हर रोज 300 क्विंटल की खपत

चिकन लवर्स की सिटी में कमी नहीं है। चिकन के होलसेल बिजनेस के सोर्सेज के अकॉर्डिंग सिटी में हर रोज एप्रॉक्स 335 क्विंटल चिकन की डिमांड होती है। इस डिमांड को पूरा करने के लिए हर रोज 10 ट्रक चिकन दूसरे शहरों से सिटी में लाया जाता है। बाकी डिमांड की सप्लाई लोकल पोल्ट्री फाम्र्स से की जाती है। शहर के 6 बड़े होलसेल मार्केट और 670 से ज्यादा रिटेल शॉप्स से इस चिकन को सेल किया जाता है.  बांसमंडी, सराय मार्केट, साहू गोपीनाथ, किला, श्यामगंज जैसी मंडियों में 35 से ज्यादा होलसेलर्स हैं। रिटेल मार्केट में औसतन हर शॉप से रोजना 50 केजी चिकन की सेल होती हैं। सिटी की टोटल शॉप्स और एवरेज सेल के हिसाब से कैलकुलेशन करें तो सिटी की हर दिन की डिमांड 335 क्विंटल है। मगर इन दिनों बाहर से आने वाले और   लोकल चिकेन को मिला कर भी सिटी में केवल 200 क्विंटल चिकेन की ही सप्लाई हो पा रही है।

ठंड से गिरा प्रोडक्शन

सिटी में बाहर से सप्लाई होने वाले चिकन की बात छोड़ दें तो बाकी डिमांड की सप्लाई लोकल फॉम्र्स से की जाती है। नवाबगंज, केसरपुर, धौराटांडा, भोजीपुरा, हाफिजगंज सहित डिफरेंट एरियाज में भारी संख्या में पोल्ट्री फॉर्म मौजूद हैं। चिक्स को मेच्योर होने में 30 से 35 दिन लगते हैं। लेकिन ठंड का मौसम लंबा खिंचने के कारण इनके प्रोडक्शन में कमी आई है। मार्केट में चिकेन की कमी का यह भी एक बड़ा कारण है।

देशी चिकन कॉन्सटेंट

मार्केट में देशी चिकन के दाम नहीं बढ़े हैं। इसका रेट 300 रुपए पर ही बना हुआ है। वहीं ब्रॉयलर चिकन का जो रेट 3 दिन पहले 120 से 150 रुपए प्रति केजी के बीच था। वह अब 210 रुपए प्रति केजी तक पहुंच गया है।

रिटायर्ड चिकन से भरपाई

मार्केट में आई इस शॉर्टेज का फायदा उठा कर रिटायर्ड चिकेन को भी बाजार में खपाया जा रहा है। मार्केट के सोर्सेज की मानें तो होटल और रेस्टोरेंट्स में चिकन की शॉर्टेज के बाद इनमें रिटायर्ड चिकन की सप्लाई की जा रही है। एक तय सीमा से ज्यादा की उम्र पार कर चुकी मुर्गियों को एजेड चिकन की कैटेगरी में रखा जाता है।

हो सकती है बीमारियां

डॉक्टर्स के अकॉर्डिंग रिटायर्ड चिकन ह्यूमन बॉडी के लिए डेंजरस हो सकता है। ऐसे चिकन में टॉक्सीन की भी मात्रा पाई जाती है। इस टॉक्सिन से लीवर और किडनी पर काफी प्रभाव पड़ता है। डॉक्टर्स के अकॉर्डिंग रिटायर्ड चिकन को महीने में 2 से 3 बार खाने वाले व्यक्ति को पेट से रिलेटेड प्रॉब्लम्स हो जाती हैं।

लास्ट ईयर की बंदी का असर

चिक्स (चूजों) के सप्लायर आईवी सिंह ने बताया कि आमतौर पर चिक्स के रेट दिल्ली से ही तय होते हैं। मगर हाल में हुई बढ़ोतरी के डिफरेंट रीजन हैं। चिकन की सप्लाई लोकल पोल्ट्री फाम्र्स के अलावा दूसरे शहरों से भी होती है। बरेली में सबसे ज्यादा चिक्स की सप्लाई हरियाणा से होती है। 2 वर्ष पहले बर्ड फ्लू होने से काफी मात्रा में चूजों की मौत हुई थी जिसकी वजह से मार्केट में इनकी शॉर्टेज हो गई थी। चूजों की यह कमी लगभग 8 महीनों तक बनी रही। शॉर्टेज दूर करने के लिए हरियाणा में करीब 300 चिक्स प्रोडक्शन हाउस खोले गए। इसके 6 महीनों में प्रोडक्शन तो बढ़ा लेकिन उस रेश्यो में इसकी डिमांड नहीं आई इसकी वजह से 90 परसेंट पोल्ट्री फॉम्र्स बंद करने पड़े। इन पोल्ट्री फॉम्र्स के बंद होने का असर मार्केट में अब दिख रहा है।

दो दिन में चिकन का रेट 50 रुपए प्रति किलो तक बढ़ा है। इसकी वजह से कस्टमर भी कम हुए हैं। मार्केट में चिकन की सप्लाई कम होने की वजह से दाम बढ़े हैं।

मोहम्मद जावेद कुरैशी, चिकन विक्रेता

बरेली में 600 से ज्यादा चिकन विक्रेता हैं। रिटायर्ड चिकन का प्राइस कम होता है। जब मुर्गी अंडे देना बंद कर देती है तो उसे मार्केट में सेल कर दिया जाता है।

मोहम्मद इकबाल, होलसेलर

रिटायर्ड चिकन की क्वालिटी सही नहीं होती है। इसमें कुछ मात्रा में टॉक्सिन पाया जाता है। यह टॉक्सिन लीवर और किडनी के लिए हार्मफुल होता है। इसके रेगुलर यूज से कई बीमारियां हो सकती हैं। वहीं अगर चिकन को बर्ड फ्लू है तो परिणाम और भी घातक हो सकते हैं।

डॉ। भरत कालरा, फिजीशियन

मेरा ऐसा मानना है कि डिमांड के अकॉर्डिंग सप्लाई न हो पाने की वजह से चिकन के रेट बढ़े हैं। लेकिन एक वीक में ही रेट इतने बढ़ जाएंगे इसकी उम्मीद नहीं थी।

सिया, सिविल लाइन

महंगाई तो हर जगह आई है। लेकिन जिस चीज की जरूरत होती है उसे खरीदना तो पड़ता ही है। महंगाई ने तो घर का बजट ही बिगाड़ दिया है।

प्रियांशु तोमर, कस्टमर