बदल दी age limit

बरेली कॉलेज ने स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में नॉमिनेशन से ठीक एक दिन पहले बड़ा बदलाव किया। उन्होंने इलेक्शन लडऩे वाले स्टूडेंट्स लीडर्स की ऐज लिमिट की डेट ही बदल दी। तीसरी बार कॉलेज अपनी बात से मुकर रहा है। लिंगदोह कमेटी ने अपनी सिफारिशों में यूजी, पीजी और पीएचडी स्टूडेंट्स के इलेक्शन लडऩे की डेट निर्धारित कर रखी है। पहले कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने ऐज लिमिट  1 जुलाई तक रखी थी। उसके बाद अपना बयान बदलते हुए इसे नॉमिनेशन फाइल करने की डेट तक बढ़ा दिया। अब फिर इसमें बदलाव करते हुए कॉलेज ने डायरेक्शंस दिए हैं कि वे ऐज लिमिट 16 जुलाई तक ही मानेंगे। पूर्व सछास नेता ओमकार पटेल और एबीवीपी ने आरोप लगाया है कि कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन सत्तापक्षी यूथ विंग के कैंडीडेट्स के दबाव में आकर नियमों में फेरबदल कर रहा है। ताकि वे कैंडीडेट्स ऐज फैक्टर के चलते इलेक्शन से बाहर न हो जाएं। इन कैंडीडेट्स ने इलेक्शन लडऩे के लिए ही कॉलेज में दोबारा एडमिशन लिया है।

नहीं show की voter list

बीसीबी ने वोटर लिस्ट जारी करने का दावा तो किया लेकिन सार्वजनिक नहीं की। लिस्ट पर 30 तक आपत्तियां मंगाई गईं लेकिन किसी को भी लिस्ट देखने के लिए नहीं दी गई। यहां तक कि इसे वेबसाइट पर भी अपलोड नहीं किया गया।

वसूल रहा 50 रुपए

पहले तो कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने स्टूडेंट्स यूनियन की मेंबरशिप फी लेने से साफ इंकार कर दिया लेकिन बाद में सभी के लिए 50 रुपए फी कंपल्सरी कर दी गई। प्रेजेंट में स्टूडेंट्स एग्जाम फॉर्म जमा कर रहे हैं। इसी के साथ कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन सभी से मेंबरशिप फी भी जमा करवा रहा है।

ABVP ने किया प्रदर्शन

ट्यूजडे को एबीवीपी ने कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन का घेराव कर प्रदर्शन किया। वे इलेक्शन के लिए जारी कोड ऑफ कंडक्ट के नियमों पर किसी भी अधिकारी टीचर के साइन न होने और बार-बार नियमों में बदलाव करने का विरोध कर रहे थे। प्रदर्शन करने वालों में सुमित गुर्जर, जवाहर लाल, सुमित सैनी, अभिनव शील, अनूप यादव समेत दो दर्जन से ज्यादा मेंबर्स शामिल थे। उन्होंने नियमों पर प्रिंसिपल, चुनाव अधिकारी, प्रॉक्टर और डीएसडब्लू के हस्ताक्षर कराने की मांग की।

SFI ने BCB में अपने candidates उतारे

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने बरेली कॉलेज के स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन के लिए अपने कैंडीडेट्स की घोषणा कर दी। प्रेसीडेंट और वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए उन्होंने कोई कैंडीडेट नहीं उतारा। जिला संयोजक कमल हसन ने बताया कि जनरल सेक्रेट्री के पद पर पवन कुमार राठौर, पुस्तकालय मंत्री के पद पर मंदीप कौर, कॉमर्स फैकल्टी के लिए दीवाकर, लॉ के लिए मोहित कुमार और बीए के लिए दानिश हुसैन को टिकट दिया गया है।

