छोटे बच्चों को बोतल से दूध पिलाने की आदत बनी कई बीमारियों की वजह

दांतों के टेढ़ेपन, ऊपरी जबड़े का डिशेप होना और डेंटल केयरीज की समस्या

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के डेंटल विभाग में आने वाले 10 में से 2 बच्चे प्रभावित

BAREILLY:

नन्हे मुन्नों को भूख लगने पर अगर आप भी उन्हें निप्पल वाली बोतल से दूध पिलाते हैं, तो इस आदत से जल्द छुटकारा पा लें। दूध की बोतल से बच्चों को लंबे समय तक फीडिंग कराना उनके दांतों के खराब होने की बड़ी वजह बन रहा है। बोतल से दूध पिलाने की आदत लंबी ख्िाच जाए तो नन्हें मुन्नों के ऊपर जबड़े का आकार खराब होने के साथ ही उनके दांत भी टेढ़े-मेढ़े हो रहे हैं, जिसके चलते उम्र बढ़ने पर उन्हें दांतों को रि-साइज करने में ब्रेसेस का सहारा लेना पड़ रहा है।

बॉटल नर्सिग सिंड्रोम

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के डेंटल विभाग में आने वाले मरीजों में बच्चों की तादाद भी बढ़ती जा रही है। कुल मरीजों के एक चौथाई बच्चे हैं, जो दांत-मसूड़ों की बीमारी से पीडि़त हैं। इन बच्चों में फ्-म् साल के एजग्रुप के नन्हे मुन्ने बॉटल नर्सिग सिंड्रोम बीमारी की चपेट में हैं। यह ऐसी बीमारी है जो पैदा होने के बाद नवजातों को लगातार कई साल तक बोतल से ही दूध पिलाने के चलते पनप रही है। महिलाओं के अपने बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग न कराना और चम्मच से दूध न पिलाना इस सिंड्रोम के बढ़ने की बड़ी वजह है।

क्0 में ख् बच्चे प्रभावित

डेंटल विभाग में आने वाले फ्-म् एजग्रुप के बच्चों में ख्0 फीसदी बॉटल नर्सिग सिंड्रोम के चलते खराब हो रहे दांतों से पीडि़त हैं। रोजाना आने वाले क्0 बच्चों में से ख् के दांत लंबे समय तक बोतल से दूध पीने के चलते खराब हुए हैं। यह कहना है डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के डेंटल विभाग में इकलौते डेंटल सर्जन डॉ। जीतेन्द्र शाक्य का। डॉक्टर बताते हैं कि बोतल से दूध पीने की वजह से बच्चों के तालू गहरे हो जाते हैं। उनका ऊपरी जबड़ा बाहर होने के साथ ही जबड़े डिशेप हो जाता है। साथ ही दांतों का आकार टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है।

ऊपरी दांत ज्यादा खराब

बोतल से दूध पीने की आदत से नन्हे मुन्नों के दांत व मुंह का साइज डिशेप होने के अलावा उन्हें डेंटल केयरीज की भी दिक्कत हो रही है। इसमें नन्हें मुन्नों के ऊपरी दांत सबसे ज्यादा खराब होते हैं। वजह बोतल का निप्पल ऊपरी दांत व जीभ के बीच लंबे समय तक रहता है। इससे नन्हे मुन्नों के ऊपरी दांतों में इंफेक्शन ज्यादा होता है। वहीं डेंटल केयरीज की समस्या भी ऊपरी जबड़े में सबसे ज्यादा होती है। डॉक्टर के मुताबिक नन्हे मुन्नों के दूध के दांत अगर बिगड़ जाएं तो कई बार उनकी जगह निकलने वाले स्थाई दांत भी डिशेप ही निकलते है। जिनका इलाज ब्रेसेस लगाना ही है।

यूं बरतें सावधानी

मां अपने बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराएं।

बोतल की बजाए चम्मच से दूध पिलाएं।

बच्चों को सुलाते समय मुंह में दूध की बोतल न रखे।

एक-दो दांत भी निकल आएं तो रूई गीली कर उन्हें साफ करें।

बच्चों को खाने में टॉफी, चॉकलेट, पेस्ट्री, बिस्किट जैसी स्टिकी चीजें न दें।

बच्चों में सुबह व रात में सोने से पहले ब्रश करने की आदत डलवाएं।

बच्चों को फाइब्रस डाइट जैसे फल-सब्जी खाने में ज्यादा दें।

बच्चों के दांत अगर डिशेप होने लगे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

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बोतल से लंबे समय तक बच्चों को दूध पिलाने से उनके दांतों का साइज खराब हो रहा। हॉस्पिटल में क्0 में ख् बच्चे रोजाना बॉटल नर्सिग सिंड्रोम से पीडि़त है। बोतल से दूध पिलाना डेंटल केयरीज के अलावा कई दूसरी बीमारियों की भी वजह बनती है। बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराएं या चम्मच से दूध पिलाएं। - डॉ। जीतेन्द्र शाक्य, डेंटल सर्जन