तीन साल बाद भी शुरू नहीं हो सकी यूनिट, डेडलाइन से दो साल पीछे

शासन से नए डॉक्टर्स व स्टाफ के अप्वॉइंटमेंट का मामला भी ठंडा

BAREILLY: मंडल के बर्न केसेज के बेहतर इलाज की मंशा से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में बन रही प्लास्टिक सर्जरी व बर्न यूनिट अब भी पूरा होने के इंतजार में है। पिछले तीन साल से इस यूनिट के पूरा होने और इससे बर्न पेशेंट्स के इलाज की उम्मीदें फिलहाल सपना बनी हैं। कार्यदायी एजेंसी की ओर से इस बर्न यूनिट को पूरी तरह बनाकर हैंडओवर करने में अब भी समय लग रहा है। वहीं यूनिट तैयार होने के बाद इसके जल्द हैंडओवर होने और इसके बाद पेशेंट्स के लिए शुरू होने में भी संशय है। शासन की ओर से यूनिट के लिए जरूरी डॉक्टर्स व मेडिकल स्टाफ के अप्वॉइंटमेंट के बाद ही बर्न यूनिट में पेशेंट्स के लिए कारगर इलाज मुहैया हो सकेगा, जिसकी फिलहाल कोई सुनवाई नहीं है।

April 2012 थी deadline

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में बन रहे प्लास्टिक सर्जरी व बर्न यूनिट की जरूरत होने पर अप्रैल 2011 में इसे बनाने की कवायद शुरू की गई। लैकफेड को इसके बनाने की जिम्मेदारी मिली। बर्न यूनिट के लिए कुल 1.33 करोड़ रुपए का बजट पास हुआ। कार्यदायी एजेंसी से जुड़े इंजीनियर के मुताबिक बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन पूरा करने की समय सीमा अप्रैल 2012 तक थी, लेकिन इस दौरान कई बार कंस्ट्रक्शन को रोकना पड़ा। वजह बनी शासन की ओर से लैकफेड के तमाम कंस्ट्रक्शन वर्क की जांच। इसके बाद बरेली में भी एडी हेल्थ की अगुवाई में एक जांच कमेटी गठित कर बर्न यूनिट के कंस्ट्रक्शन की जांच कराई गई। हाल यह है कि जून 2014 आने के बावजूद बिल्डिंग का काम पूरा नहीं हो सका है।

हर जांच में मिली खामियां

लैकफेड की ओर से बनाई जा रही इस बिल्डिंग की क्वालिटी परखने को जिम्मेदारों की ओर से तीन बार इंस्पेक्शन किया जा चुका है। पहली बार फरवरी 2013 में एडी हेल्थ की अगुवाई में इंस्पेक्शन टीम ने बिल्डिंग का मुआयना किया और इसमें कई खामियां देखी। जिन्हें दूर करने के निर्देश दिए गए। इसके बाद जून 2013 में ही बिल्डिंग का दूसरी बार इंस्पेक्शन किया गया। इस बार बिल्डिंग को पूरी तरह फर्निश करने के निर्देश मिले। वहीं मई 2014 में तीसरी बार हुए इंस्पेक्शन में एडी हेल्थ व सीएमओ के साथ ही राजधानी से सुपरिटेंडेंट इंजीनियर हेल्थ ने आकर बिल्डिंग का जायजा लिया। इसमें फर्श कंप्लीट न होने व दीवारों पर पेंट न होने पर कार्यदायी एजेंसी को जल्द पूरा करने की फटकार पड़ी।

