सेंटर बनाने के लिए सेल्फ फाइनेंस कॉलेजेज लगा रहे हैं आरयू एडमिनिस्ट्रेशन का चक्कर

क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ: आरयू में दो वीक के बाद एग्जाम शुरू होने है, लेकिन अभी तक यूनिवर्सिटी सेंटर्स तक फाइनल नहीं कर पाई है। सेंटर्स फाइनल ना होने के पीछे की वजह कुछ और ही है। सेल्फ फाइनेंस कॉलेजेज का दबाव आरयू के कर्मचारियों और अधिकारियों पर इतना बढ़ गया है कि वे कोई फाइनल डिसिजन नहीं ले पा रहे हैं। आंख मूंद कर सेंटर बनाने की पुरानी परंपरा में इस बार थोड़ी छेड़छाड़ क्या की गई पूरे एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग में ही हड़कंप मच गया है। सेल्फ फाइनेंस कॉलेजेस मैनेजमेंट अपने यहां सेंटर बनाने के लिए हर दांव अपना रहे हैं और वे कर्मचारियों और अधिकारियों अपने पाले करने के लिए जुटे हुए हैं।

गड़बड़ी पर नहीं होती कार्रवाई

आरयू में एग्जाम्स के दौरान हमेशा कई सेंटर्स पर गड़बड़ी की शिकायत आती हैं। रिपोर्ट भी होती है, लेकिन आरयू प्रशासन अपनी कमजोर इच्छाशक्ति की वजह से कार्रवाई से पीछे हट जाता है। बोरे भर कर पर्ची पकड़े जाना, मास कॉपी होना, कॉलेज स्टाफ द्वारा ही चीटिंग कराना तो आम बात है। हर बार ऐसी तमाम गड़बडि़यां रिपोर्ट होती हैं, लेकिन बाद में जांच के दौरान उन निगेटिव रिपोर्ट की हवा निकल जाती है। कॉलेज की सारी दलीलों के आगे आरयू नतमस्तक हो जाता है। ऐसे कॉलेजेज को डिबार करने के बजाय दोबारा सेंटर बना दिया जाता है।

सेंटर बनाने की पुरानी परंपरा

आरयू में एग्जाम्स सेंटर बनाए जाने का प्रोसेस पुरानी परंपरा के अनुसार होता है। जो कॉलेज सेंटर बनाए जाने के लायक नहीं होते उन्हें भी सेंटर बना दिया जाता है। कई सेंटर्स ऐसी जगहों पर होते हैं जहां ना तो उड़न दस्ता पहुंच पाता और ना ही ऑब्जर्वर। कई ऐसे प्राइवेट कॉलेजेज को सेल्फ सेंटर बना दिया जाता है, जहां पर स्टूडेंट्स की संख्या काफी कम होती है। धांधली ना केवल सेल्फ फाइनेंस बल्कि एडेड कॉलेजेज में भी जमकर होती है, लेकिन आरयू हर बार वही सेंटर्स रिपीट कर देता है।

इस बार परंपरा में हुआ चेंज

आरयू में सेंटर बनाने का पूरा जिम्मा कर्मचारियों पर होता है। हालांकि सरपरस्ती अधिकारियों की होती है, लेकिन कर्मचारियों का दखल भी कम नहीं है। सेल्फ सेंटर बनाने के लिए सेल्फ फाइनेंस कॉलेजेज की मिलीभगत के चलते अधिकारी और कर्मचारी मिलकर मोटी मलाई काटते हैं, लेकिन इस बार डिप्टी रजिस्ट्रार वीएन सिंह ने सेंटर संबंधी सभी फाइलों को तलब कर लिया। इसके चलते कर्मचारियों माथे पसीने आ गया है।

कॉलेलेज बना रहे हैं दबाव

पुराने सेंटर्स की फाइल मंगाने के साथ ही सेल्फ फाइनेंस कॉलेजेज में हलचल पैदा हो गई। उनका मैनेजमेंट एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग के चक्कर काटने लगा है। सोर्सेज की मानें तो हर हाल में सेंटर बनाने के लिए वे हर दांव लगाने को तैयार हैं। उनके इसी दबाव के कारण अधिकारी दूर भाग रहे हैं। जिसके चलते सेंटर की लिस्ट भी फाइनल नहीं हो पा रही है। वीएन सिंह ने बताया कि सेंटर बनाने का काम तेजी से चल रहा है। जल्द ही फाइनल कर लिए जाएंगे। जबकि हकीकत यह है कि लिस्ट से नाम हटाए जाने को लेकर कॉलेजेज का उनपर जबरदस्त दबाव है। सोर्सेज की मानें तो मामला ज्यादा उलझा और दबाव के चलते लेट हुआ तो पुराने सेंटर्स को फिक्स करना ही होगा।