डिजीज की भी मार पड़ रही है। सर्दियों के सख्त तेवर के साथ ही विंटर डायरिया और निमोनिया ने भी बच्चों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। ठंड बढ़ने की वजह से माहौल में रोटा वायरस एक बार फिर एक्टिव हो गया है। जिसने सिटी में डायरिया और निमोनिया के पेशेंट्स की तादाद में तकरीबन फ्0 परसेंट तक का इजाफा कर दिया है। ठंड के से बचने के फेर में तमाम तरीके अपना रहे लोग अनजाने में ही इस वायरस की चपेट में आ रहे हैं। जिसमें बड़ों की अपेक्षा बच्चों की ज्यादा तादाद है। डॉक्टर्स के मुताबिक पेरेंट्स की लापरवाही बच्चों पर भारी पड़ रही है। जो कि बाद में मुसीबत साबित होगी।
विंटर निमोनिया का कहर
विंटर डायरिया की तरह ही विंटर निमोनिया ने भी सेहत में सेंध लगाने का काम किया है। विंटर निमोनिया को मेडिकल टर्म में एनर्जिक ब्रोंकाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। इसमें इम्यूनिटी कमजोर होने के चलते भी विंटर निमोनिया में करीब 80 फीसदी बच्चे हैं। इसमें कोल्ड खांसी, सांस का फूलना, लंग्स में सूजन आना और फिर पानी भर जाने की प्रॉब्लम होती है। इसमें बच्चों के होंठ और नाखूनों में नीलापन आना खतरे का संकेत है। ऐसे में जरा सी लापरवाही जन पर जोखिम बन जाती है।
ठंड नहीं, है वायरस अटैक
डॉक्टर्स के मुताबिक विंटर डायरिया के अटैक को आमतौर पर लोग ठंड लगना समझते हैं। जबकि यह रोटा वायरस की वजह से होता है। विंटर डायरिया में बच्चों में हल्का बुखार, वोमेटिंग और पेट में मरोड़ के साथ दस्त शुरू हो जाते हैं। जो कि ठंड के जैसे ही सिपंटम्स दिखाते हैं। ऐसे में कई बार पेशेंट्स सीधे डॉक्टर्स से संपर्क न करके घरेलू इलाज करने लगते हैं। जिससे कोई फायदा नहीं होता बल्कि पेशेंट्स और भी सीवियर हो जाते हैं।
ठंड से ज्यादा लापरवाही जिम्मेदार
विंटर डायरिया के केस में गंदगी ज्यादा जिम्मेदार होती है। जो कि ज्यादातर ख् वर्ष तक के बच्चों पर आसानी से हावी हो जाती है। ऐसे में पेरेंट्स की लापरवाही से ही बच्चे इसकी चपेट में आते हैं। बच्चों की दूध की बोतल का ना उबालना, उनका हाथ ना धुलाना, उन्हें नंगें पाव घूमने देना, कपड़ों का न बदलना आदि रीजंस हैं। इसके अलावा निमोनिया भी इस समय ख् वर्ष के बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है। इसकी चपेट में आने का मेन रीजन पेरेंट्स की ओर से कमरों में क्रास वेंटीलेशन न रखना, हीटर और ब्लोअर को ऑन रखना आदि रीजंस हैं।
टेंप्रेचर में उतार चढ़ाव भी वजह
सर्दियों के दौरान टेंप्रेचर में फ्रीक्वेंट चेंजेस होने से भी विंटर डायरिया और निमोनिया की आशंका बढ़ जाती है। ठंड में अलाव, हीटर, ब्लोअर या अंगीठी से गर्माहट लेने और फिर अचानक बाहर के सर्द माहौल में जाने सांस की नली में बुरा असर पड़ता है। गर्माहट लेते समय रूम में ऑक्सीजन बर्न हो जाती है। जिससे सांस नली में सूजन आती है। वहीं, बच्चों की सांस की नली अंदर से डैमेज हो जाती है। डॉक्टर्स का कहना है कि ठंड लगने पर सीने में बाम या ब्रांडी लगाने से हल्की राहत मिल सकती है। लेकिन रात भर तेज महक की वजह से निमोनिया होने की संभावना होती है।
प्रिवेंशन और सेफ्टी
- विंटर डायरिया के सिंपटम्स को ठंड लगना न समझें।
- मां ब्रेस्ट फीडिंग से पहले अपने हाथ व शरीर को अच्छे से साफ करें।
- दूध की बोतल को कई बार गर्म पानी से धोएं, बचा दूध यूज न करें।
- फ्रीक्वेंट टेंप्रेचर चेंजेज वाले माहौल से बचें।
- बच्चों को ज्यादा कवर न करें। उनकी साफ सफाई नियमित करें।
- बंद कमरे में हीटर, ब्लोअर, अलाव का यूज न करें। रूम में क्रास वेंटीलेशन रखें।
- विंटर डायरिया की स्थिति में पानी व ओआरएस का घोल बार बार पिलाएं।
- बाहर का अनहाइजिनिक खाना खाने से परहेज करें।
- ठंड में रोटा वायरस की ग्रोथ बढ़ जाती है। जो विंटर डायरिया की वजह बनता है। एंटीबॉयोटिक फायदा नहीं करती। इस समय क्0 में से ब् बच्चे विंटर डायरिया और निमोनिया की चपेट में हैं।
डॉ। रवि खन्ना, पीडियाट्रिशियन
- इस समय करीब 80 फीसदी बच्चों में निमोनिया के लक्षण मिले हैं। इसके अलावा विंटर डायरिया के केसेज भी आ रहे हैं। पेरेंट्स बच्चों की साफ सफाई से कतई समझौता न करें।
डॉ। धर्मेद्रनाथ, पीडियाट्रिशियन
सर्दियों में विंटर डायरिया और निमोनिया के केसेज बढ़ गए हैं। विंटर डायरिया व निमोनिया से बीमार बच्चों की तादाद करीब फ्0 से ब्0 परसेंट तक है। ठंड में बच्चों के रूम में क्रास वेंटीलेशन रखें।
डॉ। जीएस खंडूजा, पीडियाट्रिशियन