कैंपस में चुनाव की चहल-पहल अब तेज हो गई है। वेडनेसडे को नॉमिनेशंस के बाद सारे पत्ते भी खुल जाएंगे। कुछ नेता तो अपने अनुभवी साथियों से डिस्कशन तक करने में जुट गए हैं। आई नेक्स्ट ने भी कुछ पुराने छात्र नेताओं को ढूंढकर उनका प्रेजेंट जानने की कोशिश की।

अभी सियासी जमीन की तलाश बाकी है

चंद्रभान सुमन ने बीएसपी के टिकट पर अध्यक्ष पद का चुनाव जीता था। उस समय वह यूनिवर्सिटी में एमआरडीएम के स्टूडेंट थे। इसके बाद उन्होंने एमए और पीएचडी पूरी की। अध्यक्ष बनने के बाद वह दो साल तक पार्टी के मंडल सचिव रहे। उसके बाद उन्होंने बीएसपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा। उन्हें उम्मीद थी कि पूरनपुर विधानसभा का टिकट उन्हें मिलेगा पर ऐसा नहीं हुआ। अब वह आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए शाहजहांपुर सीट से तैयारी कर रहे हैं। उनका दावा है कि उनके कार्यकाल में ही आरयू में छात्रसंघ भवन क ा मुद्दा उठा। हालांकि वह मुकाम तक नहीं पहुंचा। इसके अलावा उन्होंने शिक्षण व्यवस्था के सुधार के लिए अपने कार्यकाल में प्रयास किए।

चद्रभान सुमन, अध्यक्ष, 2004-06, आरयू

Studies के साथ जारी है politics

जितेंद्र यादव ने बीलिब करते हुए एबीवीपी के टिकट से अध्यक्ष पर जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने एमकॉम, एमए, एलएलबी की और अब वह पीएचडी कर रहे हैं। फिलहाल अध्यक्ष पद के कार्यकाल के बाद से वह स्टडीज पर कंसंट्रेट कर रहे हैं। उन्होंने दो साल पहले समाजवादी छात्र सभा ज्वॉइन कर ली। इस समय भी वह बीसीबी में ही डटे हुए हैं। कहा जा सकता है कि वह छात्र राजनीति के जरिए पॉलिटिक्स से जुड़े हुए हैं। उन्होंने दावा किया है कि उनके कार्यकाल में कॉलेज में स्टूडेंट्स के लिए मेडिकल कैंप, डीएल कैंप लगाया गया। एंट्रेंस टेस्ट के लिए फ्री कोचिंग चलाई गई। इनके कार्यकाल में ही छात्र संघ भवन बनकर तैयार हुआ।

जितेंद्र यादव 'टीटू', अध्यक्ष, 2005-06, बीसीबी

 

स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन के लिए जोर-आजमाइश अब बढ़ती जा रही है। कैंडीडेट्स अपनी कैंपेनिंग के लिए दिन-रात तक की परवाह नहीं कर रहे हैं। वहीं वोटर्स भी कैंडीडेट्स क ो तमाम कसौटियों पर परख रहे हैं। आइए जानते हैं क्या हैं वोटर्स की एक्सपेक्टेशंस

Regular class से ही बनेगी बात

कॉलेज में क्लास रेग्युलर लगनी चाहिए। स्टूडेंट्स पर कोचिंग का दबाव नहीं डाला जाना चाहिए लेकिन इस कॉलेज में एकेडमिक्स को ही हाशिए पर रखा जा रहा है। ऐसे में जरूरी है कि जो भी छात्रनेता कॉलेज कैंपस से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, उनमें से जो कोई भी अपने इलेक्शन एजेंडा में एकेडमिक्स पर फोकस करेगा, मेरा वोट तो उसे ही मिलेगा। आखिर कॉलेज तो पढ़ाई के लिए ही होता है, फिर पढ़ाई ही सबसे पीछे क्यों है। इसलिए जरूरी है कि रेग्युलर क्लास लगें। ट्यूशनखोरी बंद की जाए। लीडर्स के मुद्दों में यही टॉप पर होना चाहिए।

