इनके खुलने के आसार नहीं हैं। ऐसे में कैंट एरिया स्थित बीआई बाजार लोगों के लिए एक सहारा बना हुआ है। ट्यूजडे सुबह यहां लोगों ने सब्जी और फलों की अच्छी-खासी खरीदारी की। कैंट एरिया में आर्मी का प्रभुत्व होने से यहां कफ्र्यू का असर कम है और यहां सब्जी, फल सहित कन्फैक्शनरी और जनरल मर्चेंट की शॉप्स लोगों की हेल्प कर रहे हैं।
यहां तो अलग है
नजारा एक तरफ जहां शहर में दंगे की वजह से हालात संजीदा हैं, वहीं कै ंट के बीआई बाजार में जिंदगी सामान्य रूप से चल रही है। यहां सब्जी की दुकानों पर बरेलियंस की भीड़ उमड़ रही है, डिमांड इतनी ज्यादा है कि सब्जी मार्केट में पहुंचते ही खत्म हो जा रही है। जनरल स्टोर पर मिल्क पैकेट्स के लिए मारामारी मची हुई. ताकि उसे वह पैकेट जरूर मिल जाए। दुकान पर डिलीवरी आते ही मुश्किल से 15 मिनट में वह बिक भी गई।
महंगाई डबल हो गई
मौके का फायदा तो हर कोई उठाता है। फिर बीआई बाजार के शॉप ओनर्स पीछे कैसे रहें। बाजार में बिकने वाली हर चीज के दाम में इजाफा कर दिया गया है। यहां सब्जियों के दाम डबल से भी ज्यादा हैं तो फलों की कीमतें भी तीन गुने से भी ज्यादा हैं। वक्त के हालात को देखते हुए लोग इसे खरीद भी रहे हैं। यहां आलू की कीमत कम से कम 30 रुपए किलो, तरोई 40 रुपए किलो और लौकी 25 रुपए किलो से भी ज्यादा में बिक रहीं हैं।
दूध की कीमतें तो आसमान छू रही हैं। आम दिनों में 35 रुपए प्रति लीटर तक बिकने वाला दूध अब 50-60 रुपये प्रति लीटर में भी बिक रहा है।
सिटी में कफ्र्यू की वजह से सब्जी नहीं मिल पा रही है। बड़ी मुश्किल से घर से निकलकर यहां तक पहुंच पाई हूं। यहां भी सब्जी के दाम काफी ज्यादा हैं।
-साक्षी, सिकलापुर
मुझे तो घर से निकलने में ही बहुत प्रॉब्लम हो रही थी। सब्जी लेना तो बहुत जरूरी है, पर यहां लौकी भी 30 रुपए प्रति किलो में मिल रही है।
-सीमा प्रधान, सुभाषनगर
कफ्र्यू की वजह से सब्जी की बहुत प्रॉब्लम हो रही है। यहां भी सब्जी आते ही खत्म हो जा रही है, पर कुछ सामान तो मिल ही गया है।
-एके चौधरी, सिविल लाइंस
घर में सब्जी खत्म हो गई तो सब्जी की तलाश में घर से निकला हूं। धोपेश्वरनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए जा रहा था। तभी यहां से खरीद रहा हूं।
-अरुण गुप्ता, शाहबाद
कफ्र्यू की वजह से कोई सर्वेंट नहीं आया, तो मैं खुद ही सब्जी, फल की तलाश में निकला हूं। बीआई बाजार में मुझे सब्जी मिल गई है।
-अजय अग्रवाल, रामपुर गार्डन
दूध तो मिल ही नहीं पा रहा है। सोचा था कि कैंट में मिल जाएगा पर यहां भी खत्म हो चुका है। अब तो यहां से सब्जी लेकर ही जा रही हूं।
-सुमेघा मलिक, रामपुर गार्डन