जवाहर लाल पर दांव

एबीवीपी ने देर शाम बरेली कॉलेज में प्रेसीडेंट, वाइस प्रेसीडेंट और जनरल सेक्रेट्री के कैंडीडेट फाइनल कर दिए। परिषद के संगठन मंत्री सुनील वाष्र्णेय, सह संगठन मंत्री जितेश तोमर और प्रदेश मंत्री दीपक ऋषि ने टिकटों की घोषणा की। प्रेसीडेंट का टिकट जवाहर लाल, वाइस प्रेसीडेंट का अवनीश प्रताप सिंह और जनरल सेक्रेट्री का रश्मी कन्नौजिया को दिया गया। वहीं बीसीबी के पुस्तकालय अध्यक्ष, फैकल्टी समेत आरयू इलेक्शन के लिए किसी भी कैंडीडेट की घोषणा नहीं हुई।

सछास ने नहीं खोले पत्ते

स्टेट की सत्तापक्ष पार्टी की यूथ विंग सछास ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले। मंडे को सछास के स्टेट प्रेसीडेंट राजपाल कश्यप ने मंडल ऑफिस में दिन भर मैराथन मीटिंग की। कैंडीडेट्स के इंटरव्यू लिए लेकिन टिकट की घोषणा नहीं की। उन्होंने बताया कि करीब 50 कैंडीडेट्स के इंटरव्यू लिए गए। कैंपस में जिन कैंडीडेट्स की साफ-सुथरी छवि होगी, उनके नाम तय किए जाएंगे। साथ ही उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से कैंपस में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की गरिमा बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि टिकट तय हो चुके हैं लेकिन घोषणा वे लखनऊ से फैक्स के जरिए ही करेंगे। इसके अलावा एनएसयूआई ने भी अपने कैंडीडेट्स की औपचारिक घोषणा नहीं की।

जवाहर लाल, प्रेसीडेंट पद

प्रजेंट में ये एमकॉम सेकेंड ईयर के स्टूडेंट हैं। वे पिछले छह साल से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। हालांकि इंटर से ही छात्र राजनीति में उनका इंट्रेस्ट बढऩे लगा था।

अवनीश प्रताप सिंह, वाइस प्रेसीडेंट पद

अभी ये एमए फस्र्ट ईयर के स्टूडेंट हैं। अवनीश पिछले पांच साल से एबीवीपी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं।

रश्मि कन्नौजिया, जनरल सेक्रेट्री पद

फिलहाल ये एमए फस्र्ट ईयर की स्टूडेंट हैं। उन्होंने 2006 में भी इंडिपेंडेंट कैंडीडेट के तौर पर जनरल सेक्रेट्री पद के लिए इलेक्शन लड़ा था लेकिन जीती नहीं। वे हॉकी की नेशनल प्लेयर भी रह चुकी हैं।

एसएफआई आज करेगी कैंडीडेट्स का खुलासा

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया भी स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में अपने कैंडीडेट्स उतारने वाली है। जिला संयोजक कमल हसन ने बताया कि कैंडीडेट्स लिस्ट करीब फाइनल कर दी गई है। बस फाइनल टच देना बाकी है। ट्यूजडे शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लिस्ट को सबसे सामने जाहिर कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि कैंडीडेट्स के चयन में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को ध्यान में रखा गया है। जिससे उनके नॉमिनेशन में कोई गड़बड़ी न हो और उनका नामांकन रद न हो।

आपत्ति दर्ज करने का आखिरी दिन आज

बीसीबी और आरयू में वोटर्स लिस्ट पर स्टूडेंट्स द्वारा आपत्ति दर्ज करने के लिए ट्यूजडे को लास्ट डेट है। दोपहर 2 बजे तक स्टूडेंट्स की आपत्तियां दर्ज की जाएंगी और 5 बजे तक फाइनल लिस्ट जारी की जाएगी। स्टूडेंट्स को लिस्ट को लेकर किसी भी तरह की आपत्ति है तो उसे डिपार्टमेंट के हेड से फॉरवर्ड कराकर चुनाव अधिकारी को सौंप सकते हैं। इसके बाद वोटर्स लिस्ट में किसी भी प्रकार की चेंज नहीं की जाएगी। 31 को नॉमिनेशन फाइल किया जाएगा।

