केस - 1
सब्जी मंडी निवासी नईम अहमद जीआईसी में गेम्स इंचार्ज के पद पर सर्विस करते हैं। इनकी ड्यूटी पीठासीन अधिकारी के तौर पर लगाई गई है। साथ ही वाइफ अर्चना की भी इलेक्शन ड्यूटी लगने वाली है। मार्च में बेटी आयशा का बोर्ड और बेटे अरशद के एग्जाम खत्म हो गए। उन्होंने एग्जाम के बाद बच्चों से टूर पर ले जाने को प्रॉमिस किया था। अब वे अपना वादा पूरा नहीं कर सकते हैं। पेरेंट्स के इस रवैये से बच्चे नाराज हैं। इन्हें मनाने के लिए नईम बच्चों को नैनीताल व अन्य प्लेसेज पर ले जाना चाहते हैं। बेटे को मनाने के लिए फेवरिट गिफ्ट भी दे रहे हैं, लेकिन बच्चे हैं कि मानते ही नहीं। पेरेंट्स ड्यूटी पर जाते समय रिलेटिव या नेवर्स के घर पर बच्चों को ड्रॉप करने या रिलेटिव को कुछ दिन के लिए घर बुलाकर बच्चों की देखभाल करने की रिक्वेस्ट करेंगे।
केस 2
बिहारीपुर निवासी शशिकांत माथुर जीआईसी और वाइफ विमलेश कुमारी जीजीआईसी में लेक्चरर के पद पर तैनात हैं। शशिकांत पीठासीन अधिकारी के पद पर तैनात किए गए हैं, वहीं विमलेश की भी ड्यूटी एक दो दिन में लग जाएगी। मार्च में चिल्ड्रेंस प्रशांत माथुर के बोर्ड एग्जाम के साथ ही तेजस्व और आर्यन के भी एग्जाम खत्म हो गए। एग्जाम के बाद फैमिली के साथ रिलीजियस टूर का प्रोग्राम बनाया था, लेकिन बिजी शेड्यूल होने के कारण कहीं बाहर नहीं जा पा रहे। ऐसे में प्रशांत मायूस होकर नाना के घर चला गया। आर्यन और तेजस्व पेरेंट्स के साथ ही रहना पसंद कर रहे हैं। टाइम पास करने के लिए फ्रेंड्स के साथ मस्ती कर रहे हैं। वह भी बेमन से। मनाने की तमाम कोशिशें कर के हार चुके शशिकांत अब बच्चों को वोट से जुड़े तमाम पहलुओं को बताकर समझाने का प्रयास कर रहे हैं।
केस - 3
सुभाषनगर निवासी आरके वर्मा पोस्ट ऑफिस में बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर के पद पर सर्विस करते हैं। वह रिजर्व के पोस्ट पर वेटिंग लिस्ट में हैं। ऐसी स्टेज होने पर कोई भी डिसीजन नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि इनकी ड्यूटी कभी भी और कहीं भी लग सकती है। बच्चों से एग्जाम खत्म होने पर टूर प्रोग्राम बनाया था। लास्ट मंथ एग्जाम खत्म होने पर वाइफ और बच्चों ने प्रोग्राम के प्रॉमिस को याद दिला रहे हैं। इन्होंने बच्चों के लिए टूर प्रोग्राम बनाने और हैंडिल करने की जिम्मेदारी वाइफ को दी है। वहीं फैमिली मेंबर्स से रिक्वेस्ट की है कि जहां जाना चाहें जाएं। रिक्वेस्ट के बावजूद मनाने के लिए यह घर में टाइम से पहुंच रहे हैं। लोगों को आउटिंग प्रोग्राम के जरिए हैप्पी मूमेंट्स क्रिएट करने में लगे हुए हैं।
BAREILLY: यह केस महज बानगी भर है। शहर में ऐसी कई फैमिलीज हैं, जहां बोर्ड एग्जाम और अन्य प्राइवेट एग्जाम खत्म होने पर ऑउटिंग पर जाने का प्लान बनाया गया था। समर वैकेशन को फुल टू एंज्वॉय करने का प्लान था, लेकिन इलेक्शन ड्यूटी ने प्लान पर ब्रेक लगा दिया है। ऑफिसर्स इलेक्शन ड्यूटी को फर्स्ट प्रियोरिटी पर रख रहे हैं। हालांकि अब पेरेंट्स के सामने बच्चों को मनाने की समस्या उत्पन्न हो गई है। वैसे तो बड़े बच्चे खुद को किसी तरह समझा रहे हैं, लेकिन छोटे बच्चे मायूस हो रहे हैं। ऐसे में बच्चों को मनाने के लिए पेरेंट्स हर संभव प्रयास कर रहे हैं। कोई एक्साइटिंग गेम किट से तो कोई डिफरेंट स्वीट्स और चॉकलेट्स से उन्हें बहलाने की जुगत में हैं। ऐसे में ट्रैवल एजेंसीज ने बताया कि टिकट बुक करा चुके पेरेंट्स चुनावी ड्यूटी की वजह से टिकट वापस करा रहे हैं।
बच्चों को समझाना है कठिन