-राजन ठाकुर, बीएससी स्टूडेंट, बीसीबी

Library को rich बनाएं और internet facility मिले

कॉलेज की लाइब्रेरी में जरूरत की बुक्स मिल ही नहीं पाती हैं। इंटरनेट वक्र्स के लिए हमें साइबर कैफे पर जाना पड़ता है। जबकि पढ़ाई के लिए लेटेस्ट इन्फॉर्मेशंस जरूरी होती हैं। ऐसे में जो भी कैंडीडेट कॉलेज की लाइब्रेरी को रिच करने, उसे ऑनलाइन कराने और कॉलेज में इंटरनेट फैसिलिटी अवेलेबल कराने को अपना मुद्दा बनाएगा, मैं तो उसे ही अपना कीमती वोट दूंगी। कॉलेज में बुक बैंक भी बहुत जरूरी है। इससे स्टूडेंट्स को स्टडी मैटीरियल को बाहर से परचेज करने में खर्चा नहीं करना पड़ेगा। अगर लाइब्रेरी रिच होगी तो बुक बैंक भी ठीक हो जाएगा।

-आराधना, एमए स्टूडेंट, बीसीबी

Students' welfare ही हो leaders का मुद्दा

यूनिवर्सिटी कब कौन सा डिसीजन ले लेगी, ये किसी को पता नहीं लग पाता। जैसे इस बार अचानक यूनिवर्सिटी ने फीस बढ़ा दी। मेरा मानना है कि स्टूडेंट्स से डायरेक्टली जुड़ा कोई भी डिसीजन लेने से पहले यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को हमें जानकारी तो जरूर देनी चाहिए। इससे संस्थान की ट्रांसपेरेंसी बनी रहती है और स्टूडेंट्स पर अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ता। इलेक्शन के दौरान जो भी कैंडीडेट स्टूडेंट्स वेलफेयर के मुद्दे को सशक्त रूप से उठाएगा, वोट तो मैं उसे ही दूंगा। इसके लिए कैंडीडेट की पैठ एडमिनिस्ट्रेशन में होनी चाहिए।

-विजय, एमए स्टूडेंट, आरयू

Vote चाहिए तो दूर करो problem

कहने को तो यूनिवर्सिटी है, पर फैसिलिटीज तो कॉलेज जैसी भी नहीं हैं। जीसीआर तो ऐसा है जिसमें बैठा ही नहीं जा सकता। डिपार्टमेंट में बेसिक फैसिलिटीज अबेलेवल नहीं हैं। इस के बीच जो भी कैंडीडेट इन मुद्दों को अपने इलेक्शन एजेंडा में शामिल करेगा और इसके लिए प्रतिबद्ध होगा, मैं अपना वोट उसके लिए कास्ट करूंगी। यूनिवर्सिटी में बेसिक नीड्स तो पूरी होनी ही चाहिए। यहां ड्रिंकिंग वॉटर के लिए भी पूरे कैंपस में भटकना पड़ जाता है। एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक में काम कराना तो स्टूडेंट्स के बस में नहीं है। इसे दूर करना होगा।

-मोहिनी पाठक, एमए स्टूडेंट, आरयू

लग्जरी व्हीकल, क्लीन शेव फेस, ब्रांडेड क्लोथ्स, लेटेस्ट गॉगल्स और शूज। यह हुलिया किसी फिल्मस्टार का नहीं बल्कि 21वीं सदी के स्टूडेंट्स लीडर्स का है। प्रेजेंट सिनेरियो में डिमांड के एकॉर्डिंग स्टूडेंट्स लीडर्स ने अपना चोला भी बदल लिया है। वे अपने लुक्स और प्रेजेंटेशन को लेकर कॉन्शियस हो गए हैं। इस पर स्पेशल अटेंशन पे कर रहे हैं। स्टूडेंट्स पर कैसे अच्छा इंप्रेशन छोडऩा है, इस पर लीडर्स खासा काम कर रहे हैं। फिर कैंपस में इसे आजमा भी रहे हैं। मामला जीत-हार का है, इसलिए वे इस मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते।

