इंसान किस हद तक गिर सकता है
पैसा इंसान को कहीं का नहीं छोड़ता है। इसी भाव को चरितार्थ करता है नाटक आदमजात। आईएमए हॉल में फ्राइडे को इसका मंचन किया गया। पैसा पाने के लिए इंसान किस हद तक गिर सकता है इसकी बानगी इस नाटक में देखने को मिली। पैसा रिश्तों का नामोनिशान मिटा सकता है। दौलत की चमक में खोकर इंसान अपना वजूद तक खो देता है.
ठग की जिंदगी
स्टोरी एक ठग फैमिली के इर्द गिर्द घूमती है। नाटक की शुरुआत एक ठग के परिवार की कहानी से होती है। ठग की पांचवी पत्नी बच्चे का मुंह देखने के लिए तरस रही है। ठग उसकी इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए एक सेठानी का बेटा लाकर देता है और सेठानी को जान से मार देता है। बाद में वही लड़का बड़ा होकर पैसों के लालच में ठग और उसकी पत्नी को मौत के घाट उतार देता है। उसके बाद वह डकैत बन जाता है। पर यहां भी उसे धोखा मिलता है। उसके साथी ही उसक ा माल लूटकर फरार हो जाता है। वह दोबारा अपना गैंग तैयार करता है और फिर अपने साथियों से छल करने की योजना बनाता है। पर इस छल में वह अपने साथियों द्वारा ही मारा जाता है। नाटक वर्तमान संदर्भ में रिश्तों के खत्म होते मायनों की कहानी को इंगित करता है।
'पंचलाइट' की रोशनी में झूठी आन
नाटक पंचलाइट एक गांव के एक टोले की इज्जत की कहानी है। इस कहानी के साथ-साथ ही एक प्रेम कहानी भी पैरलल रूप से चलती है। टोले की इज्जत बचाने के लिए हुक्का-पानी बंद किए गए प्रेमी को भी बाइज्जत वापस बुला लिया जाता है।
झूठी आन
नाटक की शुरुआत मुनरी और गोधन की प्रेम कहानी से होती है। दोनों के रंगे हाथों पकड़े जाने पर पंचायत गोधन का हुक्का-पानी बंद कर देती है। इसी बीच पंचायत में पंचलाइट लाए जाने का निर्णय होता है। अंतत: रामनवमी के मेले से पंचलाइट खरीद कर आती है। पूरे टोले में जश्न मनाया जाता है पर इस टोले में किसी को भी पंचलाइट जलाने नहीं आता। इस पर पंचलाइट जलाने के लिए गोधन को बुलाया जाता है। वास्तव में नाटक के माध्यम से झूठी आन-शान को दिखाने को परिलक्षित किया गया है।