- बच्चों के एडॉप्शन पर पासपोर्ट के लिए बर्थ सर्टिफिकेट और पुलिस वेरीफिकेशन की जरूरत नहीं

- फॉरेनर कपल्स इंडियन अनाथ बच्चों को आसानी से कर सकेंगे एडॉप्ट

BAREILLY:

बरेली सहित पूरे इंडिया के अनाथ बच्चे अब और आसानी से फॉरेन जा सकेंगे। अब इनके हवाई उड़ान में पासपोर्ट बाधा नहीं बनेगी। फॉरेन मिनिस्ट्री ने ऐसे बच्चों को पासपोर्ट जारी करने के लिए कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया कम कर दी है। अब इंटर कंट्री एडॉप्शन की स्थिति में बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं पड़ेगी। और न ही उनका पुलिस वेरीफिकेशन होगा।

बर्थ सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं

फॉरेन मिनिस्ट्री ने यह डिसिजन मिनिस्ट्री ऑफ वूमेन चाइल्ड डेवलपमेंट की रिक्वेस्ट पर लिया है। जबकि, इसके पहले ख्म् जनवरी क्989 के बाद जन्में बच्चों का पासपोर्ट के लिए बर्थ सर्टिफिकेट कम्पल्सरी कर दिया गया था। इस नई व्यवस्था के बाद इंटर कंट्री एडॉप्शन को एक नई ऊंची उड़ान मिलने की सम्भावना जताई जा रही है।

सर्टिफिकेट के बाद कोर्ट में अप्लाई

चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के देव शर्मा ने बताया कि, बच्चों को एडॉप्ट करने के लिए फॉरेनर को सबसे पहले सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स गवर्नमेंट अथॉरिटी (कारा)से कांटैक्ट करना पड़ता है। फिर, यह अथॉरिटी विदेशी कपल्स को इंस्टीगेट सर्टिफिकेट देती है। सर्टिफिकेट पाने के बाद फॉरेनर कोर्ट में अप्लाई करना पड़ता है। कानूनी कार्रवाई पूरी करने के बाद बच्चे को एडॉप्ट करने की परमीशन कपल्स को मिलती है।

ख्म् एजेंसियां करती है वर्क

पूरे देश में फैले बॉर्न बेबी फोल्ड कारा के अकॉर्डिग ही काम करती हैं। बरेली सहित पूरे देश में ख्म् एजेंसियां हैं। जो कि, कारा से जुड़ी हुई हैं। ये एजेंसियां कारा की गाइडलाइन के आधार पर ही वर्क करती हैं। इनमें से कुछ एजेंसियां इन कंट्री एडॉप्शन और इंटर कंट्री एडॉप्शन के तौर पर रजिस्टर्ड है। लेकिन, अनाथ बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट को लेकर तमाम समस्याएं उत्पन्न होने से बच्चों की एडॉप्शन प्रक्रिया बीच में ही लटक जाती थी और एडॉप्शन की प्रक्रिया काफी लंबी खींच जाती थी। जिसके चलते साल दर साल बच्चों के एडॉप्शन की संख्या काफी कम हो गई है।

बरेली में पासपोर्ट की स्थिति

- बरेली रीजन के अंतर्गत क्फ् डिस्ट्रिक्ट आते है।

- हर साल करीब 90 हजार पासपोर्ट जारी होते है।

- इनमें से क्0 परसेंट पासपोर्ट माइनर बच्चों के शामिल है।

ईयर - इन कंट्री एडॉप्शन - इंटर कंट्री एडॉप्श्न

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नोट- यह आंकड़ा कारा की रिपोर्ट के आधार पर पूरे देश का है।

एडॉप्ट होने वाले बच्चों के लिए पुलिस वेरीफिकेशन और बर्थ सर्टिफिकेट की व्यवस्था खत्म कर दी गई थी। सर्विस के बाद अनाथ बच्चों के पासपोर्ट आसानी से जारी हो सकेंगे। इससे पासपोर्ट आसानी से बनेंगे।

राम सिंह, पासपोर्ट अधिकारी, बरेली रीजन

दिल्ली के रहने वाले एक शख्स ने एक साल के बच्चे को गोद लिया था। इनकी वाइफ उप वेगिस्तान की रहने वाली है। फिलहाल बच्चे के एडॉप्शन में एक साल का समय लग जाता है। लेकिन, इस व्यवस्था के बाद एडॉप्शन प्रक्रिया कम समय में पूरी हो सकेगी।

मेक्रीना मैसी, प्रेसीडेंट, वॉर्न बेबी फोल्ड