Luxury vehicles का मेला

स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन की डेट नजदीक आते ही कैंपस में कैंपेनिंग ने जोर पकड़ लिया है। इन दिनों बरेली कॉलेज और आरयू के कैंपस में लग्जरी व्हीकल्स का मेला लगा रहता है। स्टूडेंट्स को प्रभावित करने और उनका अट्रैक्शन पाने के लिए लीडर्स कैंपेनिंग के लिए लग्जरी व्हीकल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन दिनों कैंपस की पार्किंग में एसयूवी देखी जा सकती हैं। उन पर स्टूडेंट्स लीडर्स की पोस्टर्स भी चिपके हुए हैं।

smart presentation है खास

कहते हैं कि फिट है तो हिट है। स्टूडेंट्स लीडर्स इसी फंडे को फॉलो कर रहे हैं। अपने लुक्स को लेकर वे अलर्ट हैं। क्लीन शेव फेस और स्मार्ट हेयर स्टाइल के साथ ब्रांडेड कपड़े, शूज और गॉगल्स पहनना प्रिफर कर रहे हैं। फिर हाथ में लेटेस्ट ब्रांडेड स्मार्ट फोन, उनके स्टाइल में चार चांद लगा रहे हैं। स्टूडेंट्स के बीच वे इसी स्टाइल में जा रहे हैं। ताकि उनके बीच साफ-सुथरी छवि बनी रहे। मुद्दों के अलावा स्मार्ट प्रेजेंटेशन उनके लिए खास बन गया है।

Girls का ले रहे support

लुक्स और स्टाइल के साथ एक और प्वाइंट है जिस पर स्टूडेंट्स लीडर्स ज्यादा फोकस कर रहे हैं। सपोर्टर्स की भीड़ में वे गल्र्स की संख्या पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि कैंपेनिंग के समय उनके सपोर्टर्स में गल्र्स की संख्या ज्यादा से ज्यादा है। ताकि जब गल्र्स के बीच कैंपेनिंग के लिए जाएं तो कंफर्टेबल फील करें। गल्र्स सपोर्टर्स से स्टूडेंट्स के बीच उनकी छवि में एक्स्ट्रा माक्र्स जुड़ जाते हैं।

मैनेजमेंट के कई स्टूडेंट्स वोटर्स लिस्ट से बाहर

आरयू के होटल मैनेजमेंट के कई स्टूडेंट्स को वोटर्स लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। अब वे स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में वोट नहीं कर पाएंगे। जिसके विरोध में स्टूडेंट्स ने वेडनसडे को प्रदर्शन किया। स्टूडेंट्स का आरोप है कि करीब-करीब एक सेक्शन से ज्यादा स्टूडेंट्स वोटर्स लिस्ट से बाहर हो गए हैं। स्टूडेंट्स ने बताया कि उन्होंने फीस तो भर दी है लेकिन डिपार्टमेंट के हेड ने उसे फॉरवर्ड नहीं किया। इस मामले में आरयू की चुनाव अधिकारी प्रो। नीलिमा गुप्ता ने बताया कि डिपार्टमेंट के हेड ने फॉरवर्ड कर नहीं दिया इसलिए उन्हें वोटर्स लिस्ट में शामिल नहीं किया गया।

देर रात सछास ने किया वीसी आवास का घेराव

एज लिमिट की लास्ट डेट को कम किए जाने की मांग को लेकर देर रात सछास के छात्रनेताओं ने आरयू के वीसी आवास का घेराव कर दिया। बीसीबी ने एज लिमिट की डेट में बदलाव करते हुए 16 जुलाई कर दिया। वहीं आरयू नॉमिनेशन फाइल करने की डेट को एज लिमिट की डेट मान रहा है। इसी का विरोध प्रदर्शन करते हुए काफी संख्या में मेंबर्स ने वीसी आवास के सामने प्रदर्शन किया। पूर्व प्रेसीडेंट शिव प्रताप ने बताया कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों में प्रोफेशनल कोर्सेज के कैंडीडेट्स को एज फैक्टर में रियायत देने के निर्देश दिए गए हैें। आरयू ऐसा नहीं करता है तो वे नॉमिनेशन की प्रक्रिया का बहिष्कार करेंगे।

