-नहर में डूबकर आठवीं क्लास के स्टूडेंट की मौत
-एक महीने पहले पिता की भी हो चुकी है मौत
BAREILLY: मेरे लाल में कोई सांस डाल दो। अब मुझे मां कौन कहेगा। कैसे भी मेरे लाल को उठा दो। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एक मां की ममता जब इन लफ्जों में बाहर आई तो वहां मौजूद हर किसी की आंख नम हो गई। मां मासूम बेटे का शव छोड़ने को तैयार नहीं थी, उसकी बस एक ही चाह थी कि बेटा एक बार आंख खोल दे, लेकिन कुदरत ने उसके बेटे को हमेशा के लिए नींद में सुला दिया था। दरअसल, नहर में डूबने से क्ख् साल के बेटे की मौत हो गई थी। बाद में समझा बुझाकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
कैसे हुआ हादसा
क्ख् वर्षीय निखिल हाफिजगंज के लाडपुर उस्मानपुर गांव में रहता था। उसके पिता नेमचंद की एक महीने पहले मौत हो चुकी है। परिवार में मां ओमवती और बड़ा भाई नीतीश है। निखिल सेंथल में सरस्वती शिशु मंदिर में आठवीं क्लास में पढ़ता था। फ्राइडे दोपहर वह अपने भाई नीतीश और चचेरे भाई फूल कुमार के साथ सेंथल नहर में जानवरों को नहलाने के लिए गया था।
अचानक हो गया गायब
मृतक निखिल के बड़े भाई नीतीश ने बताया कि वह जानवरों को नहला रहे थे, तभी एक गाय वहां से भाग गई, जिसको पकड़ने के लिए वह फूल कुमार के साथ चले गए। जबकि निखिल को वहीं पर छोड़ गए। कुछ देर बाद जब वह दोनों लौट कर आए तो निखिल वहां पर नजर नही आया। उन्होंने आसपास तलाश किया, लेकिन वह नहीं मिला। जिसके बाद उनको शक हुआ कि कहीं निखिल नहर में तो नहीं डूब गया। दोनों भाईयों ने नहर में तलाश की, लेकिन निखिल का पता नहीं चल पाया।
ग्रामीणों को बुलाया, मिली बॉडी
उसके बाद दोनों भाईयों ने आवाज लगाकर ग्रामीणों को बुलाया। जिसके बाद नहर की गहराई में तलाश की गई तो वहां पर निखिल मिला। परिजन तुरंत उसको डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल लाए, जहां पर डॉक्टरों ने उसको म़त घोषित कर दिया। बेटे की मौत की खबर मिलते ही मां बेसुध हो गई।
क्या जेसीबी की खुदाई ने लील ली मासूम की जान
गांव के लोगों ने बताया कि कुछ दिनों पहले ही नहर की जेसीबी से खुदाई हुई थी, जिसमें उसको गहरा किया गया था। ऐसे में शायद लगता है कि निखिल को गहराई का अंदाजा नहीं था, और वह नहर में डूब गया।
बाक्स---------
पति के बाद बेटे की मौत से टूटी
ओमवती के पति की एक महीने पहले ही मौत हुई थी। वह इस सदमें से उबर भी नहीं पाई थी कि बेटे की मौत ने जिंदगी भर का जख्म दे दिया। हॉस्पिटल में रोते हुए वह बार-बार यही चिल्ला रही थी कि आखिर अब वह किसके लिए जिए।