- परिषदीय विद्यालयों के क्लासेस शुरू होंगे एक अप्रैल से, लेकिन बच्चों को नहीं मिलेंगी किताबें
-सेशन जल्द शुरू कराने की कवायद, पर किताबें नदारद,अभी किताबों को प्रिंट कराने के लिए टेंडर ही नहीं खुला
BAREILLY: आगामी एक अप्रैल से परिषदीय विद्यालयों का नया सेशन स्टार्ट हो जाएगा। यह पहली बार है जब सेशन इतनी जल्दी स्टार्ट हो रहे हैं, नहीं तो हर वर्ष सेशन एक जुलाई से स्टार्ट होता था। नए सेशन में स्कूल खुलेंगे तो टीचर्स आएंगे और बच्चे भी। लेकिन एक कमी सबसे ज्यादा खलेगी। बच्चे अपना बस्ता लेकर तो आएंगे, लेकिन उनमें न तो किताबें होंगी और न ही वर्कबुक्स। शासन की लचर व्यवस्था ने बच्चों के एजुकेशन सिस्टम पर बट्टा लगाने का काम किया है। बच्चों को समय से किताबें मुहैया कराने के लिए शासन ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। ऐसा नहीं है कि यह स्थिति महज कुछ दिनों तक बनी रहेगी। बल्कि बच्चों को करीब दो महीने से ज्यादा समय तक बिना किसी किताब के ही पढ़ाई करनी पड़ेगी।
खाली बस्ता लेकर अाएंगे बच्चे
सीबीएसई बोर्ड की नकल करते हुए शासन ने परिषदीय विद्यालयों का सेशन जल्दी तो कर दिया, लेकिन बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था करने में उतनी तेजी नहीं दिखा पाए.परिषदीय विद्यालयों के क्लास एक से क्लास 8 तक के स्टूडेंट्स को शासन नि:शुल्क किताबें मुहैया कराता है। यही नहीं कस्तूरबा गांधी, समाज कल्याण विभाग,मदरसे,एडेड के स्कूलों के बच्चों को नि:शुल्क किताबें मुहैया कराई जाती हैं। इसके लिए करोड़ों रुपए का बजट जारी होता है। लेकिन नए सेशन में काफी दिनों तक बच्चों को खाली बस्ते के साथ स्कूल आना होगा। शासन किताबें प्रोवाइड कराने की शुरुआती सीढ़ी पर ही लड़खड़ा गई है।
निरस्त कर दिया गया टेंडर
किताबें छपवाने के लिए शासन हर वर्ष टेंडर आमंत्रित करता है। इस बार ख्8 जनवरी को टेंडर जारी किया गया था। प्रदेश के करीब क्,8भ्,000,00 बच्चों को नि:शुल्क किताबें मुहैया कराई जाती हैं। शासन ने करीब क्0 करोड़ किताबें छपवाने के लिए टेंडर आमंत्रित किया था। ख्8 फरवरी को टेंडर खुलना था, लेकिन शासन ने किन्हीं कारणवश ख्7 फरवरी को टेंडर निरस्त कर दिया। इसका बाकायदा नोटिस भी जारी कर दिया है। तब से आज तक टेंडर खुला ही नहीं।
एक अप्रैल से बंटनी थ्ाी किताबें
टेंडर खुलने के बाद नियमों के अनुसार किसी एक फर्म को किताबें प्रिंट करने का ठेका दिया जाता है। किताबें प्रिंट करने से लेकर उसे स्कूल बंटवाने तक में करीब ख् महीने का समय लग जाता है। यह किताबें स्कूल खुलने के बाद एक अप्रैल से बंटनी थीं। लेकिन जब टेंडर ही नहीं खुला तो अब बंटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। इस बार वर्कबुक्स की गुणवत्ता पर खासा ध्यान दिया गया है। उसके मानक चेंज कर दिए गए हैं। बाइडिंग व पेजेस भी मोटे कर दिए गए हैं।
एक खास फर्म पर है मेहरबान
टेंडर क्यों निरस्त किया गया, यह एक रहस्य बना हुआ है। सोर्सेज की मानें तो शासन एक खास फर्म पर काफी मेहरबान है। उसने भी टेंडर डाला था। लेकिन टेक्निकल बिड के नॉर्म्स शासन द्वारा जारी नॉर्म्स से मेल नहीं खा रहे थे। सोर्सेज की मानें तो उस फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए ही यह टेंडर अचानक निरस्त ि1कया गया।
जिलें में साढ़े तीन लाख से ज्यादा बच्चे
शासन की इस लापरवाही का खामियाजा जिले के करीब साढ़े तीन लाख से ज्यादा बच्चों को भुगतना पड़ेगा। डिस्ट्रिक्ट में 79ब् अपर प्राइमरी और ख्097 प्राइमरी स्कूल हैं। इनके अलावा क्भ् एडेड समेत नगर निगम और समाज कल्याण विभाग के स्कूल व मदरसे भी हैं। इन सभी स्कूलों के बच्चों को सेशन खुलने के करीब दो महीने के ज्यादा समय तक किताबों का मुंह ताकना पड़ेगा।
जल्द से जल्द सारी प्रक्रिया पूरी कर सभी बच्चों को किताबें मुहैया करा दी जाएगी। ताकि पढ़ाई में उन्हें कोई परेशानी न हो।
पवन कुमार सचान, पाठ्य पुस्तक अधिकारी, यूपी