कैंपस का घमासान तो शुरू हो चुका है। किसी को टिकट मिल चुका है तो कोई अभी इसकी  जद्दोजहद में लगा है। इसी बीच वोटर्स भी अपने प्रत्याशियों का आकलन करने में लगे हैं। आइए जानते हैं कि आखिर कैंडीडेट्स से वोटर्स क्या एक्सपेक्ट कर रहे हैं।

Academics का मुद्दा ही दिलाएगा वोट

यूनिवर्सिटी में पढ़ाई ही प्रमुख होनी चाहिए। इसलिए जरूरी है कि स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में नेताओं का एजेंडा एकेडमिक्स से रिलेटेड हो। मेरा वोट उसी प्रत्याशी को जाएगा जो एकेडमिक्स की अनियमितताओं को सही करने का मुद्दा प्रबलता से उठाएगा। इंटरनल एग्जाम्स लेट हो जाते हैं, कई बार रिजल्ट्स खराब हो जाते हैं, आंसर नोटबुक्स में रॉन्ग चेकिंग हो जाती है, रिजल्ट ये होता है कि स्टूडेंट्स का फ्यूचर ही दांव पर लग जाता है। इसलिए यूनियन में एकेडमिक्स को मुद्दा बनाने वाले प्रत्याशी को ही मैं अपना वोट दूंगी।

-मोनिका, बीटेक स्टूडेंट, आरयू

माहौल सुधार कर ही चख सकेंगे जीत का स्वाद

आरयू में छात्रनेताओं की अराजकता बढ़ती जा रही है। अभी तो चुनाव हुए ही नहीं हैं, जब हो जाएंगे तब तो यहां आम स्टूडेंट्स का आना और भी मुश्किल हो जाएगा। मुझे तो वह स्टूडेंट लीडर पसंद है जो कैं पस में अराजकता फैलाने के बजाय खुद स्टडीज पर ध्यान दे। साथ ही स्टूडेंट्स के वेलफेयर के लिए काम करे। वहीं वह ऐसा होना चाहिए जो आसानी से अवेलेबल हो। जो स्टूडेंट कैंपस में एकेडमिक माहौल तैयार करने का मुद्दा उठाएगा, वही वास्तव में हमारा नेता होगा। मैं तो अपना वोट उसे ही दूंगा।

-अंशुल, मैनेजमेंट स्टूडेंट, आरयू

Single window system से जाएगा जीत का रास्ता

मुझे तो कॉलेज कैंपस में कु छ भी सही नजर नहीं आता है। यहां हर कदम पर सुधार की जरूरत है पर सबसे ज्यादा जरूरी है कैंपस का माहौल और स्टडीज में क्वालिटी प्रोवाइड करना। क्लासेज रेग्युलर लगनी चाहिए। गल्र्स के लिए जीसीआर को एट लीस्ट इस काबिल बना दिया जाए कि बेसिक नीड्स के लिए गल्र्स को कैंपस में भटकना न पड़े। वहीं यहां सिंगल विंडो सिस्टम की भी बहुत जरूरत है। ऐसे में मेरा वोट उस कैंडीडेट को ही जाएगा जो स्टडीज, एडमिनिस्ट्रेटिव प्रोसेस को ईजी बनाने और जीसीआर क ो अपना मुद्दा बनाएगा।

-ईशा अरोड़ा, ग्रेजुएशन स्टूडेंट, बीसीबी

बिजली से ही जलेगी जीत की लौ

बीसीबी कैंपस में लाइट की बहुत प्रॉब्लम है। गर्मी में तो यहां क्लास अटेंड कर पाना भी मुश्किल होता है। पंखे न चलने पर दिक्कत और ज्यादा बढ़ जाती है। वहीं क्लास में लाइट नहीं जलती है तो स्टूडेंट्स की आंखों पर जोर पड़ता है। इस वजह से स्टूडेंट्स को स्पेक्ट्स जल्दी यूज करने पड़ जाते हैं। बीसीबी में जनरेटर की सुविधा होते हुए भी इसका फायदा नहीं मिलता। ऐसे में स्टूडेंट्स लीडर्स में से जो कोई भी अपने इलेक्शन एजेंडा में इलेक्ट्रिसिटी प्रॉब्लम क ो प्रमुखता से उठाएगा, मेरा वोट उसी को जाएगा। यह प्रॉब्लम कॉलेज आने वाले हर स्टूडेंट को फेस करनी पड़ती है।

