कंप्यूटराइज्ड आईकार्ड के लिए स्कूल नहीं भर सके जानकारी, आरोप विभाग ने नही भेजी सूचना
BAREILLY:
इस साल फिर नकली आई कार्ड गले में टांग छात्रों को नकल विद्या सिखाते कक्ष निरीक्षक बोर्ड एग्जाम के दौरान ड्यूटी करते मिल सकते है। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने भले ही नकल विहीन बोर्ड एग्जाम कराने के मकसद से कई क्रांतिकारी कदम उठाये हों, लेकिन जिला स्तर पर इन्हें क्रियांवित कराने में विभागीय भागीदारी शून्य है। यही कारण है कि कंप्यूटराइज्ड आई कार्ड के लिए स्कूल्स के फार्म भरने की लास्ट डेट दो दिन पहले ही खत्म हो चुकी है। अभी तक स्कूल्स को इस प्रोसिजर की जानकारी ही नहीं है।
भूले कंप्यूटराइज्ड आईडी का निर्देश
माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कक्ष निरीक्षकों की पहचान के लिए कंप्यूटराइज्ड आई कार्ड की व्यवस्था किए जाने की व्यवस्था बनायी थी। जिसके तहत सभी स्कूलों को माध्यमिक शिक्षा की वेबसाइट पर बनी अपने स्कूल की प्रोफाइल पर शिक्षकों की पूरी जानकारी अपलोड करनी है। जिसमें स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षक की उम्र, फोटो, ग्रेजुएशन व पीजी के विषय की जानकारी भी भरनी थी। ये पूरा डाटा भरने के लिए विभाग की ओर से स्कूलों को क्म् से ख्भ् जनवरी तक का समय दिया गया था। जिसे निकले दो दिन बीत चुके है। लेकिन स्कूलों को इस प्रोसीजर की खबर तक नहीं है।
ऐसे में आसानी से बनेंगे नकली आईकार्ड
असल में परिषद की वेबसाइट पर सभी स्कूलों का मास्टर डाटा अपलोड है, जिसमें यहां पढ़ा रहे शिक्षकों की जानकारी अपलोड है। विभाग की ओर से इस इंफार्मेशन को अपडेट करने के निर्देश दिये गए थे, क्योंकि इस जानकारी में शिक्षकों की फोटो, सब्जेक्ट का कोड नंबर व बैंक अकाउंट नंबर अपलोड करने को कहा गया। अब जबकि लास्ट डेट तक बरेली के अमूमन स्कूल ये जानकारी भर नहीं सके है, तो माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से जो आई कार्ड बनकर आयेगा, उसमें अंकित जानकारियां गलत ही होंगी। जिसका फायदा शिक्षा माफिया आसानी से उठा सकेंगे।
स्कूलों को नहीं है सूचना
इस सूचना के बाबत स्कूलों से पूछा गया तो शहर के कई बड़े स्कूल आरएनटी इंटर कालेज, जीजीआईसी, विष्णु इंटर कालेज, पीसी आजाद इंटर कालेज ने इस निर्देश के बारे में विभाग से किसी भी तरह की जानकारी मिलने से इनकार किया। जबकि डीआईओएस का कहना है कि हमने स्कूलों को ये सूचना भेजी थी।
कैसे मिलेगी परीक्षाओं को तीसरी आंख की सुरक्षा
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने यूपी बोर्ड परीक्षाओं की सूरत बदलने के लिए सभी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरा लगाने व एक गनर रखने की व्यवस्था करने के आदेश दिये गए। जिससे स्कूल की सिक्योरिटी व परीक्षा के दौरान होने वाली नकल पर नजर रखी जा सके। लेकिन इस ओर अभी न डीआईओएस ने कोई निर्देश दिये है, और न ही स्कूलों ने स्वयं ही इसमें कोई दिलचस्पी दिखाई है।
इस बारे में भारत इंटर कालेज-भोजीपुरा के प्रिंसिपल डा। अखिलेश कुमार कहते है कि डीआईओएस कम से कम इस बात के निर्देश दे दें कि स्कूल सीसीटीवी कैमरा लगवाने का खर्च किस मद से वहन करें, इसके बाद स्कूल इस ओर कदम बढ़ा सकेंगे।
स्कूल बोर्ड परीक्षा की सूचनाओं से अब तक है बेखबर
क्9 फरवरी से शुरू हो रहे बोर्ड एग्जाम के लिए कायदे में तैयारियों का दौर तेज हो जाना चाहिए, लेकिन स्कूलों को परीक्षा के संबंध में कोई लिखित सूचना नही मिली है। सेंटर बनाए गए स्कूलों तक को इस बात की कोई सूचना नही दी गई है, और न ही स्कूलों को सेंटर बनाए जाने की स्थिति में परीक्षा देने के लिए एलॉट किये गए छात्रों की संख्या की जानकारी ही दी गई है। बिना किसी जानकारी के संदेह की स्थिति में फंसे ये स्कूल आखिर किस आधार पर परीक्षाओं के लिए तैयारियां करें। एक तरफ डीआईओएस स्कूलों को ये सूचनाएं नही दे रहे, ऊपर से आदेश है कि सभी सेंटर बने स्कूल एग्जाम से पहले अपनी व्यवस्था चाक-चौबंद कर लें।
स्कूलों को सता रही है टेंशन
सेंटर बनाने से पहले स्कूलों से छात्र बैठाने के कैपेसिटी व जरूरी फर्नीचर की जानकारी मांगी जाती है, उसी आधार पर इन्हें एग्जाम के लिए सेंटर बनाया जाता है। लेकिन इस साल स्कूलों से ऐसी कोई सूचना नही मांगी गई। ऐसे में सेंटर बनाए गए स्कूलों में कैपेसिटी से ज्यादा छात्र एलॉट हुए, तो जाहिर तौर पर छात्रों को जमीन पर बैठकर परीक्षा देनी पड़ेगी। इस बारें में शिक्षक नेता सुरेश रस्तोगी का कहना है कि हमने डीआईओएस से मांग की कि अगर सेंटरों को परीक्षा के लिए एलॉट किये गए स्कूलों की पूरी जानकारी मुहैया नही करा सकते तो कम से कम एलॉट छात्रों की संख्या की जानकारी तो दे, ताकि सेंटर उसके हिसाब से व्यवस्था कर सके।