बरेली (ब्यूरो)। शहर में बंदर, कुत्ता, सियार और रैबीज फैलाने वाले जानवरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। ये जानवर लोगों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। ये बात हम नहीं बल्कि जिला अस्पताल आने वाले आंकड़े बता रहे हैं। हॉस्पिटल में एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने वाले आने वालों के आंकड़ों पर गौर करें तो एक माह में दस हजार से अधिक डॉग बाइट के केसेस पहुंच रहे हैं जबकि दूसरे नम्बर पर सबसे अधिक मंकी बाईट, तीसरे नम्बर पर कैट और चौथे नम्बर पर अदर बाईट के केसेस पहुंच रहे हैं। इसमें भी खतरनाक स्थित ये हैं कि बड़ी संख्या में लोग एआरवी की पूरी वैक्सीन तक लगवाने नहीं पहुंच रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।


सुभाषनगर में अधिक केसेस
शहर में एआरवी (एंटी रैबीज वैक्सीन) वैक्सीनेशन के मरीजों की संख्या सबसे अधिक सुभाष नगर और बारादरी क्षेत्रों के हैं। सितंबर माह में शहर भर से एआरवी लगवाने वालों की संख्या 1350 से ऊपर जा पहुंची थी। लेकिन इस सब के बावजूद जिम्मेदोरों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यदि जल्द ही इनको लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, इससे लोग अपने घरों से बच्चों को बाहर अकेले निकालने से डरते हैं।


अधूरा छोड़ रहे वैक्सीनेशन
रैबीज एक खतरनाक बीमारी है जिसे गंभीरता से लेना चाहिए। इसके बावजूद लोग एआरबी का वैक्सीनेशन कंप्लीट नहीं करा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार चार डोज में इसका कंम्पलीट वैक्सीनेशन किया जाता है। लेकिन इस माह में अब तक पहली डोज करीब 1400 लोगों ने लगवाई है। वहीं इसकी चारो डोज करीब 700 लोगों ने ही लगवाई है। डॉक्टर ने बताया कि एआरबी का कंप्लीट वैक्सीनेशन न होने पर ये बीमारी लाइलाज भी हो सकती है।

पेट्स डॉग के भी केसेस
शहर में ज्यादा आतंक कुत्तों ने मचा रखा है। इनमें आवारा कुत्तों के आलावा पालतू कुत्ते भी शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग के डेटा के अनुसार सितंबर माह में अब तक सबसे ज्यादा मरीज डॉग बाईट के आए। इसके बाद मंकी बाईट और कैट बाईट के मरीजों की संख्या है। इसके अलावा भी एआरवी के कई मरीज आ रहे हैं। वहीं पिछले महीने भी डॉग बाईट के केसेस सबसे ज्यादा आए थे। अगस्त महीने में एआरवी लगवाने के लिए शहर के कुल मरीजों की संख्या करीब 1400 थी।

काटने पर तुरंत करें
विशेषज्ञ के अनुसार कुत्ता, बंदर, बिल्ली, सियार या अन्य आवारा जानवर के काटने पर सबसे काटे हुए अंग को बहते पानी से देर तक धोए। इससे रेबीज वायरस का असर कम हो जाता है। इसके साथ ही 24 घंटे के भीतर वैक्सीन की पहली डोज अवश्य लगवाएं। इसका इलाज अधूरा न छोड़े कंप्लीट वैक्सीनेशन अवश्य कराएं। वैक्सीनेशन पूरा न होने पर रेबीज का वायरस घातक साबित हो सकता है।

एआरवी वैक्सीनेशन
एक्सपर्ट का कहना है कि रैबीज के खतरे से बचने के लिए एआरवी की चार डोज दी जाती हैं। पहली डोज 24 घंटे के भीतर लगाई जाती है, दूसरी डोस तीसरे दिन, तीसरी डोज 7वें दिन और 28वें दिन इसकी आखिरी यानी चौथी डोज दी जाती है। इसके आलावा चारों डोज कंप्लीट होने के बाद यदि भविष्य में कभी भी कुत्ता या अन्य रेबीज फैलाने वाला जानवर काटता है तब इसकी सिर्फ दो डोज ही दी जाती हैं।

जिले में रैबीज के मरीज की संख्या
जिलेे भर में एआरवी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। स्वास्थ्य विभाग के डेटा के अनुसार जुलाई माह में कुल 17403 एआरवी के मरीज आए थे। वहीं अगस्त माह में इसके मरीजों की संख्या 18052 थी।

रैबीज फैलाने वाले जानवरों से सचेत रहें। जानवर के काटने के तुरंत बाद घाव को बहते पानी से देर तक धोएं। जितना जल्दी हो सके डॉक्टर को दिखाएं और वैक्सीनेशन कराएं।
डॉ। वैभव शुक्ला, एआरवी सेंटर प्रभारी