-अनुभव पाराशरी, ग्रेजुएशन स्टूडेंट, बीसीबी

स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन की  डेट करीब आते-आते कैंपस के नेताओं में जोश बढ़ रहा है। वहीं वोटर्स भी काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं। चुनावी चर्चाओं का दौर चल रहा है। इनमें पुराने नेताओं को भी याद किया जा रहा है पर आई नेक्स्ट ने उन्हें सर्च किया और अब उनके सफर को आप तक पहुंचा रहे हैं।

शिवप्रताप सिंह ने बीटेक में एडमिशन लेने के बाद से स्टूडेंट्स यूनियन में रुचि लेना शुरू कर दिया था। इसके दो साल बाद ही वह महामंत्री बन गए। उन्होंने यूनिवर्सिटी से एमएसडब्लू किया। इसके बाद वह छात्र संघ के अध्यक्ष का चुनाव भी जीते। प्रेजेंट में वह बीसीबी में एलएलबी के स्टूडेंट हैं और समाजवादी छात्र सभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। वहीं वह मेन स्ट्रीम में अपनी पहचान बनाने के लिए प्रयासरत भी हैं। उनका दावा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में बीटेक के स्टूडेंट्स की तमाम एकेडमिक समस्याओं को दूर किया। जीसीआर का निर्माण कराया और केमिकल इंजीनियरिंग की सेपेरेट बिल्डिंग की वकालत की।

शिवपाल सिंह यादव, महामंत्री, 2004-05 आरयू

सबसे बड़ी पंचायत में जाने की जद्दोजहद

रत्नेश गंगवार ने एमएससी मैथ्स के स्टूडेंट के तौर पर समाजवादी छात्र सभा से महामंत्री पद का चुनाव जीता। इसके बाद उन्होंने बीएड और रिसर्च कंप्लीट की है। उनका दावा है कि उनके कार्यकाल में बीसीबी में छात्रसंघ भवन बनकर तैयार हुआ। इसके अलावा उन्होंने प्लेसमेंट सेल, ड्रिंकिंग वॉटर की व्यवस्था की। 2006 में वह लोहिया वाहिनी के अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद तीन साल तक  प्रदेश कार्यकारिणी में रहे। इस समय वह पीलीभीत से लोकसभा सीट पर टिकट की तैयारी कर रहे हैं। उनका दावा है कि 2014 के इलेक्शन में वह सपा से चुनाव लड़ेंगे। इस बीच उन्होंने चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाई है।

रमेश गंगवार, महामंत्री,2004-05 बीसीबी

स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में कैंडीडेट्स के खर्च की लिमिट आरयू और बीसीबी ने तय तो कर दी है लेकिन इन्हें किस-किस मद में शो करेंगे यह क्लीयर नहीं है। दोनों संस्थान के एडमिनिस्ट्रेशन ने इस ईश्यू को अभी तक तय करने की जहमत ही नहीं उठाई। वे केवल टोटल खर्चे लेकर ही चल रहे हैं। चाहे वह किसी भी मद में हो। जबकि कैंपेनिंग के लिए कैंडीडेट्स तमाम तरह की एक्टिविटीज करते हैं, जिनमें खर्चा होता है।

लिंगदोह कमेटी ने तय की लिमिट

स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में कैंडीडेट्स स्टूडेंट्स को प्रभावित करने के लिए उन पर तमाम तरह के खर्चे करते हैं। कैंपेनिंग में पोस्टर्स, हैंड बिल्स से लेकर स्टूडेंट्स के लिए पार्टी तक का इंतजाम करते हैं। स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन के लेवल पर इस तरह के खर्चे को लिंगदोह कमेटी ने लिमिटेड कर दिया था। सिफारिशों के अनुसार, एक कैंडीडेट कैंपेनिंग के लिए मैक्सिमम 5,000 ही खर्च कर सकता है। आरयू व बरेली कॉलेज ने इस लिमिट को चुनावी अध्यादेश में शामिल किया है।

