डीएम ने लिया संज्ञान, सीएमओ को दिए कार्रवाई के निर्देश
आई नेक्स्ट ने किया भ्रष्टाचारियों को बेनकाब तो मचा हंड़कंप
BAREILLY: शिक्षामित्रों के हेल्थ सर्टिफिकेट बनाने के लिए उनसे पैसे वसूलने वाले घूसखोरों के खिलाफ जिला प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है। डीएम संजय कुमार ने आई नेक्स्ट के कैमरे में कैद दो घूसखोर कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीएमओ डॉ। विजय यादव को निर्देश जारी किए हैं। बता दें कि सहायक अध्यापक बनने के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में हेल्थ सर्टिफिकेट बनवाने को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में शिक्षामित्रों का हुजूम उमड़ पड़ा था। ऐसे में सेहत महकमे के बाबू व कर्मचारियों ने हर कैंडीडेट से अवैध वसूली के बाद ही उन्हें सर्टिफिकेट जारी करने में जुटे थे।
बाबू और वाडर् ब्वॉय नपे
हेल्थ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए जुटे शिक्षामित्रों से क्00 से लेकर फ्00 रुपए तक की घूस लेकर सर्टिफिकेट जारी करने के खेल में दो कर्मचारी फ्राइडे को आई नेक्स्ट के कैमरे में कैद हुए थे। इनमें से एक सीएमओ ऑफिस में बाबू सुनील गांधी और दूसरा डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में वार्ड ब्वॉय अशोक कपूर है। यह दोनों ही कर्मचारी फ्राइडे को खुलेआम आयुष विंग और कॉर्डियोलोजी विभाग के ऊपरी हॉल में शिक्षामित्रों से घूस लेकर उन्हें सर्टिफिकेट जारी कर रहे थे। खुलासे के बाद दोनों कर्मचारियों को सर्टिफिकेट बनवाने के काम से भी हटा दिया गया।
शासन तक जाएगी जांच रिपोर्ट
बाबू सुनील गांधी और वार्ड ब्वॉय अशोक कपूर के अगस्त महीने के वेतन पर रोक लगा दी गई है। दोनों के खिलाफ इंक्वायरी बिठा दी गई है जो तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। जांच रिपोर्ट डीएम के साथ ही शासन स्तर पर डायरेक्ट्रेट एडमिनिस्ट्रेशन को भेजी जाएगी। रिपोर्ट के बाद ही इन दोनों कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी, जिसमें सस्पेंशन भी शामिल है। यही नहीं सीएमओ ने वार्ड ब्वॉय अशोक कपूर के खिलाफ कार्रवाई के लिए एडी हेल्थ को भी लेटर भेजा है।
आई नेक्स्ट ने किया था खुलासा
सहायक अध्यापक की नौकरी के लिए शिक्षा मित्रों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने के बदले स्वास्थ्य महकमे के कर्मचारी क्00 रुपये से लेकर फ्00 रुपये खुलेआम वसूल रहे थे। आई नेक्स्ट ने स्टिंग ऑपरेशन इन घूसखोरों को सबके सामने बेनकाब किया था। आई नेक्स्ट में खुलासा होने के बाद सैटरडे को पूरे दिन स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा रहा।
सैटरडे को भी चला घूस का खेल
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में खुलेआम चल रहे घूसखोरी के खेल का पर्दाफाश करने के बावजूद रिश्वत लेकर सर्टिफिकेट जारी करने का खेल चलता रहा। कॉर्डियोलोजी विभाग के ऊपरी हॉल में हेल्थ सर्टिफिकेट बनवाने पहुंचे शिक्षामित्रों से क्00 से ख्00 रुपए लिए गए। घूसखोरी का सच प्रशासन के सामने उजागर होने के बावजूद भी भ्रष्ट कर्मचारियों में खौफ नहीं था। वहीं सीएमओ ने सैटरडे को आयुष विंग के बजाए अपने ऑफिस में ही सर्टिफिकेट बनवाने का काम कराया।
शिक्षामित्र भी करप्शन में भागीदार
आने वाले समय में सरकारी टीचर्स बनकर बच्चों को पढ़ाने और उन्हें देश का भविष्य बनाने वाले शिक्षामित्र भी घूसखोर कर्मचारियों के करप्शन के इस खेल में बराबर के भागीदार रहे। बच्चों को शिक्षा का पाठ पढ़ाने वाले खुद सरकारी नौकरी के लालच में भ्रष्टाचार का ककहरा सीख रहे थे। किसी भी शिक्षामित्र ने घूसखोर कर्मचारियों के खिलाफ अधिकारियों से कंप्लेन नहीं की। उल्टा ओपीडी में जांच के लिए लगने वाली लंबी लाइनों से बचने के लिए कई तो फ्00 से भ्00 रुपए तक खुद ही देने को तैयार बैठे थे। सैटरडे को भी कई महिला शिक्षामित्र ली जा रही घूस पर बोलने से इसलिए बचती रही कि कहीं उनकी काउंसलिंग और नौकरी पर संकट न खड़ा हो जाएं।