बरेली (ब्यूरो)। प्रधानमंत्री भले ही डेवलपमेंट के बड़े प्रोजेक्ट्स को निर्धारित बजट और निर्धारित समय में पूरा कराने की बात कहते हों, पर शहर में उनकी इस बात की मानो कोई अहमियत ही नहीं। यहां स्मार्ट सिटी के अलावा दूसरे निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स बजट की कमी से जूझ रहे हैं। इसके चलते कुछ प्रोजेक्ट्स बंद पड़े हैं तो कुछ कछुए की चाल चल रहे हैं। प्रशासन स्तर पर हर महीने विाागवार विकास कार्यों की समीक्षा होती है। इसके बाद ाी बजट की कमी से जहां के तहां ठिठका विकास आगे नहीं बढ़ पा रहा है। इस लेट लतीफी से न तो यह प्रोजेक्ट निर्धारित बजट में पूरे हो सकेंगे और न ही निर्धारित समय पर।

नया बस स्टेशन भी अधूरा
पुराने बस स्टेशन पर बसों का लोड कम करने के लिए मिनी बाईपास रोड पर सेंट्रल जेल की जमीन में एक और नया बस स्टेशन बनाने की कवायद यूं तो वर्षों से चल रही थी, पर इसको स्वीकृति वर्ष 2021 में मिली। शासन ने रोडवेज के इस तीसरे बस अड्डे के निर्माण कि लिए 1672.47 लाख रुपया स्वीकृत भी कर दिए। शासन से 3 करोड़ की पहली किश्त जारी होने के बाद अगस्त 2021 से इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। शहर विधायक डॉ। अरुण कुमार ने 12 अगस्त 2021 को यहां भूमि पूजन किया था। इसके बाद से कार्यदायी संस्था यूपी स्टेट कंस्ट्रक्शन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन ने निर्माण तेजी से शुरू कराया। चंद महीनों में ही बस स्टेशन का स्ट्रक्चर खड़ा हो गया, पर बाद में बजट की कमी से निर्माण रुक गया। तब से इस बस स्टेशन का निर्माण अधर में ही लटका हुआ है। अगर बजट नहीं मिला तो बरेलियंस को इस बस स्टेशन की सौगात इस साल भी नहीं मिल सकेगी। जब यह बस स्टेशन तैयार हो जाएगा तो यहां से दिल्ली के अलावा उत्तराखंड के लिए रोडवेज की बसों का संचालन होगा। इस बस स्टेशन के लिए अब कब बजट रिलीज हïोगा और कब इसका निर्माण पूरा हïो सकेगा, इसका जवाब किसी के पास नहïीं हïै। ऐसे में लोगों को रोडवेज बस में सवार हïोने के लिए फिलहïाल पुराना रोडवेज और सैटेलाइट बस अड्डा तक हïी जाना हïोगा।

यूनानी मेडिकल कॉलेज के निर्माण में भी बजट का रोड़ा
शहर में स्टेडियम रोड से लगे हजियापुर में नगर निगम की जमीन पर यूनानी मेडिकल का निर्माण चल रहा है। 113 करोड़ की लागत से तैयार होने वाले इस मेडिकल कॉलेज के निर्माण की कार्यदायी संस्था पीडल्यूडी है और निर्माण का कांट्रेक्ट श्रीनिवास इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के पास है। कंपनी ने इसका निर्माण करीब 60 परसेंट पूरा भी कर लिया है। इस मेडिकल कॉलेज का निर्माण यूं तो अप्रैल 2023 तक पूरा होना प्रस्तावित था, लेकिन बजट की कमी से निर्माण की गति धीमी हो गई। इसके चलते ही कंपनी ने छह महीने का एक्सटेंशन मांग लिया। कंपनी के जीएम राजेंद्र शर्मा ने बताया कि उनका 30 करोड़ का पेमेंट पीडल्यूडी में पेंडिंग है। इसके बाद भी निर्माण जारी रखा गया है। मेडिकल कॉलेज के बन जाने से शहर के सबसे बदहाल एरिया हजियापुर की भी तस्वीर बदलेगी।

डेलापीर तालाब का सौंदर्यीकरण भी लटका
सरकार के अमृत सरोवर स्कीम के तहत नगर निगम शहर में ाी तालाबों का कायाकल्प करा रहा है। इसमें स्मार्ट सिटी के करोड़ों के बजट से संजय कयूनिटी हॉल तालाब का कायाकल्प तो हो गया है, पर 15वें वित्त आयोग के बजट से कराया जा रहा डेलापीर तालाब का सौंदर्यीकरण अधर में लटका है। नगर निगम ने इस तालाब का जिर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण का कार्य वर्ष 2021 में ही शुरू करा दिया था, पर आी तक वह इसको पूरा नहीं करा सका है। बजट की कमी के चलते यहां कार्य कई महीनों से ठप है। निगम की अनदेाी के चलते ही इस तालाब की भूमि पर कब्जेदार काबिज हैं और लगातार तालाब की जमीन पर कब्जा बढ़ा भी रहे हैं। इन कब्जेदारों पर निगम की मेहरबानी भी लगातार बनी हुई है। बजट की कमी से शहर में नगर निगम के कई और छोटे-बड़े निर्माण कार्य महीनों से अधूरे पड़े हैं।

चौपुला और सुभाषनगर ओवरब्रिज का लिंक ाी अधूरा
शहर में चौपला-सुााषनगर ओवरब्रिज तो वर्षों पहले बन गया और यहां अटल सेतु भी दो साल पहले बन गया। अटल सेतु बनने के बाद से ही इसको सुभाषनगर ओवरब्रिज से जोडऩे की तैयारी शुरू हो गई। दोनों ओवरब्रिज को जोडऩे के लिए सेतु निगम ने यहां पिलर बनाने का कार्य भी शुरू करा दिया। अब बजट की कमी से पिलर ाी अधूरे हैं और दोनों ओवरब्रिज का आपस में जुडऩा ाी अधर में लटक गया है। बजट की कमी के चलते अटल सेतु में अब तक स्ट्रीट लाइट नहीं लग सकी हैं। इससे रात में लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। अगर दोनों ओवरब्रिज आपस में लिंक हो जाते तो अटल सेतु से सुभाषनगर की ओर जाना आसान हो जाता और इस से चौपुुला-सिटी रोड पर जाम की समस्या भी हल हो जाती।

बोले अधिकारी
डेलापीर तालाब का दूसरा टेंडर की प्रक्रिया प्रोसेसिंग में है। टेंडर होने के बाद कार्य शुरू किया जाएगा। आचार संहिता की वजह से कार्य रुका हुआ था।
-मुकेश शाक्य, सहायक अभियंता, नगर निगम