दो बार फिंगर प्रिंट भेजने से नहीं हो सका मिलान, तीसरी बार एफएसएल लखनऊ भेजे गए फिंगर प्रिंट
पुलिस की लापरवाही से चूहे भी खा गए थे इकलौते सबूत को
BAREILLY: मिथलेश मर्डर में जिस तरह की लापरवाही पुलिस बरत रही है उसे देखकर तो यही लगता है कि मर्डर की गुत्थी अनसुलझी ही रह जाएगी। पहले थाना पुलिस ने इस मामले में हीलाहवाली दिखायी तो अब फील्ड यूनिट की कमी की वजह से केस ओपेन नहीं हो पा रहा है। फील्ड यूनिट के दो बार भेजे गए फिंगर प्रिंट को फोरेसिंक साइंस लेबोरेट्री ने वापस कर दिया है क्योंकि दोनों बार इसमें खामियां थीं। अब एक बार फिर से फिंगर प्रिंट लेकर भेजे गए हैं।
मिला था इकलौता सबूत
9 सितंबर को राजीव कॉलोनी में सहकारिता विभाग के सचिव की पत्नी मिथलेश की चाकू से गला काटकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस को मौके से खून से सना हुआ चाकू इकलौते सबूत के तौर पर मिला था। चाकू पर पेपर लिपटा था, जिस पर लगे ब्लड पर ही पुलिस को कातिल के फिंगर प्रिंट मिले थे। पुलिस का सबसे पहला शक बहू और उसे बाद बेटे पर गया था। पुलिस को मिथलेश की बेटी पर भी शक हुआ था। पुलिस ने बेटे और बहू से लंबी पूछताछ भी की थी लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी थी।
लोकल लेवल पर मिलान
इस पर पुलिस को सिर्फ फिंगर प्रिंट का मिलान का ही सहारा रह गया था। लोकल लेवल पर पुलिस ने फिंगर प्रिंट का मिलान भी करा लिया था, जिसके आधार पर पुलिस को आरोपी का पता भी लग गया था लेकिन इसे पुलिस सबूत के तौर पर पेश नहीं कर सकती थी। पुलिस ने पेपर पर मिले फिंगर प्रिंट के साथ-साथ बहू-बेटे समेत तीन लोगों के फिंगर प्रिंट भी मिलान के लिए एफएसएल लखनऊ भेज दिए थे।
कलर फिंगर प्रिंट भेज दिए
लखनऊ एफएसएल में भेजे गए पहले फिंगर प्रिंट पर लेबोरेट्री को कमी नजर आयी क्योंकि ये फिंगर प्रिंट कलर भेजे गए थे। इसके चलते मिलान करना मुश्किल हो रहा था। जब दोबारा फिंगर प्रिंट मिलान भेजने के लिए पुलिस ने पेपर को थाना के माल खाना से निकाला था तो पेपर कतरा हुआ मिला था। इसे चूहे ने ब्लड लगा होने के चलते कुतर ि1दया था।
आधे हाथ के ही फिंगर प्रिंट
जब दोबारा फिंगर प्रिंट एफएसएल पहुंचे तो एक बार फिर लेबोरेट्री को इसमें प्रॉब्लम नजर आयी और तीसरी बार फिंगर प्रिंट मिलान के लिए भेजने के निर्देश दिए। पुलिस सोर्सेस की मानें तो इस बार फिंगर प्रिंट में पूरे फिंगर प्रिंट नहीं भेजे गए थे। दरअसल संदिग्धों के फिंगर प्रिंट सिर्फ हाथ के ऊपरी हिस्से यानी उंगलियों के ही भेजे गए थे। इस बार फोरेसिंक से हाथ के निचले हिस्से के भी फिंगर प्रिंट मांगे गए हैं। अब देखना यह होगा कि क्या इस बार फिंगर प्रिंट सही गए हैं और पेपर पर मिले फिंगर प्रिंट का आरोपी के फिंगर प्रिंट से मिलान हो सका। फिंगर प्रिंट की रिपोर्ट आने के बाद ही पुलिस मिथलेश मर्डर की गुत्थी सुलझाकर आरोपी को गिरफ्तार कर पाएगी।