- सासू मां के कहने पर उमरावती मनाने लगी छठ पूजा

- वर्षों से चली आ रही परम्परा का कर रही निर्वहन

BAREILLY: आस्था, लगन या यूं कहे अपने पूर्वजों की सौंपी गई जिम्मेदारियों को आगे बढ़ाना। शहर में भी ऐसे कई छठि मैया के भक्त हैं जो वर्षो से चली आ रही परम्परा का निर्वहन श्रद्धा पूर्वक करते आ रहे हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं एक ऐसे ही फैमिली की जिनकों याद नहीं की उनके घर में छठ पूजा कब से मनायी जा रही हैं। बीआई बाजार में रहने वाले बच्चा कांत सिंह की फैमिली पूरी निष्ठा के साथ छठि मैया का व्रत और पूजन अर्चन करते हैं। हर साल की तरह इस बार भी बच्चा कांत सिंह और उनकी पत्‍ि‌न उमरावती व बच्चे छठ पूजा की तैयारियों में जोर-शोर से जुटे हुए हैं।

गांव की तरह ही मनाते हैं

आर्मी से रिटायर बच्चा सिंह बताते हैं कि, हम लोग धरमपुर गांव जिला छपरा के रहने वाले हैं। जब से होश संभाला है अपने घर में छठ की पूजा होते देखते आ रहा हैं। बरेली आने के बाद भी छठ पूजा उसी तरीके से मनाते आ रहे हैं, जैसा की गांव में मनाते थे। हमारे बच्चे आरती और अजय भी भरपूर सहयोग करते हैं। रामगंगा में डूबते और उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य ि1दया जाएगा।

एक महीने पहले से तैयारी शुरू

बच्चा सिंह की पत्‍ि‌न उमरावती ने बताया कि भ् साल पहले मेरी सास ने कहा कि तुम भी छठ व्रत रखो। तब से मैं भी छठ का व्रत रख रही हूं। व्रत के दौरान किसी प्रकार की गलती न हो जाए इस बात का डर बना रहता है। छठ पूजा की तैयारी एक महीने पहले से ही शुरू कर दी जाती है। पूजा में कोई सामान छूट न जाए इसकी लिस्ट फैमिली मेंबर्स एक साथ मिलकर तैयार करते हैं।

सब कुछ आम का

आम की लकड़ी बहुत शुभ मानी जाती है। छठ पूजा के दौरान हम लोग आम के दातून का ही इस्तेमाल करते हैं। आम की लकड़ी से छठ पूजा का प्रसाद तैयार किया जाता है। कल से रोटी और गुड़ और चावल के बने खीर खाने के बाद फ्म् घंटे का व्रत शुरू हो जाएगा, जो उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद व्रत का पारन होगा। उमरावती ने बताया कि आम की लकड़ी की समस्या है, इसलिए इस बार सिर्फ फलाहारी व्रत और पूजा करेंगे।