Patients के लिए AC नहीं

बर्न यूनिट में पेशेंट्स के कारगर इलाज के लिए भले ही बिल्डिंग में सवा करोड़ रुपए खपाए गए हों लेकिन यहां बर्निग पेशेंट्स के लिए एसी की व्यवस्था नहीं होगी। बर्न यूनिट में मेल-फीमेल वॉर्ड में कुल 12 बेड की व्यवस्था होनी है। वहीं 4 क्यूबिकल वॉर्ड बनाए गए हैं, जहां क्रिटिकल कंडीशन वाले या ऐसे पेशेंट्स जो अलग से प्राइवेट रूम चाहते हैं, उनकी इलाज की व्यवस्था होगी। बर्न यूनिट में क्यूबिकल वॉर्ड के लिए तो एसी की व्यवस्था है लेकिन मेल व फीमेल वॉर्ड में एसी नहीं लगाए जाएंगे। यहां के बर्न पेशेंट्स को सिर्फ सीलिंग फैन की हवा ही नसीब होगी। जबकि बर्न वॉर्ड में पेशेंट्स के लिए एसी की व्यवस्था होनी जरूरी है, जिससे उनके जख्मों की इरिटेशन कम की जा सके।

कहां से जुटाएंगे staff

बर्न यूनिट के जल्द कंप्लीट होने की उम्मीद पूरी हो भी जाए तो यहां जल्द इलाज शुरू होने पर सवाल है। इस दुमंजिला बिल्डिंग में बर्न पेशेंट्स के लिए दो प्रीओटी और एक ओटी की भी सुविधा है। मानकों के हिसाब से हर म् बेड पर एक स्टाफ नर्स की नियुक्ति होनी चाहिए। मेल-फीमेल वॉर्ड के क्ख् बेड के हिसाब से एक शिफ्ट में दो स्टाफ नर्स की जरूरत है। दिन में तीनों शिफ्ट के हिसाब से म् नर्स की जरूरत पड़ेगी। वहीं दो रिजर्व नर्स की जरूरत को देखते हुए कुल संख्या 8 होती है। वहीं बर्न यूनिट में कम से कम एक प्लास्टिक सर्जन और दो जनरल सर्जन की जरूरत है। इनके अलावा वॉर्ड ब्वॉय और स्वीपर की जरूरत अलग से होगी। जानकारों के मुताबिक इतने नए स्टाफ को जल्द जुटाना पॉसिबिल नहीं दिखता। ऐसे में आने वाले कई महीनों तक बर्न यूनिट के सफेद हाथी बने रहने के आसार हैं।

तो पुराना स्टाफ संभालेगा जिम्मा

पूरे सूबे में डॉक्टर्स व मेडिकल स्टाफ की जबरदस्त कमी है। शासन से लंबे समय से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में डॉक्टर्स व स्टाफ की कमी पूरी करने की लगातार मांग की जा रही है। ऐसे में बर्न यूनिट के लिए अलग से डॉक्टर्स व स्टाफ की नियुक्ति पर जिम्मेदारों को भी शक है। शासन की ओर से भी ब् जून को सीएमएस डॉ। आर सी डिमरी से हॉस्पिटल में दिक्कतों और वजहों के बारे में जानकारी मांगी गई थी। इसके जवाब में सीएमएस ने बर्न यूनिट में प्लास्टिक सर्जन व स्टाफ दिलाने की मांग भेजी थी। बर्न यूनिट के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल को हैंडओवर होने के बाद शासन से मशीनों व मेडिकल इक्विपमेंट की मांग की जाएगी। इनके पूरा होने पर अगर प्लास्टिक सर्जन व स्टाफ की नियुक्तियां न हो पाईं तो यूनिट को शुरू करने के लिए हॉस्पिटल में मौजूद जनरल सर्जन व स्टाफ से ही काम लिया जाएगा।

बर्न यूनिट का काम पूरा नहीं हो सका। एजेंसी की ओर से इसे समय रहते पूरा किया जा सकता था पर उन्होंने देरी की। बर्न यूनिट का इंस्पेक्शन कर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। मेल व फीमेल वॉर्ड के लिए एसी की व्यवस्था नहीं है। इसे पूरा कराने के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी। शासन की ओर से नए डॉक्टर्स व स्टाफ की नियुक्ति नहीं हुई तो हॉस्पिटल में मौजूद रिसोर्सेज से ही काम लिया जाएगा।

- डॉ। योगेन्द्र कुमार, एडी हेल्थ