दो दिन में शो करने होंगे खर्चे

लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार, रिजल्ट डिक्लेयर होने के दो दिनों के अंदर कैंडीडेट्स को अपने खर्चों का ब्यौरा देना होगा। इसे सभी कैंडीडेट्स के लिए कंपल्सरी कर दिया गया है। ऐसा न करने पर उनका चुनाव कैंसिल कर दिया जाएगा। साथ ही इन खर्चों को सभी के लिए सार्वजनिक करने के भी डायरेक्शंस दिए गए हैं।

लेकिन तय नहीं किए मद

दोनों कैंपस ने लिमिट तो निर्धारित कर दी लेकिन उन्होंने इसका विभाजन नहीं किया। कैंडीडेट्स 5,000 रुपए के खर्चे को किन-किन मदों में शो करेंगे, इसका कहीं भी जिक्र नहीं किया है। दोनों कैंपस का एडमिनिस्ट्रेशन केवल टोटल खर्चे 5,000 रुपए को लेकर चल रहे हैं।

ड्यूरेशन का भी पता नहीं

ये खर्चे किस दिन से गिने जाएंगे, दोनों संस्थान के एडमिनिस्ट्रेशन ने इसे भी तय नहीं किया है। इलेक्शन में होने वाले खर्च नोटिफिकेशन से कंसीडर किए जाएंगे या फिर नॉमिनेशन से, इसका कुछ अता-पता नहीं है। आरयू और बीसीबी को बस इतना पता है कि खर्चे चाहे कितने भी दिन के हों, लिमिट से ज्यादा नहीं होने चाहिए।

इन मदों में नहीं कर सकते खर्च

लिंगदोह कमेटी ने अपनी सिफारिशों में उन एक्टिविटीज का जिक्र किया है जिसके तहत कैंडीडेट्स खर्च नहीं कर सकते। यदि वे ऐसा करते हैं तो कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन माना जाएगा और उन पर कार्रवाई की जाएगी।

-कैंडीडेट्स किसी भी प्रकार का जुलूस नहीं निकाल सकते।

-व्हीकल से कैंपेनिंग नहीं कर सकते।

-प्रिंटेड पोस्टर्स, बैनर, हैंड बिल्स समेत अन्य प्रिंटेड मैटीरियल का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

-कैंडीडेट्स को प्रभावित करने के लिए उन पर खान-पान के मद में खर्च नहीं कर सकते।

-पोलिंग बूथ तक ले जाने के लिए स्टूडेंट्स को व्हीकल प्रोवाइड नहीं कर सकते।

कैंडीडेट्स के लिए 5,000 की लिमिट तय की गई है। इसमें किसी भी प्रकार का विभाजन नहीं है। कैंडीडेट्स को  टोटल खर्चा ही शो करना है।

- प्रो। नीलिमा गुप्ता, चुनाव अधिकारी, आरयू

कैंडीडेट्स इलेक्शन में 5,000 से ज्यादा खर्च नहीं कर सकते। हालांकि 1,000 रुपए सिक्योरिटी मनी को इससे बाहर रखा गया है। केवल टोटल खर्चा ही शो करना होगा।

-डॉ। आरपी सिंह, प्रिंसिपल, बीसीबी

संजय पटेल ने आरोपों को झूठा बताया

आरयू के स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में प्रेसीडेंट पद के दावेदार संजय पटेल ने युवांश द्वारा अपने उपर लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने बताया कि वे कभी युवांश के कार्यकर्ता रहे ही नहीं तो संगठन के खिलाफ जाने का सवाल ही नहीं उठता। युवांश और अम्बेडकर छात्र सभा के बीच हुए समझौते के मुताबिक अम्बेडकर छात्र सभा के प्रत्याशी को प्रेसीडेंट व पुस्तकालय मंत्री और युवांश के प्रत्याशी को उपाध्यक्ष और महामंत्री पद के लिए कैंडीडेट्स खड़ा करना था। संजय ने बताया कि उनके खिलाफ युवांश द्वारा झूठा प्रचार किया जा रहा है। हालांकि युवांश ने भी उनके आरोपों को झूठ का पुलिंदा बताया है।