हेडिंग- किताबों को बर्बाद करना मंजूर, बच्चों को बांटना नहीं

क्रासर----

बीआरसी-क्यारा के स्टोर रुम में पिछले सेशन की हजारों किताबे स्टोर में हो रही बर्बाद

-सेशन शुरू होने के बाद भी बच्चों को नहीं मिली अब तक किताब

- एक स्टोर रूम में 10 हजार से ज्यादा किताबें जमा, जबकि दूसरा बात न खुलने के डर से खोला ही नहीं

BAREILLY: मामला सीधे-सीधे लापरवाही और गैर जिम्मेदारी का है। एक तरफ स्टोर रूम में हजारों किताबों में दीमक लग रही है, वहीं दूसरी तरफ स्कूल में पढ़ने आए बच्चों के पास किताबें तक नहीं है। यह दोनों पहलू एक ही स्कूल कैंपस के है। जब इस संबंध में अधिकारियों से पूछा गया तो वह कितने संजीदा है इस बात का अंदाजा उनके इस बयान से लग जाता है कि उनको स्टोर में किताबों के रखे होने का पता ही नहीं है।

खाली बैग जा रहे हैं बच्चे

दरअसल, बेसिक व जूनियर में सरकारों दवारा फ्री में किताबों का वितरण किया जाता है। इस साल का सेशन शुरू हो चुका है, लेकिन अभी तक बच्चों के लिए किताबे नहीं बांटी गई है। अधिकारी उसके अलग-अलग कारण बता रहे हैं। बच्चों को किताब क्यों नहीं मिली, इस पर अधिकारी कहते हैं कि अभी छप कर नहीं आई है, छप कर आने के बाद किताबों का वितरण कर दिया जाएगा। वहीं सोर्स बताते हैं कि प्राइमरी व जूनियर के बच्चों कि किताबों को आने में अभी करीब दो से तीन महीने तक का वक्त लग सकता है।

अधिकारी कर रहे हैं बस इंतजार

अगर अधिकारियों को बच्चों की शिक्षा के साथ हो रहे इस मजाक की सुध होती तो बदत्तर होती हालत की सुध होती तो परिषद द्वारा किताबें प्रिंट कराकर भेजने की राह न देखकर, पहले इन किताबों को बांटकर हालात काबू करने की कोशिश की जाती। लेकिन इन बच्चों की परेशानी समझने का वक्त अगर किसी के पास होता, तो समय के साथ बेसिक स्कूल और बदहाल न होते। आईनेक्स्ट ने डिस्ट्रिक्ट की कॉपियों के स्टोर रुम की सच्चाई देखने की कोशिश की, तो वहां रखी क्0 हजार से अधिक कॉपियां अधिकारियों का एक बहुत ही असंवेदनशील और लापरवाह चेहरा दिखा रहीं थी। क्या है सच्चाई आइए जानें

पिछले साल की किताबों का स्टॉक जमा

बीआरसी यानि ब्लॉक रिर्सोसेस सेंटर, क्यारा के स्टोर रूम की चेकिंग की गई तो यहां किताबें रखी पाई गई। बंडल्स में रखी इन किताबों में क्लास क् व ख् की हिंदी की किताबे, जबकि क्लास ब् की परख नामक किताब सबसे ज्यादा मात्रा में थी। इसके अलावा जूनियर हाईस्कूल की भी कई किताबें पायी गई। ये सभी किताबें ख्0क्ब् के संस्करण की है। यानि पिछले एजुकेशनल सेशन में बंटने से रह गई किताबों का स्टॉक यहां जमा है। सेंटर पर उपस्थित एबीआरसी ने सिर्फ एक ही स्टोर रुम दिखाया। जिसमें क्0 हजार से अधिक किताबें बताई गई।

रूम में पूरे डिस्ट्रक्ट की किताबें संभव

केंद्र के एबीआरसी रमेश सागर ने दूसरा स्टोर रूम खोलने से ये कहते हुए इनकार कर दिया कि उस रुम की चाबी बीएसए के बाबू के अंडर में रहती है। जो कि पूरी डिस्ट्रिक्ट की किताबों का चार्ज संभालते हैं। बता दें कि इस बीआरसी सेंटर के स्टोर रुम का इस्तेमाल पूरे जिले की किताबें रखने के गोदाम के रुम में भी किया जाता है। जहां से इन किताबों को दूसरे ब्लॉक्स में डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है। इस लिहाज से इस स्टोर रूम में बंद किताबें पूरे डिस्ट्रिक्ट की बची किताबों का स्टॉक हो सकती हैं।

अगर स्टोर रूम से बांट दी जाती किताबें

बीआरसी-क्यारा में बची किताबों को अगर बच्चों की जगह सिर्फ स्कूल लाइब्रेरी के तौर पर बांट दिया जाता तो भी इनसे स्कूल में पढ़ने आते बच्चों को फायदा पहुंचाया जा सकता था। इस ब्लॉक में 78 प्राइमरी स्कूल हैं, जबकि फ्म् जूनियर हाईस्कूल हैं। पूरे ब्लॉक में पढ़ रहे बच्चों की संख्या की बात करें तो ये प्राइमरी स्कूल में क्ख्,980 जबकि जूनियर हाईस्कूल में ब्,म्ख्8 है।

कक्षा एक व दो की नहीं हैं किताबें

बीआरसी सेंटर, क्यारा के प्रांगण में चल रहा प्राथमिक विद्यालय-कांधरपुर 'दिया तले अंधेरा' का सबसे उपयुक्त उदाहरण है। बीआरसी सेंटर के स्टोर रुम में क्लास क् व ख् की सबसे ज्यादा किताबें मौजूद मिली। लेकिन यहां चल रहे प्राइमरी स्कूल की क्लास क् व ख् में बच्चों के पास कोर्स के नाम पर एक भी किताब नहीं है। इस बाबत हेडमास्टर प्रदीप कुमार से पूछा गया तो उनका कहना था कि छोटे बच्चे एक साल में ही किताबे फाड़ देते हैं। ऐसे में पिछली साल ये क्लास पढ़ने वाले बच्चों से किताबें वापस नहीं मिल सकी। यही हाल इस प्राइमरी स्कूल की अन्य कक्षाओं का भी था। ये तो सिर्फ एक उदाहरण भर है, इस ब्लॉक के दूर-दराज के गांवों के स्कूलों में किताबों बिना क्या स्थिति होगी, इसका बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है।

गोदाम में बंटने से रह गई किताबों की मुझे कोई जानकारी नहीं है। मैं इसकी जांच करवाती हूं।

- विशू गव्र्याल, डिप्टी बीएसए व खंड शिक्षा अधिकारी-क्यारा