प्रॉमिस को तोड़ना किसी को अच्छा नहीं लगता, लेकिन यह बात बच्चों के समझ से परे है। पेरेंट्स बच्चों को हर तरह से समझाने और मनाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ऑउटिंग पर जाने का प्रोग्राम कैंसिल होने से सभी को लो स्ट्रेस की स्थिति बनी हुई है। दूसरी ओर कुछ ऐसे पेरेंट्स भी हैं, जो इलेक्शन खत्म होने के बाद ऑउटिंग का प्रोग्राम बना रहे हैं, लेकिन सिटी में इलेक्शन खत्म होने के बाद स्कूल रिओपेन हो जाने से प्रोग्राम को बच्चे हवा हवाई ही समझ रहे हैं। ऐसे में पेरेंट्स डेली शाम को बच्चों और वाइफ को लेकर ऑउटिंग कर रहे हैं। तो वहीं कोई बच्चों के मनपसंद गेम किट परचेज कर खुश करने की जुगत में है। साथ ही न्यू अरॉइवल मूवीज के टिकट भी सरपराइज प्रोग्राम के तौर पर पेश कर फैमिली में ह्यूमरस मूमेंट क्रिएट कर रहे हैं।
कहीं और अच्छा नहीं लगता
जिस फैमिली में हसबैंड और वाइफ दोनों की ड्यूटी लगी है। वे बच्चों को दूसरों के हवाले करने का प्लान बना रहे हैं। बच्चों को पेरेंट्स की गैरहाजिरी में कैसे, क्या, क्यों और कब करना है सभी मुख्य बातों को बता रहे हैं, लेकिन बच्चों ने बताया कि पेरेंट्स के साथ खूब मस्ती करने का प्लान था। अपने घर की बात ही अलग होती है। इन्हें किसी और के घर में मैनेज करने में काफी प्रॉब्लम्स होती हैं। सभी इन पर नजर बनाए रखते हैं। अपने घर में जिस तरह से मस्ती का माहौल क्रिएट होता है, वह कहीं और मुमकिन नहीं है। छोटी सी गलती भी बड़ी लगने लगती है। ऑउटिंग और आउटडोर गेम्स पर लगभग बैन हो जाता है। वहीं किसी अन्य के घर पर फेवरिट नाश्ता और डिनर भी ना मिलना और भी बोरिंग कर देता है।
गेम्स भी खेलने में मन नहीं लग रहा
जब से बच्चों को पता चला है कि पेरेंट्स अपने वादे से मुकर रहे हैं, तब से फैमिली मेंबर्स बोरियत महसूस कर रह हैं। बच्चों ने इस वैकेशंस को एंज्वॉय करने के लिए कई सारे एक्साइटिंग प्रोग्राम बना थे। उन्हें पूरा कराने के लिए पेरेंट्स से वादा भी करवा लिया था, लेकिन अचानक होने वाले प्रोग्राम में बदलाव की वजह से बच्चे नर्वस हो गए हैं। गेम किट, कम्प्यूटर मोबाइल गेम्स, चॉकलेट्स, ऑउटिंग, मूवीज, फ्रेंड्स के साथ मस्ती और फेवरिट डिसेज के टेस्ट में मन नहीं लगा पा रहे हैं। इन्होंने बताया कि सभी एक्साइटिंग और एडवेंचर्स इवेंट का जो प्लान बनाया था। उसके पूरा न होने पर बच्चे मायूस हैं।
पेरेंट्स दे रहे अच्छी सीख
बच्चों को मनाने के लिए बाकायदा वोट की अहमियत के बारे में बताया जा रहा है। फैमिली में सभी को वोट की कीमत और पॉवर समझाने का अभियान शुरू हो गया है। इस बाबत बच्चों को वोट की इंपॉर्टेस के जरिए देश के हालात और बड़े होने पर वोट की पॉवर का कैसे इस्तेमाल करना चाहिए सहित सभी बातों को समझाकर मनाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में बड़ बच्चे तो इन बातों को सुनकर समझने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन छोटे बच्चों को यह बातें पल्ले नहीं पड़ रही हैं। उसके बोर्ड एग्जाम के स्टूडेंट्स तो मैनेज कर ले रहे हैं। लेकिन छोटे बच्चों पर इन बातों का असर ना के बराबर हो रहा है। तो इस स्टेज पर निपटने की जिम्मेदारी पेरेंट ने बड़े बच्चों को दे दी है।
बुकिंग भी कम
ट्रैवल एजेंसीज की मानें तो सिटी में बोर्ड एग्जाम खत्म होने के बाद करीब एक हजार फैमिली ने टूर पर जाने का प्लान बनाया था, जिसमें ज्यादातर लोग डोमेस्टिक ट्रैवल पैकेजेज बुक कराए थे, लेकिन इलेक्शन ड्यूटी की वजह से करीब 7भ् लोगों ने टिकट वापस करा लिया है। वहीं दूसरी ओर क्7 अप्रैल को इलेक्शन की डेट खत्म होने के साथ कुछ लोगों ने आगे की डेट्स पर बुकिंग कराई है। वह भी कैंसिलेशन के एवरेज में भ्0 परसेंट ही है। ट्रैवल एजेंसी के ओनर सुनील कुमार ने बताया कि जहां लास्ट इयर इसी मंथ करीब म्00 लोगों ने टूर पर जाने का प्लान किया था। वहीं इस साल अप्रैल मंथ में बुकिंग्स केवल रेग्यूलर पैसेंजर्स की ही रह गई है।