ABVP के RU में candidates

एबीवीपी ने आरयू के स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन के लिए भी कैंडीडेट्स तय कर दिए हैं। ट्यूजडे को परिषद के प्रदेश संगठन मंत्री सुनील वाष्र्णेय और प्रदेश मंत्री दीपक ऋषि ने कैंडीडेट्स के टिकट की घोषणा की। परिषद ने आरयू में कुल पांच पदों पर कैंडीडेट्स उतारे ह

संजय पटेल- प्रेसीडेंट

ये एमआरडीएम फस्र्ट ईयर के स्टूडेंट हैं। इससे पहले उन्होंने बीटेक किया है। इन्होंने कुछ ही दिन पहले एबीवीपी ज्वॉइन की है। बीटेक की पढ़ाई के साथ-साथ ही उन्होंने स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स में इंट्रेस्ट दिखाया और कई मुद्दों को उठाया।

अमित कुमार गंगवार- वाइस प्रेसीडेंट

ये एमए हिस्ट्री फस्र्ट ईयर के स्टूडेंट हैं। इससे पहले बीसीबी से बीए कर चुके हैं। अमित पिछले पांच साल से एबीवीपी में सक्रिय कार्यकर्ता की भूमिका अदा कर रहे हैं। पिछले 6 महीने से उन्होंने छात्र राजनीति में आने का मन बनाया।

राजीव शर्मा मोनू, जनरल सेक्रेट्री

एमसीए सेकेंड ईयर के स्टूडेंट हैं। इससे पहले अग्रसेन कॉलेज से बीसीए किया। पिछले 6 वर्षों से एबीवीपी में सक्रिय हैं। स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स में राजीव का इंट्रेस्ट इंटर से है। उन्होंने स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में सक्रिय भूमिका निभाई है।

मोहिनी पाठक- पुस्तकालय मंत्री

ये एमए एप्लाइड इंग्लिश सेकेंड ईयर की स्टूडेंट हैं। इससे पहले साहू राम स्वरूप से उन्होंने बीए किया। आरयू में एडमिशन लेने के साथ ही स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स में इंट्रेस्ट लेना शुरू कर दिया। मोहिनी ने हाल ही में एबीवीपी ज्वॉइन किया।

रवि शंकर तिवारी, आईटी प्रभारी

ये बीटेक सेकेंड ईयर के स्टूडेंट हैं। साल भर से ज्यादा समय से एबीवीपी में कार्यकर्ता हैं। कैंपस में अपनी पढ़ाई की शुरुआत से ही स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम्स को लेकर रवि ने छात्र राजनीति में कदम बढ़ाया।

टिकट का ऐलान होते ही सछास में फूट

काफी माथापच्ची करने के बाद देर रात सछास ने अपने कैंडीडेट्स की घोषणा कर दी। आरयू में केवल एक और बीसीबी में तीन पदों के लिए ही घोषणा की। आरयू में प्रेसीडेंट पद के लिए राघवेंद्र प्रताप सिंह, बरेली कॉलेज में वाइस प्रेसीडंट के लिए विनोद जोशी, जनरल सेक्रेट्री के हृदेश यादव, पुस्तकालय मंत्री के लिए मोहम्मद रिजवान को टिकट दिया गया।

अपने कैंडीडेट्स का ऐलान

टिकट की घोषणा होते ही सछास में फूट भी पड़ गई। कई कार्यताओं ने पार्टी से नाता तोड़ते हुए अपने कैंडीडेट््स की घोषणा भी कर दी। आरयू में प्रेसीडेंट पर अरविंद पटेल, वाइस प्रेसीडेंट पर हरीश कुमार, महामंत्री अनुभूति सक्सेना, पुस्कालय मंत्री पर प्रवेश कुमार और आईटी के पर सत्येंद्र कुमार को घोषित

किया है।