बरेली (ब्यूरो)। पवित्रता के प्रतीक व भगवान भाष्कर की पूजा के लिए पूरे विश्व में छा चुके छठ महापर्व को जिले में धूमधाम से मनाया गया। सुहागिनों ने जल कुंड में खड़े होकर डूबते सूर्य को अघ्र्य देकर भाग्योदय का वरदान मांगा। महिलाएं कुंडों व तालाबों तक छठी मइया के गीत गाते हुए पहुंचीं। उनके पीछे पुरुष सिर पर फलों, सब्जियों का टोकरा लेकर चल रहे थे। पीत व लाल साडिय़ां पहनी सुहागिनों ने नाक से लेकर पूरी मांग पीले ङ्क्षसदूर से भर रखी थीं। लंबी मांग भरकर उन्होंने छठ मइया से पित की लंबी आयु की कामना की। कई महिलाओं ने पुत्रोत्पति की कामना छठी मइया से की। मनौती पूरी होने पर भी कई लोगों ने मइया का पूजन किया।
17 को हुआ था शुरू
17 नवंबर चतुर्थी के दिन शुरू हुआ छठ महापर्व का रविवार को तीसरा दिन था। चतुर्थी को नहाय-खाय के साथ इस महापर्व की शुरुआत हुई थी। पंचमी से महिलाओं ने निर्जल व्रत शुरू किया। षष्ठी को डूबते सूर्य का पूजन किया। सप्तमी को उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ इसका समापन होगा। इस दिन महिलाएं व्रत का समापन भी करेंगी। रविवार को व्रती महिलाओं ने फल, ठेकुआ, दूध व जल को बांस के सूप में रखकर सूर्य को अघ्र्य दिया। कुशीनगर निवासी शिवनाथ मौर्य बरेली में आकर सालों पहले बस गए थे। उन्होंने बताया कि यह पर्व सिर्फ बिहार में ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि पूरे विश्व में इसकी पहचान हो चुकी है। इनके साथ देवेन्द्र राम, गुलाब सिहं, रामप्रीत, इनकम टैक्स कार्यालय में कार्यरत रविन्द्र ङ्क्षसह व भोजपुरी सेवा समिति के महामंत्री रामगिरिश आदि भी छठ महापर्व पर पत्नी के साथ आए थे।
यहां हुए आयोजन
महात्मा ज्योतिबाफुले रुहिलखंड विश्वविद्यालय, इज्जतनगर, एयरफोर्स स्टेशन, रेलवे कालोनी, शांतिनगर, संतनगर, शिव-पार्वती मंदिर शहीद गेट, शिवगंगा सिटी, तौलारोड स्थित माडर्न विलेज कालोनी, सिद्धार्थनगर व रामगंगा नदी के घाट पर लोगों ने छठ मनाई।
इफको में हुई छठ पूजा
इफको आंवला के सिद्वेश्वर मंदिर परिसर के क्रत्रिम जलाशय में फल से भरी टोकरी, ठेकुवा, पुष्प और जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अघ्र्य दिया। इस अवसर पर इफको आंवला इकाई के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक राकेश पुरी ने छठ उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं दी।