- प्ले 'जरूरत है श्रीमती की' के हर संवाद पर हंसी से लोटपोट हुए दर्शक

<- प्ले 'जरूरत है श्रीमती की' के हर संवाद पर हंसी से लोटपोट हुए दर्शक

BAREILLY:

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भागदौड़ भरी दिनचर्या में हास्य के कुछ क्षण बहुत सुकून देते हैं। इन्हीं उम्मीदों के साथ चंद्रकांता सभागार में 'जरूरत है श्रीमती की' नाटक का मंचन किया गया। जो कि तनावपूर्ण जीवनशैली में हास्य से भरने में खरा उतरा। एमपी स्कूल ऑफ ड्रामा एंड एपिक थिएटर के बैनर तले आदर्श सिंह के निर्देशन में नाटक के हर कथानक पर दर्शक कलाकारों की परफार्मेस पर हंस हंसकर लोटपोट होते रहे। मुख्य किरदार में पप्पू वर्मा, आदर्श कुमार, लक्ष्मी नारायण सरस, कुमार संजय, निशा ठाकुर और मोहित सिंह के हास्य रस से लवरेज संवादों पर ठहाके लगते रहे।

कुछ ऐसा रहा कथासार

सेठ हरिहर अपनी बेटी मंदाकिनी की शादी अपने दोस्त के बेटे मलय कुमार से करना चाहते हैं, लेकिन सेठ के मुनीम की नजर उनकी संपत्ति पर थी। मुनीम गरीब चित्रकार को उनके दोस्त का बेटा बनाकर शादी के लिए लाता है। इसके अलावा कवि मंदा मंदाकिनी से प्यार करता है। उससे शादी की ख्वाहिश रखता है। इन्हीं सब के संवादों और क्रियाकलापों के बीच 'एक कन्या और तीन वर, हंसी का बना सरोवर' कुछ इसी तर्ज पर कथा का प्रारंभ और समापन हुआ। कार्यक्रम के दौरान डॉ। प्रमेंद्र माहेश्वरी, डॉ। शशिबाला राठी समेत अन्य लोग मौजूद रहे।