इंटरिम बजट में सब्सिडी और एक्साइज ड्यूटी की राहत

एक्सप‌र्ट्स ने बताया इलेक्शन का लोक लुभावन बजट

BAREILLY : यूपीए ख् की गवर्नमेंट ने मंडे को अपनी पारी का आखिरी इंटरिम बजट बेहद लुभावने अंदाज में पब्लिक के सामने पेश कर दिया। फाइनेंस मिनिस्टर के पहले भ्0 मिनट सरकार की सिर्फ अचीवमेंट्स गिनाने के बाद आखिरकार बजट बैग से नई स्कीम्स तो निकली, पर कईयों को फील गुड न करा सकी। साबुन से लेकर सेडान कार तक में छूट और एजुकेशन व एग्रीकल्चर में सब्सिडी की झड़ी एक्सप‌र्ट्स के साथ ही आम इंसान को भी लुभा नहीं सकी। एक्सप‌र्ट्स ने इस बजट को जहां पूरी तरह इलेक्शन से इंस्पायर्ड बताया। वहीं सब्सिडी और एक्साइज में मिली छूट के नाम पर पब्लिक को लॉलीपॉप थमाना बताया। इस इंटरिम बजट पर एक्सप‌र्ट्स का क्या रहा रुख, खुद उन्हीं की जुबानी।

इंटरिम नहीं, इलेक्शन बजट

यूपीए ख् की ओर से जारी किया गया आखिरी बजट इंटरिम न होकर पूरी तरह से इलेक्शन बजट है। हो भी क्यों न। रूलिंग पार्टी इलेक्शन के समय ऐसा ही बजट जारी करेगी। बजट में स्टूडेंट्स को एजुकेशन लोन के ब्याज पर सब्सिडी दिया जाना दरअसल छलावा है। इसमें ब्याज पर कोई माफी नहीं मिलेगी। इसमें स्टूडेंट्स को सिर्फ एक साल तक ब्याज नहीं देना होगा। न तो उनका पूरा ब्याज माफ होगा, न ही सब्सिडी मिलेगी। डाइरेक्ट टैक्स में कोई बदलाव न किया जाना मजबूरी रही। सब्सिडी का फायदा जनता कुछ हफ्तो से ज्यादा न ले सकेगी।

- राजीव सिंघल, फाइनेंशियल कंसलटेंट

बजट में सिर्फ लॉलीपॉप दिया

जैसा कि नाम से ही जाहिर है, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। यह एक तरह से जनता के हाथ में लॉलीपॉप थमाने जैसा है। कार-बाइक्स में एक्साइज टैक्स से छूट कस्टमर्स को कुछ फायदा तो देगी, लेकिन इसे मिडिल-लोअर क्लास के लिए नए मौके नहीं बन रहे। कंज्यूमर्स गुड्स में कुछ दाम कम कर देने से फर्क नहीं पड़ेगा। बजट में ऐसा कुछ नहीं जो मल्टी नेशनल कंपनीज के प्रोडक्शन व सेल में बढ़ोतरी कर सके। बजट अट्रैक्टिव नहीं और न ही बुनियादी जरूरतों को पूरा करता है। पिछले साल के मुकाबले इस साल भी बजट में कोई चेंज नहीं हैं।

- शिवम गुप्ता, सेक्रेटरी, चैंबर्स ऑफ कॉमर्स

बजट नहीं, सिर्फ सब्सिडी की सीरीज

यह पूरी तरह से इलेक्शन बजट है। जिसमें सिर्फ सब्सिडी सब्सिडी और सब्सिडी ही है। कार-बाइक्स सस्ती की, पर पेट्रोल के दाम नहीं कम हुए, किसानों को भी सिर्फ लॉलीपॉप दिया, खेती के इक्विपमेंट्स, ट्रैक्टर के दाम बेहद महंगे हैं। ऐसे बजट इकॉनमी को डिसेबल्ड बना रहे हैं। इन तमाम सब्सिडी का बोझ सिर्फ नौकरीपेशा लोगों पर पड़ेगा। आर्मी के रिटायर्ड पेंशनर्स को फायदा दिया, लेकिन शहीद और डिसेबल्ड जवानों को कोई राहत नहीं। सिर्फ योजनाएं ही दिख रही, इनका इंप्लीमेंट नहीं हो रहा। बजट में ग्रोथ रेट नहीं बढ़ाया गया।

- आशीष सक्सेना, सीए

मिडिल क्लास को मायूसी

यूपीए सरकार के इस इंटरिम बजट में इनकम टैक्स में छूट की बढ़ोतरी न किए जाने से नौकरीपेशा मिडिल क्लास पब्लिक को बेहद मायूसी हाथ लगी है। एजुकेशन लोन पर सब्सिडी मिलने और ब्याज पर छूट दिए जाने से स्टूडेंट्स को क्वालिटी एजुकेशन मिलने की उम्मीद है। वहीं छोटी कारों और बाइक्स पर एक्साइज टैक्स में मिली छूट राहत तो देगी, लेकिन इंश्यारेंस, रजिस्ट्रेशन और आरसी की फीस में हुई बढ़ोतरी फायदा लेवल में ले आएगी। अगर सरकार बदली तो यह बजट सिर्फ चार महीने के लिए ही पब्लिक को फायदा पहुंचा पाएगा।

- मुहम्मद खालिद जीलानी, एडवोकेट